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भारतीय अर्थव्यवस्था

क्रय प्रबंधक सूचकांक में गिरावट

  • 04 Aug 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये

क्रय प्रबंधक सूचकांक

मेन्स के लिये 

क्रय प्रबंधक सूचकांक में गिरावट के कारण और इसके निहितार्थ

चर्चा में क्यों?

आईएचएस मार्किट इंडिया (IHS Markit India) द्वारा जारी मासिक सर्वेक्षण के अनुसार, जुलाई 2020 में विनिर्माण क्षेत्र के ‘क्रय प्रबंधक सूचकांक’ (Purchasing Manager's Index- PMI) में गिरावट दर्ज की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • ध्यातव्य है कि लगातार 32 महीने तक विस्तार करने के पश्चात् अप्रैल माह में सूचकांक संकुचन की ओर बढ़ना शुरू हो गया था।
  • हालाँकि जून माह में क्रय प्रबंधक सूचकांक’ (PMI) में कुछ बढ़ोतरी देखने को मिली थी, जहाँ मई 2020 में क्रय प्रबंधक सूचकांक’ (PMI) 30.8 अंक पर था, वहीं जून माह में यह बढ़कर 47.2 पर पहुँच गया था।
  • आईएचएस मार्किट इंडिया (IHS Markit India) द्वारा जारी ‘क्रय प्रबंधक सूचकांक’ (PMI) जुलाई 2020 में 47.2 अंक से गिरकर जून, 2020 में 46 अंक पर पहुँच गया है।
    • ध्यातव्य है कि इस सूचकांक में 50 से अधिक अंक विस्तार का संकेत देते हैं, जबकि 50 से कम अंक संकुचन का संकेत देते हैं।
    • यह लगातार चौथी बार है जब भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में संकुचन देखने को मिला है।
  • निहितार्थ:
    • गौरतलब है कि भारतीय विनिर्माण क्षेत्र से संबंधित ये आँकड़े COVID-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित देशों में से एक भारत की आर्थिक स्थिति पर अधिक प्रकाश डालते हैं। 
    • इस सर्वेक्षण के परिणामों ने उत्पादन और नए आदेशों में हुई गिरावट की पुष्टि की है।

  • कारण
    • COVID-19 के मद्देनज़र देशभर में लॉकडाउन की वज़ह से विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। 
    • आईएचएस मार्किट इंडिया द्वारा जारी रिपोर्ट बताती है कि भारत के निर्यात में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
    • ध्यातव्य है कि केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस (COVID-19) के प्रसार को रोकने के लिये 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी।
      • इसके परिणामस्वरूप देश भर में सभी प्रकार की आर्थिक और गैर-आर्थिक गतिविधियाँ पूरी तरह से रुक गई थीं और उत्पादन भी लगभग बंद हो गया था।
      • हालाँकि मई माह से शुरू होने वाले चरणों में लॉकडाउन के प्रतिबंधों में कुछ छूट दी जाने लगी, किंतु कई राज्य सरकारों ने राज्य में वायरस के प्रसार को रोकने के लिये लॉकडाउन को और अधिक बढ़ाने का निर्णय लिया, जिससे मई माह में शुरू हुई आर्थिक गतिविधियों पर प्रभाव पड़ा।
    • जून माह में सुधार के संकेत देने वाले बेरोज़गारी दर जैसे संकेतक राज्यों द्वारा लागू किये गए लॉकडाउन के कारण जुलाई में फिर खराब स्थिति के संकेत देने लगे।
    • आँकड़ों के अनुसार, जुलाई माह के दौरान खुदरा व्यापार काफी सुस्त बना रहा, ऋण वृद्धि कम थी और डीज़ल की मांग में गिरावट देखने को मिली।
    • मांग में कमी के कारण व्यापार में गिरावट को देखते हुए विभिन्न औद्योगिक संस्थानों को अपने कर्मचारियों की संख्या में भी कमी करनी पड़ी है। इसके अलावा भारत के निर्यात में भी कमी देखने को मिली है।
  • क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI)
    • PMI विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों का एक संकेतक है। यह एक सर्वेक्षण-आधारित प्रणाली है।
    • इसकी गणना विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के लिये अलग-अलग की जाती है और फिर एक समग्र सूचकांक का निर्माण किया जाता है।
    • क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI) के दौरान विभिन्न संगठनों से कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसमें आउटपुट, नए ऑर्डर, व्यावसायिक अपेक्षाएँ और रोज़गार जैसे महत्त्वपूर्ण संकेतक शामिल होते हैं, साथ ही सर्वेक्षण में भाग लेने वाले लोगों से इन संकेतकों को रेट करने के लिये भी कहा जाता है।
    • PMI को 0 से 100 तक के सूचकांक पर मापा जाता है।

स्रोत: द हिंदू

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