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सामाजिक न्याय

हाथ से मैला उठाने की प्रथा (मैन्युअल स्कैवेंजिंग)

  • 15 Nov 2019
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये-

WHO

मेन्स के लिये-

वैश्विक स्तर पर मैन्युअल स्कैवेंजिंग को खत्म करने के उपाय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक स्तर पर स्वच्छता कर्मचारियों के संदर्भ में स्वच्छता श्रमिकों की स्वास्थ्य, सुरक्षा और गरिमा -एक प्रारंभिक मूल्यांकन (Health, Safety and Dignity of Sanitation Workers- An Initial Assesment) शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की।

प्रमुख बिंदु:

  • रिपोर्ट के अनुसार, विश्व भर में टॉयलेट, सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई में कार्यरत श्रमिकों का जीवन स्तर चिंताजनक है।
  • इस क्षेत्र में निवेश की कमी और खराब बुनियादी ढाँचे के कारण लाखों लोग अपर्याप्त जल आपूर्ति और अस्वच्छता से जुडी बीमारियों से मर जाते हैं।
  • जब श्रमिक मानव अपशिष्ट के सीधे संपर्क में आते हैं और बिना किसी उपकरण या सुरक्षा के साथ काम करते हुए इसे हाथ से साफ करते हैं, तो प्रायः उन्हें जानलेवा बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार इस तरह के श्रम में सबसे अधिक शोषण अनौपचारिक श्रमिकों का होता है। इन्हें अपेक्षाकृत कम वेतन और सुविधाएँ प्राप्त होती हैं।
  • इनके हितों की रक्षा के लिये सरकारों द्वारा बनाए गए कानूनों और नीतियों का भी उचित रूप से पालन नहीं किया जाता।
  • WHO के अनुसार, अस्वच्छता के कारण प्रतिवर्ष डायरिया से 432,000 मौतें होती हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, वाटरएड, वर्ल्ड बैंक और WHO द्वारा संयुक्त रूप से जारी इस रिपोर्ट में नौ निम्न और मध्यम आय वर्ग के देशों में स्वच्छता श्रमिकों की स्थिति का विश्लेषण किया गया है।
  • इन देशों में भारत, बांग्लादेश, बोलीविया, बुर्किना फासो, हैती, केन्या, सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका और युगांडा शामिल हैं।

भारत के संदर्भ में:

  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अवांछनीय और उच्च जोखिम वाले कार्य प्रायः अस्थायी और अनौपचारिक श्रमिकों से करवाए जाते हैं।
  • श्रमिकों द्वारा हाथ से किये जाने वाले स्वच्छता कार्यों में शौचालयों, खुली नालियों, रेल के पटरियों से मानव अपशिष्ट को इकठ्ठा करना, ले जाना और निपटान करना शामिल है।
  • हाथ से किये जाने निम्न श्रेणी के स्वच्छता कार्यों के लिये श्रमिकों को पर्याप्त मज़दूरी भी नहीं दी जाती है।
  • सीवर की सफाई में कार्यरत श्रमिक मैनहोल से सीवर में प्रवेश करते हैं और ठोस अपशिष्ट को हाथ से साफ करते हैं।
  • इस रिपोर्ट में BBC द्वारा जारी रिपोर्ट का उल्लेख किया गया है जिसके अनुसार, भारत में हर पाँचवे दिन एक सीवर श्रमिक की मौत होती है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल 5 मिलियन स्वच्छता श्रमिक कार्य करते हैं।इनमे से 2 मिलियन श्रमिक उच्च जोखिम वाली परिस्थितियों (High Risk Condition) में कार्य करते हैं।
  • भारत में हाथ से मैला ढोने पर लगी रोक के बाद भी कुल 700 ज़िलों में से 163 ज़िलों में 20,596 ऐसे श्रमिकों की पहचान की गई है।
  • रिपोर्ट के अनुसार इन श्रमिकों की 60-70% संख्या शहरों में पाई गई, जिसमें 50% महिला श्रमिक हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO)

विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना 7 अप्रैल, 1948 को की गई, इस दिन को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका मुख्यालय जिनेवा (स्विट्जरलैंड) में है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

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