अंतर्राष्ट्रीय संबंध
पटसन सामग्री में अनिवार्य पैकिंग के लिये मानदंडों का विस्तार
- 06 Jan 2018
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चर्चा में क्यों?
आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडल समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs) द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में पटसन वर्ष 2017-18 (1 जुलाई, 2017 से 30 जून, 2018 तक) के लिये खाद्यान्नों तथा चीनी की पैकिंग हेतु अनिवार्य रूप से पटसन सामग्री का प्रयोग किये जाने के संबंध में स्वीकृति प्रदान की गई है। इस निर्णय के प्रभावस्वरूप न केवल पटसन क्षेत्र की मांग में वृद्धि होगी, बल्कि इससे इस क्षेत्र पर निर्भर कामगारों तथा किसानों के जीविकोपार्जन में भी बढ़ोतरी होगी।
विशेषताएँ
- समिति द्वारा पटसन पैकिंग सामग्री (Jute Packaging Material) अधिनियम, 1987 के अंतर्गत अनिवार्य पैकिंग मानदंडों का विस्तार किया गया है।
- समिति के निर्णयों में यह व्यवस्था की गई है कि 90 प्रतिशत खाद्यान्न तथा 20 प्रतिशत चीनी उत्पादों की पैकिंग अनिवार्य रूप से पटसन की बोरियों में की जाएगी।
- इस निर्णय के अंतर्गत यह भी आदेश दिया गया है कि पहली बार में खाद्यान्नों की पैकिंग की पूरी खेप पटसन की बोरियों के लिये प्रदान की जाएगी।
प्रभाव
- इस निर्णय से देश के पूर्वी तथा पूर्वोत्तर क्षेत्रों विशेषकर पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय तथा त्रिपुरा में रहने वाले किसान तथा कामगार लाभान्वित होंगे।
पटसन उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिये सरकार द्वारा किये गए उपाय
- पटसन उद्योग मुख्यत: सरकारी क्षेत्र पर निर्भर उद्योग है, जो प्रतिवर्ष 5500 करोड़ रुपए से अधिक के पटसन उत्पादों की खरीद करता है।
- लगभग 3.7 लाख कामगार तथा लगभग 40 लाख किसान अपनी जीविका के लिये पटसन क्षेत्रों पर निर्भर हैं। इस दृष्टिकोण से सरकार पटसन क्षेत्र के विकास के लिये कच्चे पटसन की गुणवत्ता तथा उत्पादकता में वृद्धि, पटसन क्षेत्र के विविधिकरण तथा पटसन उत्पादों को बढ़ाने और उनकी मांग को बनाए रखने के लिये प्रयास करती है।
- सरकार द्वारा इस संबंध में निम्नलिखित प्रयास किये गए हैं-
⇒ पटसन क्षेत्र में मांग की अभिवृद्धि के मद्देनज़र भारत सरकार द्वारा 5 जनवरी, 2017 से बांग्लादेश तथा नेपाल से पटसन के सामान के आयात पर एंटी- डंपिंग ड्यूटी (Definitive Anti Dumping Duty) लगाई गई है।
⇒ इन उपायों के परिणामस्वरूप, आंध्र प्रदेश की 13 ट्विन मिलों द्वारा पुन: प्रचालन आरंभ किया गया, जिससे 20 हज़ार कामगार लाभान्वित हुए।
⇒ इसके अलावा, एंटी- डंपिंग ड्यूटी लगाए जाने से भारतीय पटसन उद्योग के लिये स्वदेशी बाज़ार में 2 लाख एमटी पटसन सामानों की अतिरिक्त मांग की संभावना भी व्यक्त की गई है।
⇒ पटसन आई-केयर (Jute ICARE) नामक व्यवस्था से कच्ची पटसन की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार करने हेतु भारत सरकार द्वारा बीज ड्रिल का प्रयोग करके लाइन में बुवाई, पहिये वाली कुदाल आदि के वितरण की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
⇒ इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा नोकदार निराई-उपकरण का प्रयोग करके वीड मैनेजमेंट, गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीजों का वितरण तथा माइक्रोबॉयल समर्थित रेटिंग प्रदान करने जैसी कृषि संबंधी प्रक्रियाओं का प्रसार करने की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है। इन सभी कार्यों और प्रयासों का उद्देश्य पटसन की मांग में वृद्धि करके पटसन किसानों को सहायता पहुँचाना है।
वर्तमान स्थिति
- इन सभी व्यवस्थाओं से कच्चे पटसन की गुणवत्ता और उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- इतना ही नहीं पटसन किसानों की आय में 10 हज़ार रुपए प्रति हैक्टेयर तक की वृद्धि हुई है।
- पटसन किसानों की मदद के उद्देश्य से भारतीय पटसन निगम (Jute Corporation of India - JCI) को वर्ष 2014-15 से प्रारंभ 4 वर्ष के लिये 204 करोड़ रुपए का अनुदान दिया गया, ताकि पटसन क्षेत्र में मूल्य स्थिरीकरण सुनिश्चित किया जा सके।
- पटसन क्षेत्र के विविधिकरण को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय पटसन बोर्ड द्वारा राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान (National Institute of Design) के साथ सहयोग किया गया है और गांधीनगर में एक पटसन डिज़ाइन प्रकोष्ठ (Jute Design Cell) खोला गया है।
- राज्य सरकारों, विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा सड़क परिवहन मंत्रालय और जल संसाधन मंत्रालय जैसे विभागों के साथ पटसन जियो-टेक्सटाइल्स और एग्रो-टेक्सटाइल्स (Jute Geo Textiles and Agro-Textiles) के संवर्द्धन की भी शुरुआत की गई है।
- पटसन क्षेत्र में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिये सरकारी एजेंसियों द्वारा बी-ट्विल सेकिंग (B-Twill sacking)की खरीद के लिये एकीकृत प्लेटफॉर्म मुहैया कराने हेतु दिसंबर, 2016 में जूट स्मार्ट (Jute SMART)नामक एक ई-गवर्नमेंट पहल की भी शुरुआत की गई थी।
- इसके अलावा, जेसीआई, एमएसपी और वाणिज्यिक प्रचालनों के अंतर्गत पटसन की खरीद पर पटसन किसानों को 100 प्रतिशत निधियों का अंतरण ऑनलाइन किया जा रहा है।