शासन व्यवस्था
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा के लिये अधिदेश दस्तावेज़
- 02 May 2022
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:मैंडेट डॉक्यूमेंट, नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क, नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP), 2020, मेन्स के लिये:शिक्षा में सुधार, भारतीय शिक्षा प्रणाली का विऔपनिवेशीकरण, सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 के तहत राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के लिये "जनादेश दस्तावेज़" जारी किया है।
- जनादेश दस्तावेज़ की परिकल्पना बच्चों के समग्र विकास, कौशल पर ज़ोर, शिक्षकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका, मातृभाषा में सीखने, सांस्कृतिक जड़ता पर ध्यान देने के साथ एक आदर्श बदलाव लाने के लिये की गई है।
- यह एक कदम भारतीय शिक्षा प्रणाली के विऔपनिवेशीकरण की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण है।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा:
- परिवर्तनकारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन का केंद्र नया राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) है जो हमारे स्कूलों और कक्षाओं में एनईपी 2020 के दृष्टिकोण को वास्तविकता में परिवर्तित करके देश में उत्कृष्ट शिक्षण एवं सीखने की प्रक्रिया को सशक्त बनाएगा।
- NCF के विकास को राष्ट्रीय संचालन समिति (NSC) द्वारा निर्देशित किया जा रहा है, इसकी अध्यक्षता डॉ. के कस्तूरीरंगन कर रहे हैं जो राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के साथअधिदेश समूह द्वारा समर्थित है।
- NCF में शामिल होंगे:
- स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCFSE),
- बचपन की देखभाल और शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCFECCE)
- शिक्षकों की शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCFTE)
- प्रौढ़ शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCFAE)
- सरकार का मानना है कि नई शिक्षा नीति एक दर्शन है, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा एक मार्ग है और वर्तमान में जारी किया गया दस्तावेज़ वह अधिदेश है जो 21वीं सदी की बदलती मांगों को अनुकूल बनाने तथा भविष्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाला संविधान है।
- जनादेश समूह ने 28 फरवरी, 2023 को नए NCF के आधार पर पाठ्यक्रम के संशोधन की समय- सीमा तय की है।
जनादेश दस्तावेज़ की मुख्य विशेषताएँ:
- परामर्शी प्रक्रिया: यह NCF के सुसंगत और व्यापक विकास हेतु तंत्र स्थापित करता है, जो पहले से चल रहे व्यापक परामर्श का पूरी तरह से लाभ उठाता है।
- बहु-अनुशासनात्मक शिक्षा: डिज़ाइन की गई प्रक्रिया लंबवत (चरणों में) और क्षैतिज रूप से समग्र, एकीकृत एवं बहु-विषयक शिक्षा को सुनिश्चित करने हेतु NEP- 2020 में निर्धारित किये गए सहज एकीकरण को सुनिश्चित करती है।
- शिक्षण के लिये अनुकूल वातावरण: यह NEP- 2020 द्वारा परिकल्पित परिवर्तनकारी सुधारों के एक अभिन्न अंग के रूप में शिक्षक शिक्षा के पाठ्यक्रम के साथ स्कूलों के पाठ्यक्रम के बीच महत्त्वपूर्ण जुड़ाव स्थापित करता है।
- इस प्रकार सभी शिक्षकों के लिये एक कठिन तैयारी, निरंतर व्यावसायिक विकास और सकारात्मक कार्य वातावरण को निर्मित करना।
- जीवन भर सीखना: यह देश के सभी नागरिकों के लिये जीवन भर सीखने के अवसरों को सृजित करने की सूचना प्रदान करता है।
- अत्याधुनिक अनुसंधान: विभिन्न संदर्भों में कक्षाओं और स्कूलों के वास्तविक जीवन के चित्रण हेतु सरल भाषा का उपयोग करते हुए ध्वनि सिद्धांत और अत्याधुनिक शोध का सहारा लिया गया है।
- ह्यूज़ लर्निंग लोस: पिछले दो वर्षों में महामारी के कारण नियमित शिक्षण और सीखने में रुकावट की वजह को छात्रों के बीच "ह्यूज़ लर्निंग लोस" की पहचान हेतु राज्यों व केंद्र द्वारा "तत्काल संज्ञान में लिया जाना चाहिये"।
भारतीय शिक्षा प्रणाली का औपनिवेशीकरण (Decolonization):
- औद्योगीकरण और उसके परिणामस्वरूप साम्राज्यवाद एवं उपनिवेशवाद ने विश्व को तीन शताब्दियों तक प्रभावित किया है।
- भारत दो सदियों से ब्रिटिश साम्राज्य का उपनिवेश रहा है।
- भारतीय इतिहास की इन महत्त्वपूर्ण दो शताब्दियों ने न केवल ब्रिटेन की राजनीतिक और आर्थिक शक्ति का प्रभाव देखा, बल्कि भारतीय जीवन के हर क्षेत्र पर इसके प्रभाव को देखा जा सकता है।
- भारत की स्वदेशी शिक्षा प्रणाली धीरे-धीरे प्रतिस्थापित हो गई और शिक्षा का औपनिवेशिक मॉडल औपनिवेशिक-राज्य के संरक्षण में स्थापित हो गया है।
- उपनिवेशवादी भाषा, शिक्षा शास्त्र, मूल्यांकन और ज्ञान आबादी के लिये स्वाभाविक बाध्यता (प्राकृतिक दायित्व) बन गई।
- हालाँकि भारत को वर्ष 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हो गई थी, फिर भी भारतीय शिक्षा प्रणाली में पश्चिमी दुनिया का भारी वर्चस्व है।
- इसलिये भारतीय शिक्षा प्रणाली को तुरंत राजनैतिक रूप से स्वतंत्र करने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद
- NCERT भारत सरकार का एक स्वायत्त संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1961 में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक साहित्यिक, वैज्ञानिक और धर्मार्थ सोसायटी के रूप में की गई थी।
- इसका उद्देश्य अनुसंधान, प्रशिक्षण, नीति निर्माण और पाठ्यक्रम विकास के माध्यम से स्कूली शिक्षा प्रणाली में सुधार करना है।
- मुख्यालय: नई दिल्ली