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जैव विविधता और पर्यावरण

जीवाणुओं की बढ़ती प्रतिरोधकता

  • 12 Feb 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में किये गए एक शोध में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station-ISS) पर पाए गए सूक्ष्म जीवाणुओं एवं पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीवाणुओं के जीन के एक दूसरे से अलग होने का पता चला है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • शोध के अनुसार, यह परिवर्तन जो कि 'सुपरबग्स' की एक नई पीढ़ी का निर्माण करता है चिंता बढ़ा दी है इससे यह प्रतीत होता है कि जीवाणुओं में पाया जाने वाला यह अंतर बैक्टीरिया की रोगजनक क्षमता बढ़ाने के बजाय अंतरिक्ष की विषम परिस्थितियों का सामना करने में उन्हें सक्षम बना रहा है।
  • बहुत से जीवाणु अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में अंतरिक्ष यात्रियों के कपड़ों एवं सामानों में देखे जा सकते हैं, इनमें से हज़ारों सूक्ष्म जीवों के ISS से लिये गए जीवाणुओं के नमूने के जीनोमिक आँकड़ों को ‘नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन पब्लिक डेटाबेस’ में संग्रहित किया गया है।
  • अमेरिका में लोगों की अंतरिक्ष यात्रा के लिये लोगों की बढ़ती संख्या के साथ ही उनकी रूचि इस बात को समझने के प्रति बढ़ रही है कि ISS पर कठिन परिस्थितियों में, जहाँ उच्च स्तर का विकिरण, सूक्ष्म गुरुत्व और वेंटिलेशन की कमी है इस वातावरण में सूक्ष्म जीव कैसे व्यवहार करते है।
  • वैज्ञानिकों ने संभावना जताई है कि यदि ऐसी विषम परिस्थिति में ये सूक्ष्म जीव जीवित रहते हैं तो इनसे सुपरबग का विकास हो सकता है, जिसमें जीवित रहने की अधिक क्षमता होती है।

जीनोमिक विश्लेषण

  • वैज्ञानिकों की टीम द्वारा ‘सिविल एंड एन्वायरमेंट इंजीनियरिंग विभाग, नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी’ अमेरिका में स्टैफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus aureus) और बेसिलस सेरेस (Bacillus cereus) के जीनोम की तुलना अंतरिक्ष स्टेशन पर पाए गए जीवाणुओं से की गई। विश्लेषण में ISS से लाये गए जीवाणुओं तथा पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीवाणुओं के जीन अलग पाए गए।
  • विश्लेषण में सबसे महत्त्वपूर्ण जानकारी यह सामने आई कि यह आनुवंशिक अंतर बैक्टीरिया की रोगजनकता को नहीं बढ़ाएगा या उन्हें मानव स्वास्थ्य के लिये अधिक हानिकारक बना देगा। यह परिवर्तन सिर्फ विषम वातावरण में रहने वाले बैक्टीरिया की प्रतिक्रियाओं को दर्शाता हैं।
  • जीनोमिक विश्लेषण के आधार पर ऐसा लगता है कि यह बैक्टीरिया जीवित रहने के लिये अनुकूल हैं, बीमारी पैदा करने के लिये नहीं।
  • यह खोज कि अंतरिक्ष में विषम परिस्थिति से बैक्टीरिया खतरनाक नहीं हो रहे हैं, एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी सुपरबग अंतरिक्ष यात्रियों और संभावित अंतरिक्ष पर्यटकों के लिये एक अच्छी खबर है, लेकिन यह संभव है कि संक्रमित व्यक्ति अंतरिक्ष स्टेशनों एवं अंतरिक्ष में बीमारी फैला सकते हैं।

स्रोत – द हिंदू

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