मन्नथू पद्मनाभन | 27 Feb 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी मन्नथू पद्मनाभन की पुण्यतिथि मनाई गई।
प्रमुख बिंदु
जन्म:
- मन्नथू पद्मनाभन का जन्म 2 जनवरी, 1878 को केरल के कोट्टायम ज़िले में पेरुना नामक स्थान पर हुआ था।
मन्नथू पद्मनाभन के विषय में:
- वह दक्षिण-पश्चिमी राज्य केरल के एक समाज सुधारक तथा स्वतंत्रता सेनानी थे।
- सरदार के.एम. पणिकर ने उन्हें केरल के ‘मदन मोहन मालवीय' की संज्ञा दी।
- उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत वर्ष 1893 में सरकारी प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक के रूप में की।
- वर्ष 1905 में उन्होंने अपना पेशा बदल दिया और मजिस्ट्रेट न्यायालयों में कानून का अभ्यास शुरू कर दिया।
राजनैतिक तथा सामाजिक योगदान:
- उन्होंने वायकोम (वर्ष 1924) एवं गुरुवायूर (वर्ष 1931) के मंदिर-प्रवेश सत्याग्रहों और अस्पृश्यता विरोधी आंदोलनों में भाग लिया।
- वायकोम सत्याग्रह त्रावणकोर (वर्तमान केरल) के मंदिरों में दलित वर्ग के लोगों को प्रवेश की अनुमति देने हेतु चलाया गया आंदोलन था। यह आंदोलन वर्ष 1924-25 के दौरान केरल के कोट्टायम ज़िले में वायकोम के शिव मंदिर के पास हुआ। उस समय वायकोम त्रावणकोर रियासत का एक हिस्सा था।
- गुरुवायूर सत्याग्रह केरल के प्रसिद्ध 'गुरुवायूर मंदिर' में दलितों को प्रवेश की अनुमति देने हेतु चलाया गया था। यह मंदिर वर्तमान थ्रिसूर ज़िले में है जो उस समय मालाबार ज़िले के पोन्नानी तालुक का हिस्सा था और अब केरल का हिस्सा है।
- उन्हें नायर समुदाय का सुधारक और नैतिक मार्गदर्शक माना जाता है। उन्होंने नायर समुदाय के सदस्यों को बुरे और रूढ़िवादी रिवाजों का त्याग करने के लिये प्रेरित किया।
- उन्होंने सभी जातियों के लिये मंदिर प्रवेश की मांग करने और अस्पृश्यता का अंत करने के उद्देश्य से नायर समुदाय का नेतृत्व किया।
- वर्ष 1914 में उन्होंने नायर सर्विस सोसाइटी की स्थापना की।
- वर्ष 1946 में वह भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के सदस्य बने और त्रावणकोर में सर सी.पी. रामास्वामी प्रशासन के विरुद्ध आंदोलन में भाग लिया।
- भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण 14 जून, 1947 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
- वर्ष 1949 में पद्मनाभन त्रावणकोर विधानसभा के सदस्य बने।
- वर्ष 1964 में केरल कॉन्ग्रेस के गठन में भी उन्होंने सहायक की भूमिका निभाई जो भारत की पहली क्षेत्रीय पार्टी थी।
पुरस्कार एवं सम्मान:
- वर्ष 1966 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
- भारत के राष्ट्रपति द्वारा उन्हें भारत केसरी की उपाधि से सम्मानित किया गया।
मृत्यु:
- 25 फरवरी, 1970 को 92 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई।
- उनकी समाधि NSS मुख्यालय चंगनाचेरी में स्थित है जो केरल के कोट्टायम ज़िले की नगरपालिका है।