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भारतीय अर्थव्यवस्था

औद्योगिक विनिर्माण में बढ़ोतरी

  • 03 Nov 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये

क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI)

मेन्स के लिये

क्रय प्रबंधक सूचकांक में बढ़ोतरी का कारण और इसके निहितार्थ, विनिर्माण क्षेत्र से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

आईएचएस मार्किट इंडिया (IHS Markit India) द्वारा जारी मासिक सर्वेक्षण के अनुसार, अक्तूबर 2020 में विनिर्माण क्षेत्र के ‘क्रय प्रबंधक सूचकांक’ (Purchasing Manager's Index- PMI) में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • सूचकांक के मुताबिक, भारत में विनिर्माण उत्पादन गत 13 वर्षों के अपने सबसे उच्च स्तर पर पहुँच गया है और इसमें नाटकीय रूप से सुधार देखा गया है।
  • भारत ने औद्योगिक उत्पादन में वर्ष 2007 के बाद से अब तक सबसे अधिक तेज़ी से बढ़ोतरी दर्ज की है, जबकि बिक्री में वर्ष 2008 के बाद से सबसे अधिक बढ़ोतरी हुई है।
  • ध्यातव्य है कि लगातार 32 महीने तक विस्तार के पश्चात् अप्रैल माह में सूचकांक में संकुचन की स्थिति शुरू हो गई थी, इसके बाद मई माह में यह सूचकांक 30.8 अंक पर पहुँच गया। हालाँकि बीते तीन महीनों में सूचकांक पुनः विस्तार की स्थिति में आ गया है।
    • क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI) में 50 से अधिक अंक विस्तार का संकेत देते हैं, जबकि 50 से कम अंक संकुचन का संकेत देते हैं।

कारण

  • कोरोना वायरस संबंधी प्रतिबंधों में निरंतर छूट, बेहतर बाज़ार स्थिति और मांग में बढ़ोतरी से निर्माताओं को अक्तूबर माह में नया काम प्राप्त करने में मदद मिली है, जिससे उत्पादन में भी बढ़ोतरी हुई है।
  • कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में तेज़ी के संकेत मुख्य तौर पर त्योहार के सीज़न के कारण दिखाई दे रहे हैं, जिसका अर्थ है कि यह बढ़ोतरी अस्थायी भी हो सकती है।

निहितार्थ

  • अक्तूबर माह के क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI) संबंधी आँकड़े इस ओर इशारा करते हैं कि भारत के औद्योगिक क्षेत्र का उत्पादन मौजूदा वित्तीय वर्ष के शुरुआती महीनों में कोरोना वायरस महामारी के कारण दर्ज किये गए संकुचन के प्रभाव से उभर रहा है।
  • यह तथ्य इस धारणा को प्रबल करता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी के प्रभाव से पहले की तुलना में और अधिक तेज़ी से उभर सकती है। 

चिंताएँ

  • जहाँ एक ओर औद्योगिक क्षेत्रों के उत्पादन में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, वहीं दूसरी ओर रोज़गार के क्षेत्र में अभी भी कोई सुधार देखने को नहीं मिला है। 

क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI)

  • क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI) विनिर्माण और सेवा क्षेत्र से संबंधित व्यावसायिक गतिविधि का एक प्रमुख संकेतक है। इसे सामान्यतः प्रत्येक माह की शुरुआत में पिछले माह के लिये जारी किया जाता है, इसलिये इसे देश की आर्थिक गतिविधियों का एक प्रमुख संकेतक माना जाता है। 
    • इस सूचकांक का निर्धारण एक सर्वेक्षण आधारित प्रणाली के माध्यम से किया जाता है।
  • इसकी गणना विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के लिये अलग-अलग की जाती है, जिसके बाद एक समग्र सूचकांक का निर्माण किया जाता है।
  • क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI) में 0 से 100 तक अंक होते हैं और 50 से ऊपर के अंक व्यावसायिक गतिविधि में विस्तार या विकास को प्रदर्शित करते हैं, जबकि 50 से नीचे के अंक संकुचन (गिरावट) को दर्शाते हैं।

क्रय प्रबंधक सूचकांक का महत्त्व

  • विभिन्न अर्थशास्त्री क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI) द्वारा मापी गई विनिर्माण वृद्धि को औद्योगिक उत्पादन का एक अच्छा संकेतक मानते हैं, जिसके लिये आधिकारिक आँकड़े बाद में सरकार द्वारा जारी किये जाते हैं।
  • कई देशों के केंद्रीय बैंक भी अपनी ब्याज दरों के निर्धारण और नीति निर्माण से संबंधित निर्णय लेने के लिये इस सूचकांक का प्रयोग करते हैं।

स्रोत: द हिंदू

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