भारतीय इतिहास
मलेरकोटला: पंजाब का 23वाँ ज़िला
- 21 May 2021
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में पंजाब सरकार ने राज्य के 23वें ज़िले के रूप में मलेरकोटला (Malerkotla) के गठन की घोषणा की है।
- पंजाब भूमि राजस्व अधिनियम, 1887 की धारा 5 के अनुसार, "राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा तहसीलों, ज़िलों तथा डिवीजनों जिनमें राज्य विभाजित है, की संख्या में परिवर्तन कर सकती है या उन्हें बदल सकती है"
प्रमुख बिंदु:
मलेरकोटला का इतिहास:
- मलेरकोटला एक पूर्व रियासत है और पंजाब का एकमात्र मुस्लिम बहुल शहर है।
- ऐतिहासिक रूप से मलेरकोटला की नींव 15वीं शताब्दी में सूफी संत शेख सदरूद्दीन सदर-ए-जहां ने रखी इन्हें हैदर शेख के नाम से भी जाना जाता है।
- मुगल साम्राज्य के पतन के बाद मलेरकोटला के शासकों ने अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग किया और अफगानिस्तान के अहमद शाह अब्दाली के साथ गठबंधन कर लिया जब उसने भारत पर आक्रमण किया।
- अहमद शाह अब्दाली ने वर्ष 1748-1767 तक भारत पर आठ बार आक्रमण किया।
- 19वीं शताब्दी में मलेरकोटला सीस-सतलज (cis-Sutlej) राज्यों में से एक बन गया।
- मलेरकोटला वर्ष 1947 तक (जब यह पूर्वी पंजाब में एकमात्र मुस्लिम बहुल सिख राज्य बन गया) ब्रिटिश संरक्षण और पड़ोसी सिख राज्यों के साथ गठबंधन के तहत अस्तित्व में रहा।
- वर्ष 1948 में रियासतों के विघटन के बाद मलेरकोटला पेप्सू या पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ (PEPSU) के नए राज्य में शामिल हो गया। पेप्सू को वर्ष 1954 में ही भंग कर दिया गया तथा मलेरकोटला पंजाब का हिस्सा बन गया।
सीस-सतलज राज्य (Cis- Sutlej Sates):
- सिस-सतलज राज्य 19वीं शताब्दी में पंजाब क्षेत्र में छोटे राज्यों का एक समूह था जो उत्तर में सतलज नदी, पूर्व में हिमालय, दक्षिण में यमुना नदी और दिल्ली ज़िला तथा पश्चिम में सिरसा ज़िले के बीच स्थित था।
- इन राज्यों को अंग्रेज़ो द्वारा सिस-सतलज कहा जाता था क्योंकि वे ब्रिटिश या दक्षिणी सतलज नदी के किनारे पर स्थित थे।
- सिस-सतलुज राज्यों में कैथल, पटियाला, जींद, थानेसर, मलेरकोटला और फरीदकोट शामिल थे।
- सिख महाराजा रणजीत सिंह के राज्य में इसके विलय के खतरे के कारण उन्होंने अंग्रेज़ो से अपील की जिन्होंने रणजीत सिंह के साथ अमृतसर की संधि (1809) द्वारा उन पर प्रभुत्व स्थापित किया।
- राज्य, भारत की स्वतंत्रता (1947) तक अस्तित्व में रहे, उस समय वे पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ (PEPSU) में संगठित हो गए थे।
- बाद में वे भारतीय राज्यों पंजाब और हरियाणा में समाहित हो गए।
- मलेरकोटला और सिख समुदाय:
- 'हा दा नारा' एपिसोड 1705 (Haa Da Naara’ Episode 1705):
- वर्ष 1705 में सरहिंद के नवाब वजीर खान द्वारा गुरु गोविंद सिंह के छोटे साहिबजादे के सबसे छोटे बेटों [जोरावर सिंह (9) और फतेह सिंह (6)] के क्रूर निष्पादन के खिलाफ मलेरकोटला नवाब शेर मोहम्मद खान ने अपनी आवाज ('हा दा नारा') उठाई थी।
- शेर मोहम्मद खान द्वारा उठाई गई आवाज की याद में मलेरकोटला में गुरुद्वारा हा दा नारा साहिब की स्थापना की गई।
- वर्ष 1705 में सरहिंद के नवाब वजीर खान द्वारा गुरु गोविंद सिंह के छोटे साहिबजादे के सबसे छोटे बेटों [जोरावर सिंह (9) और फतेह सिंह (6)] के क्रूर निष्पादन के खिलाफ मलेरकोटला नवाब शेर मोहम्मद खान ने अपनी आवाज ('हा दा नारा') उठाई थी।
- वड्डा घल्लूगारा (1762): नवाब भीकम शाह ने वर्ष 1762 में सिखों के खिलाफ लड़ाई में अब्दाली की सेना की तरफ से युद्ध लड़ा।
- इस युद्ध को 'वड्डा घल्लूगारा' या महान प्रलय के रूप में जाना जाता है जिसमें हज़ारों सिख मारे गए थे।
- मित्रता की संधि (1769): वर्ष 1769 में मलेरकोटला के तत्कालीन नवाब द्वारा पटियाला के राजा अमर सिंह के साथ मित्रता की संधि पर हस्ताक्षर किये गए।
- नामधारी नरसंहार (1872): 15 जनवरी, 1872 को हीरा सिंह और लहना सिंह के नेतृत्व में नामधारी (सिखों का एक पंथ) की टुकड़ियों ने मलेरकोटला (पंजाब) के ब्रिटिश प्रशासन पर हमला किया।
- ब्रिटिश प्रशासन ने आदेश दिया कि नामधारी क्रांतिकारियों को परेड ग्राउंड में लाया जाए और तोपों से उड़ा दिया जाए।
- शहादत के प्रतीक के रूप में उस मैदान का नाम अब 'कुकिया दा शहीदी पार्क' (Kukian Da Shaheedi Park) रखा गया है।
- ब्रिटिश प्रशासन ने आदेश दिया कि नामधारी क्रांतिकारियों को परेड ग्राउंड में लाया जाए और तोपों से उड़ा दिया जाए।
- 'हा दा नारा' एपिसोड 1705 (Haa Da Naara’ Episode 1705):
नए ज़िले का निर्माण
- राज्य की भूमिका: नए ज़िले बनाने या मौजूदा ज़िलों की स्थिति बदलने या उन्हें समाप्त करने की शक्ति राज्य सरकारों में निहित है।
- ऐसा या तो एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से या राज्य विधानसभा में एक कानून पारित करके किया जा सकता है।
- अधिकांश राज्य केवल आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना जारी करके ज़िले संबंधी प्रावधानों में परिवर्तन करना पसंद करते हैं।
- निर्माण का उद्देश्य: राज्यों का तर्क है कि छोटे ज़िले बेहतर प्रशासन को बढ़ावा देते हैं।
- उदाहरण के लिये वर्ष 2016 में असम सरकार ने ‘प्रशासनिक सुविधा’ के लिये ‘माजुली उप-मंडल’ को ‘माजुली ज़िले’ में परिवर्तित करने के लिये एक अधिसूचना जारी की थी।
- केंद्र की भूमिका: ज़िलों के परिवर्तन या नए ज़िलों के निर्माण में केंद्र की कोई भूमिका नहीं है। राज्य इस संबंध में निर्णय लेने के लिये पूर्णतः स्वतंत्र हैं।
- गृह मंत्रालय: गृह मंत्रालय की भूमिका तब महत्त्वपूर्ण हो जाती है जब कोई राज्य किसी ज़िले या रेलवे स्टेशन का नाम बदलना चाहता है।
- राज्य सरकार के अनुरोध को अन्य विभागों और एजेंसियों- जैसे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, खुफिया विभाग, डाक विभाग, भारतीय भौगोलिक सर्वेक्षण विभाग, विज्ञान एवं रेल मंत्रालय को मंज़ूरी के लिये भेजा जाता है।
- इन विभागों और मंत्रालयों द्वारा आवश्यक जाँच के बाद अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है।
- गृह मंत्रालय: गृह मंत्रालय की भूमिका तब महत्त्वपूर्ण हो जाती है जब कोई राज्य किसी ज़िले या रेलवे स्टेशन का नाम बदलना चाहता है।
- भारत में ज़िलों की संख्या
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश में कुल 593 ज़िले थे।
- वर्ष 2001-2011 के बीच राज्यों द्वारा कुल 46 ज़िलों का निर्माण किया गया।
- यद्यपि वर्ष 2021 की जनगणना अभी बाकी है, लेकिन वर्तमान समय में देश में लगभग 718 ज़िले हैं।
- देश में ज़िलों की संख्या में वृद्धि का एक प्रमुख कारण वर्ष 2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन और तेलंगाना के निर्माण को माना जा सकता है।
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश में कुल 593 ज़िले थे।