केरल के सभी स्कूलों में मलयालम भाषा को अनिवार्य बनाया गया | 12 Apr 2017
संदर्भ
गौरतलब है कि हाल ही में केरल सरकार ने मलयालम भाषा के संबंध में एक मानक अध्यादेश का जारी करते हुए राज्य के सभी स्कूलों में कक्षा 10 तक मलयालम भाषा को पढ़ाया जाना अनिवार्य बना दिया है|
अध्यादेश के प्रमुख बिंदु
- ध्यातव्य है कि यह नया कानून चालू शैक्षणिक वर्ष से ही लागू हो जाएगा|
- यह नया कानून राज्य द्वारा अनुदानित, गैर अनुदानित अथवा स्व-वित्त पोषित सभी संस्थानों के साथ-साथ सी.बी.एस.ई. और आई.सी.एस.ई. के पाठ्यक्रमों पर लागू होगा।
कठोर जुर्माने का प्रावधान
- इसके साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई स्कूल उक्त नए नियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा|
- इसके अतिरिक्त यह भी स्पष्ट किया गया है कि विद्यालयों को उक्त निर्णय के विरोध में यथा; मलयालम भाषा को बोलने से प्रतिबंधित करने के सन्दर्भ में किसी भी प्रकार के बोर्ड या नोटिस नहीं लगाने चाहिये| ऐसा करने वाले संस्थानों के हेडमास्टर्स (प्रधानाचार्य) पर 5,000₹ तक का जुर्माना लगाया जाएगा|
- इस अध्यादेश में दूसरे राज्यों एवं देशों से आए विद्यार्थियों को मलयालम भाषा सीखने की अनिवार्यता से छूट प्रदान की गई है| हालाँकि भाषाई अल्पसंख्यकों के पास मलयालम सीखने का विकल्प उपलब्ध होगा|
एक अधिकारिक भाषा के तौर पर मलयालम
- ध्यातव्य है कि राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों में एक मई से आधिकारिक भाषा के रूप में मलयालम का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है|
- इस संबंध में जारी की गई एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह अध्यादेश अर्ध सरकारी संस्थानों (quasi-government institutions), सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (public sector undertakings), स्वायत्त संस्थानों (autonomous institutions) और सहकारी क्षेत्र के संस्थानों (institutions in the cooperative sector) पर भी समान रूप से लागू होगा।