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मालदीव और श्रीलंका में खसरे तथा रूबेला की समाप्ति

  • 09 Jul 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये

खसरा, रूबेला, खसरे तथा रूबेला से मुक्त देश

मेन्स के लिये

खसरे तथा रूबेला के उन्मूलन हेतु WHO द्वारा किये गए प्रयास, इस संबंध में भारत की नीतियाँ

चर्चा में क्यों?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) द्वारा की गई हालिया घोषणा के अनुसार, मालदीव और श्रीलंका वर्ष 2023 के निर्धारित लक्ष्य से पूर्व ही दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में खसरा (Measles) और रूबेला (Rubella) को समाप्त करने वाले पहले दो देश बन गए हैं।

प्रमुख बिंदु

  • इस संबंध में मालदीव और श्रीलंका को बधाई देते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा कि ‘इस प्रकार के रोगों के विरुद्ध बच्चों की रक्षा करना, स्वस्थ आबादी प्राप्त करने के वैश्विक प्रयास का एक महत्त्वपूर्ण कदम है।’
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नियमों के अनुसार, एक देश को खसरा (Measles) और रूबेला (Rubella) मुक्त तब माना जाता है, जब वहाँ कम-से-कम तीन वर्ष से अधिक समय तक खसरा और रूबेला वायरस के स्थानिक संचरण (Endemic Transmission) का कोई भी मामला सामने नहीं आया है।
    • उल्लेखनीय है कि मालदीव में खसरे का आखिरी मामला वर्ष 2009 में और रूबेला का अंतिम स्थानिक मामला वर्ष 2015 में सामने आया था।
    • वहीं जबकि श्रीलंका में खसरे का आखिरी मामला वर्ष 2016 में और रूबेला का अंतिम स्थानिक मामला वर्ष 2017 में सामने आया था।

इस उपलब्धि का महत्त्व

  • ऐसे समय में जब संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी से जूझ रहा है, तो यह सफलता काफी उत्साहजनक है और संयुक्त प्रयासों के महत्त्व को प्रदर्शित करती है।
  • इस उपलब्धि के परिणामस्वरूप विश्व भर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों को COVID-19 महामारी से लड़ने की प्रेरणा मिलेगी।

दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में खसरा और रूबेला के उन्मूलन की रणनीति

  • हाल के कुछ वर्षों में दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र के लगभग सभी देशों ने अपने नियमित टीकाकरण कार्यक्रमों में खसरा के टीके की दो खुराकों और रूबेला के टिके की कम-से-कम एक खुराक को शामिल किया है।
  • WHO द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017 के बाद से अब तक इस क्षेत्र में लगभग 500 मिलियन अतिरिक्त बच्चों को खसरा और रूबेला का टीका लगाया गया है।
  • इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में खसरा और रूबेला के निगरानी तंत्र को मज़बूत करने का कार्य भी किया गया है।
  • गौरतलब है कि WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र (WHO South-East Asia Region) के सदस्य देशों ने बीते वर्ष सितंबर माह में खसरा (Measles) और रूबेला (Rubella) के उन्मूलन के लिये वर्ष 2023 तक का लक्ष्य निर्धारित किया था और मालदीव तथा श्रीलंका ने इससे पूर्व ही यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया है।

भारत में खसरा और रूबेला 

  • वर्ष 2019 के आँकड़ों के अनुसार, मई, 2018 से अप्रैल, 2019 की अवधि के बीच भारत में खसरे  के कुल 47,056 और रूबेला के कुल 1,263 मामले सामने आए थे।
  • गौरतलब है कि भारत ने विश्व के सबसे बड़े खसरा-रूबेला (MR) उन्मूलन अभियान की शुरुआत की है, जिसमें 9 महीने से 15 वर्ष तक की आयु के 410 मिलियन बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

COVID-19 - टीकाकरण अभियान में बाधा

  • एक वैश्विक सर्वेक्षण के अनुसार, COVID-19 महामारी के कारण मार्च और अप्रैल माह के दौरान विश्व के अधिकांश देशों ने आंशिक अथवा पूर्ण रूप से टीकाकरण सेवाओं को निलंबित कर दिया था।
  • इस संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children's Fund-UNICEF) ने भी चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि COVID-19 से उत्पन्न समस्याओं के कारण एक वर्ष से कम आयु के लगभग 80 मिलियन बच्चों का जीवन जोखिम में है।
    • WHO के अनुसार, खसरा, पोलियो और हैजा जैसे रोगों के उन्मूलन हेतु दशकों से चलाए जा रहे टीकाकरण कार्यक्रमों में बाधा उत्पन्न होने से संपूर्ण विश्व को आगामी दिनों में अत्यधिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • WHO द्वारा जारी की गई प्राथमिक सूचना के मुताबिक मौजूदा महामारी के कारण टीकाकरण अभियान की कवरेज और निगरानी दोनों ही काफी ज़्यादा प्रभावित हुए हैं।
  • हालाँकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विश्व के अधिकांश देश महामारी के कारण प्रभावित हुए टीकाकरण अभियानों को पुनः शुरुआत करने पर ज़ोर दे रहे हैं, जिससे मौजूदा टीकाकरण अंतराल को जल्द-से-जल्द भरा जा सके।

खसरा (Measles)

  • खसरा एक अत्यधिक संक्रामक वायरस जनित रोग होता है, जो कि मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है। 
  • यह संक्रामक रोग विशेष रूप से मोर्बिलीवायरस (Morbillivirus) के जीन्स पैरामिक्सोवायरस (Paramicovirus) के संक्रमण से होता है।
  • इसके लक्षणों में बुखार, खाँसी और आँखों का लाल हो जाना आदि शामिल हैं। 
  • WHO के अनुसार, खसरे (Measles) का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है और अधिकतर लोग 2-3 सप्ताह में स्वतः ही ठीक हो जाते हैं।
  • हालाँकि कुपोषण से पीड़ित बच्चों और कम प्रतिरक्षा क्षमता (Immunity) वाले लोगों में खसरा गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है, जिसमें अंधापन, मस्तिष्क में सूजन और निमोनिया आदि शामिल हैं। खसरे को टीकाकरण द्वारा रोका जा सकता है।

रूबेला (Rubella) 

  • रूबेला को ‘जर्मन खसरे’ (German Measles) के नाम से भी जाना जाता है, यह भी एक संक्रामक वायरस जनित रोग है, हालाँकि इसके लक्षण काफी सामान्य सामान्य होते हैं।
  • वायरस श्वसन मार्ग के माध्यम से प्रेषित होता है और इसके लक्षण सामान्यतः संक्रमण के 2-3 सप्ताह बाद दिखाई देते हैं। 
  • विशेषज्ञ मानते हैं कि रूबेला उन अजन्मे शिशुओं के लिये गंभीर समस्या पैदा कर सकता है जिनकी माताएँ गर्भावस्था के दौरान इस रोग से संक्रमित हो जाती हैं।

स्रोत: द हिंदू बिज़नेस लाइन

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