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जैव विविधता और पर्यावरण

समुद्री स्थानिक योजना ढाँचा

  • 17 Feb 2023
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये:

MSP ढाँचा, ब्लू इकॉनमी, विशेष आर्थिक क्षेत्र।

मेन्स के लिये:

सरकार की नीतियाँ एवं हस्तक्षेप, महासागरों का महत्त्व, भारत-नॉर्वे सहयोग

चर्चा में क्यों?

पुद्दुचेरी ने भारत-नॉर्वे एकीकृत महासागर पहल के तहत एक समझौते के हिस्से के रूप में देश की पहली समुद्री स्थानिक योजना (MSP) का ढाँचा निर्धारित किया है।

  • भारत और नॉर्वे के बीच वर्ष 2019 के समझौता ज्ञापन (MoU) के बाद पुद्दुचेरी और लक्षद्वीप के समुद्र तटों को MSP पहल के लिये चुना गया था।

समुद्री स्थानिक योजना:

  • MSP एक पारिस्थितिकी तंत्र आधारित स्थानिक नियोजन प्रक्रिया है जो वर्तमान और पूर्वानुमानित महासागर एवं तटीय उपयोगों का विश्लेषण करके विभिन्न गतिविधियों के लिये सबसे उपयुक्त क्षेत्रों की पहचान करती है।
  • यह समाज को सार्वजनिक नीति प्रक्रिया प्रदान करती है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि समुद्र एवं तटों को वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों हेतु निरंतर उपयोग के लिये संरक्षित किया जाए।

ढाँचे के संदर्भ में: 

  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय नेशनल सेंटर फॉर कोस्टल रिसर्च (NCCR), राष्ट्रीय सतत् ​​तटीय प्रबंधन केंद्र (National Centre for Sustainable Coastal Management- NCSCM)), पुद्दुचेरी कोस्टल ज़ोन मैनेजमेंट अथॉरिटी और विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा पर्यावरण विभाग, पुद्दुचेरी द्वारा नॉर्वेजियन पर्यावरण एजेंसी के सहयोग से MSP के कार्यान्वयन की देख-रेख की जाती है।
  • तटीय क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दोनों देशों ने समुद्री संसाधनों के सतत् उपयोग के लिये निरंतर सहायता प्रदान करने पर सहमति जताई है।
  • लक्षद्वीप और पुद्दुचेरी में प्रायोगिक परियोजना के सफल कार्यान्वयन के बाद इस ढाँचे को देश के अन्य तटीय क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है।

MSP ढाँचे का महत्त्व:

  • पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित दृष्टिकोण: इसका उद्देश्य सामाजिक समता और समावेश के सिद्धांतों के अनुरूप एक साथ समुद्र के स्वास्थ्य एवं आर्थिक विकास को बढ़ाना है।
  • महत्त्वपूर्ण सरकारी उपकरण: यह पर्यावरणीय रूप से अस्थिर "ब्राउन इकोनॉमी" के बजाय सतत् और न्यायसंगत महासागर संसाधन प्रबंधन की विशेषता वाली ब्लू इकॉनमी के उद्भव को सुनिश्चित करने हेतु एक उपकरण है।
  • परस्पर विरोधी हितों को संतुलित करने का उपकरण: इसका उपयोग तटीय भूमि और समुद्री जल के उपयोग के संदर्भ में मछुआरा समुदायों की आजीविका संबंधी चिंताओं के साथ पर्यटन विकास की मांगों को संतुलित करने के लिये किया जा सकता है।
  • ब्लू इकॉनमी नीति के अनुरूप: यह नीति समुद्री जैवविविधता को संरक्षित करते हुए सकल घरेलू उत्पाद में तटीय क्षेत्रों के योगदान को बढ़ाने का प्रयास करती है।
    • वर्तमान में ब्लू इकॉनमी भारत की अर्थव्यवस्था का 4.1% है। 
  • विशाल तटरेखा: लगभग 7500 किलोमीटर की तटरेखा के साथ पर्यावरणीय ज़िम्मेदारियों और आर्थिक विकास के अवसरों के संबंध में भारत की एक अनूठी समुद्री स्थिति है।

स्रोत: द हिंदू

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