सिमलीपाल में आवास से वंचित हुआ मनकीडिया समुदाय | 09 Jan 2018
चर्चा में क्यों?
ओडिशा की 13 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (Particularly Vulnerable Tribal Groups -PVTG) में से एक मनकीडिया (Mankidia) समुदाय को ऐतिहासिक अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम [Scheduled Tribes and Other Traditional Forest Dwellers (Recognition of Forest Rights) Act], 2006 के तहत सिमलीपाल टाइगर रिजर्व (Similipal Tiger Reserve -STR) के अंदर रहने के अधिकार से इनकार कर दिया गया है।
- राज्य वन विभाग (State Forest Department) द्वारा इस आधार पर इनके निवास के संबंध में आपत्ति जताई गई है कि आदिवासियों पर जंगली जानवरों, विशेषकर बाघों द्वारा हमला किया जा सकता है। अत: बेहतर होगा कि ये जनजातियाँ अभ्यारण्य से बाहर जाकर बसे।
आवास क्या होता है?
- वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act) की धारा 2 (एच) के तहत परिभाषित “आवास” (Habitat) में आरक्षित वनों और आदिम संरक्षित वनों में स्थित निवास स्थान, प्रथागत आवास, संरक्षित वनों में पी.टी.जी. (Primitive Tribal Groups) आदिवासी समूहों के निवास स्थान तथा पूर्व-कृषि समुदायों एवं अन्य वन निवासी अनुसूचित जनजाति के संरक्षित वनों में आवासों को शामिल किया जाता है।
मनकीडिया समुदाय
- मनकीडिया, हाशिये समूह पर स्थित एक ऐसा समुदाय है, जो गंभीर रूप से केवल सिमलीपाल में मौजूद सियाली फाइबर से रस्सी बनाने के कार्य पर निर्भर करता है। इस निर्णय के पश्चात् इन संसाधनों से वंचित रह जाएगा।
- ओडिशा राज्य के घोषित समस्त पी.वी.टी.जी. की सूची निम्नलिखित हैं-
1. चुकुटिया भुंजिया
2. बिरहोर
3. बोंडो
4. दिदायी
5. डोंगरिया कोंध
6. जुआंग
7. खरिया
8. कुटिया कोंध
9. लांजिया सौरा
10. लोढ़ा
11. मनकीडिया
12. पौड़ी भुइया
13. सुरा
इस निर्णय का आधार क्या है?
- इस संबंध में ज़िला स्तरीय समिति (District Level Committee - DLC) द्वारा की गई कार्यवाही के अनुसार, आवास अधिकार बाघों और अन्य जानवरों के मुक्त विचरण में बाधा उत्पन्न करते हैं, जिससे यहाँ निवास करने वाले लोगों के जीवन को हर समय खतरा बना रहता है।
- यही कारण है कि पी.वी.टी.जी. के निवास अधिकारों को एस.टी.आर. के बफर ज़ोन तक सीमित रखने का निर्णय लिया गया है।
विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (पी.वी.टी.जी.)
- गृह मंत्रालय द्वारा 75 जनजातीय समूहों को विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (पी.वी.टी.जी.) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- पी.वी.टी.जी. 18 राज्यों तथा अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह संघ राज्य-क्षेत्र में रहते हैं।
- जनजातीय कार्य मंत्रालय “विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पी.वी.टी.जी.) का विकास” योजना कार्यान्वित करता है, जो विशेष रूप से उनके लिये ही है।
- इस योजना के तहत प्रत्येक राज्य/संघ राज्य-क्षेत्र द्वारा उनकी आवश्यकता के आकलन के आधार पर अपने पीवीटीजी के लिये संरक्षण-सह-विकास (सी.सी.डी.)/वार्षिक योजनाएँ तैयार की जाती है। तत्पश्चात् इनका मंत्रालय की परियोजना आकलन समिति द्वारा आकलन तथा अनुमोदन किया जाता है।
- पीवीटीजी के विकास के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका तथा कौशल विकास, कृषि विकास, आवास तथा अधिवास, संस्कृति का संरक्षण आदि क्षेत्रों में क्रियाकलाप किये जाते हैं।
जनजातीय कार्य मंत्रालय
- जनजातीय कार्य मंत्रालय का गठन वर्ष 1999 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के द्वि-विभाजन के उपरांत किया गया था।
- इसका उद्देश्य एक समन्वित और सुनियोजित तरीके से भारतीय समाज के अत्यंत शोषित वर्ग अर्थात् अनुसूचित जनजातियों (एस.टी.) के समेकित सामाजिक-आर्थिक विकास पर अधिक ध्यान केन्द्रित करना है।
- इस मंत्रालय के गठन से पहले जनजातीय मामले अलग-अलग समय में विभिन्न मंत्रालयों द्वारा निपटाये जाते थे।
- जनजातीय कार्य मंत्रालय अनुसूचित जनजातियों के विकास कार्यक्रमों की समग्र नीति, आयोजना एवं समन्वयन के लिये एक नोडल मंत्रालय है।
सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान
- सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान ओडिशा के मयूरभंज नामक अनुसूचित ज़िले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान तथा एक हाथी अभ्यारण्य है।
- इस उद्यान का नाम यहाँ बहुतायत में पाए जाने वाले सेमल या लाल कपास के पेड़ों की वजह से रखा गया है।
- यह उद्यान 845.70 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
- इस उद्यान में 99 बाघ और 432 हाथियों के अलावा गौर तथा चौसिंगे भी वास करते हैं।
- आधिकारिक रूप से टाइगर रिजर्व के लिये इसका चयन वर्ष 1956 में किया गया था।
- घने जंगलों, झरनों और पहाड़ियों से समृद्ध इस उद्यान में विविध वन्यजीवों को नज़दीक से देखा जा सकता है। बाघ, हिरन, हाथी और अन्य बहुत से जीव इस उद्यान में मूलत: पाए जाते हैं।