मछलियों की विदेशी प्रजातियों के आयात का प्रबंधन | 07 Mar 2018

सन्दर्भ

  • भारत में सजावटी मछलियों के आयात में वृद्धि पर चिंता व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) ने सरकार से प्रमुख बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर संगरोध (Quarantine) सुविधाएँ शुरू करने का अनुरोध किया है। NBA के अनुसार ये एलियन सजावटी मछलियाँ भारत की देशी मछलियों की आबादी के लिये खतरा है। 
  • जीवों या पादपों की विदेशी प्रजातियों द्वारा मूल स्थान पर जीवो, पादपों या स्थानीय जैव विविधता को नुकसान होने से रोकने के लिये इनके संचलन या आयात-निर्यात को विधिक रूप से नियंत्रित करना संगरोध अथवा क्वारंटिन कहलाता है।
  • भारत सरकार ने विदेशी सजावटी मछलियों के मात्र 92 प्रजातियों को आयात की अनुमति दी है, लेकिन व्यापार की जाने वाली सजावटी मछलियों की प्रजातियों की संख्या 200-300 के आस पास है।

विदेशी प्रजातियाँ

  • अपने मूल क्षेत्र के अलावा अन्य क्षेत्रों में पाई जाने वाली प्रजातियों को विदेशी प्रजातियाँ कहा जाता है। इन्हें आक्रामक, गैर-स्वदेशी, एलियन प्रजातियाँ अथवा जैवआक्रांता (Bioinvaders) भी कहा जाता है।
  • ये प्रजातियाँ किसी स्थान पर पाई जाने वाली स्वदेशी प्रजातियों से जैविक और अजैविक संसाधनों के संदर्भ में प्रतिस्पर्द्धा कर स्थानीय पर्यावरण के साथ ही मानव स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती हैं।

मछलियों से खतरे की वजह

  • एलियन शिकारी मछलियाँ आसानी से नए पारिस्थितिकी तंत्र में खुद को आसानी से ढाल लेती हैं। एक बार पारिस्थितिकी तंत्र में ढल जाने के बाद ये मछलियाँ मूल प्रजातियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने लगती हैं। उदाहरण के लिये- गोल्ड फिश, अमेरिकन कैटफ़िश, टाइनी गप्पी, थ्री-स्पॉट गौरामी
  • गोल्ड फिश: यह मछली जलीय वनस्पतियों के साथ ही मूल प्रजातियों के वंश-वृद्धि क्षेत्र को भी कम करती है 
  • अमेरिकन कैटफ़िश: यह मछली अत्यधिक चराई (Overgrazing) की वज़ह से खाद्य श्रृंखला को प्रभावित करती है। ये मछलियाँ शैवाल भक्षक भी कहलाती हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • NBA ने दावा किया है कि आक्रामक एलियन प्रजातियों (Invasive Alien Species-IAS) का बड़ा बाज़ार भारत की जलीय जैव विविधता के लिये बड़ा खतरा बन रहा है। 
  • ज्यादातर एलियन मछलियाँ दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से आयात की जाती हैं। 
  • देश में कोलकाता और चेन्नई दोनों ही सजावटी मछलियों के व्यापार के लिये एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरे हैं।
  • विज्ञान पत्रिका करंट साइंस में 'सजावटी मछलियों की उपस्थिति: भारत में अंतर्देशीय मछली विविधता के लिये एक खतरा' शीर्षक से प्रकाशित एक शोध-पत्र में बताया गया है कि इस तरह की प्रजातियों का निर्यात 14% की वार्षिक औसत दर से बढ़ रहा है।
  • जैव विविधता और नीति तथा कानून के लिये केंद्र (CEBPOL) के तहत, NBA आईएएस की राष्ट्रीय सूची प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहा है। 
  • हालाँकि, अब तक किसी भी वैज्ञानिक संगठन ने विभिन्न श्रेणियों के स्थलीय पौधों, जलीय पौधों, अंतर्देशीय मत्स्यपालन, समुद्री जीवों, कीड़े और रोगाणुओं में राष्ट्रीय आईएएस सूची बनाने का कोई प्रयास नहीं किया है।

जैव विविधता नीति:

  • CEBPOL भारत एवं नार्वे सरकार के बीच द्विपक्षीय सहयोग है जो जैव विविधता नीतियों तथा कानूनों पर केंद्रित है।

जैव विविधता अधिनियम:

  • वर्ष 2002 में जैव विविधता अधिनियम बनाया गया और वर्ष 2004 में जैव विविधिता नियम अधिसूचित किये गए। इस अधिनियम का कार्यान्‍वयन राष्‍ट्र, राज्‍य और स्‍थानीय स्‍तर पर तीन स्‍तरीय संस्‍थानों द्वारा होता है। 
  • राष्ट्रीय जैव विविधिता प्राधिकरण (NBA) की स्थापना अक्तूबर, 2003 में चेन्नई में की गई।
  • यह अधिनियम जैव सर्वेक्षण तथा जैव उपयोगिता के प्रयोजनों हेतु अथवा अनुसंधान प्रयोजनों या व्‍यवसाय हेतु भारत से जुड़े ज्ञान एवं जैविक संसाधनों के उपयोग तथा उनके संरक्षण को शामिल करता है। 
  • यह जैविक संसाधनों को प्राप्‍त करने तथा उनके उपयोग से होने वाले लाभों को साझा करने के लिये एक रूपरेखा प्रदान करता है।