नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय इतिहास

मालाबार विद्रोह

  • 30 Mar 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मालाबार विद्रोह, वरियमकुन्नाथु कुन्हाहमद हाजी, महात्मा गांधी, असहयोग आंदोलन, टीपू सुल्तान।

मेन्स के लिये:

मालाबार विद्रोह, आधुनिक भारतीय इतिहास, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (ICHR) ने वर्ष 1921 के मालाबार विद्रोह (मोपला विद्रोह) के शहीदों को भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की सूची से हटाने की सिफारिश पर अपना निर्णय टाल दिया है।

  • सिफारिश में वरियमकुन्नाथु कुन्हाहमद हाजी और अली मुसलियार के नाम भी शामिल थे।

भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद:

  • परिचय:
    • यह एक स्वायत्त संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1972 में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत की गई थी।
    • यह शिक्षा मंत्रालय के अधीन है।
  • उद्देश्य:
    • विचारों के आदान-प्रदान हेतु इतिहासकारों को एक साथ लाना।
    • इतिहास के वस्तुपरक एवं वैज्ञानिक लेखन को राष्ट्रीय दिशा देना।
    • इतिहास में अनुसंधान को बढ़ावा देना और इसका समन्वय करना तथा इसका प्रसार सुनिश्चित करना।
    • परिषद ऐतिहासिक शोध हेतु अनुदान, सहायता और फैलोशिप भी प्रदान करता है।

पृष्ठभूमि

  • सोलहवीं शताब्दी में जब पुर्तगाली व्यापारी मालाबार तट पर पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि मप्पिला एक व्यापारिक समुदाय है, जो शहरी केंद्रों में केंद्रित है और स्थानीय हिंदू आबादी से काफी अलग है।
  • हालाँकि पुर्तगाली वाणिज्यिक शक्ति में वृद्धि के साथ मप्पिला समुदाय ने खुद को एक प्रतियोगी पाया और नए आर्थिक अवसरों की तलाश में तेज़ी से देश के आंतरिक भागों की ओर आगे बढ़ना शुरू कर दिया।
  • मप्पिलाज़ के स्थानांतरण से स्थानीय हिंदू आबादी और पुर्तगालियों के बीच धार्मिक पहचान के लिये टकराव उत्पन्न हुआ।

मोपला/मप्पिला:

  • मप्पिला नाम मलयाली भाषी मुसलमानों को दिया गया है जो उत्तरी केरल के मालाबार तट पर निवास करते हैं।
  • वर्ष 1921 तक मोपला ने मालाबार में सबसे बड़े और सबसे तेज़ी से बढ़ते समुदाय का गठन किया। मालाबार की एक मिलियन की कुल आबादी में मोपला 32% के साथ दक्षिण मालाबार क्षेत्र में केंद्रित थे।

मोपला विद्रोह:

  • परिचय:
    • मुस्लिम धर्मगुरुओं के उग्र भाषणों और ब्रिटिश विरोधी भावनाओं से प्रेरित होकर मप्पिलाज़ ने एक हिंसक विद्रोह शुरू किया। साथ ही कई हिंसक घटनाओं की सूचना दी गई तथा ब्रिटिश एवं हिंदू ज़मींदारों दोनों के खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत की गई थी।
    • कुछ लोग इसे धार्मिक कट्टरता का मामला बताते हैं, वहीं कुछ अन्य लोग इसे ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ संघर्ष के उदाहरण के रूप में देखते हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो मालाबार विद्रोह को ज़मींदारों की अनुचित प्रथाओं के खिलाफ एक किसान विद्रोह मानते हैं। .
    • जबकि इतिहासकार इस मामले पर बहस जारी रखते हैं, इस प्रकरण पर व्यापक सहमति से पता चलता है कि यह राजनीतिक शक्ति के खिलाफ संघर्ष के रूप में शुरू हुआ था जिसने बाद में सांप्रदायिक रंग ले लिया।
      • अधिकांश ज़मींदार नंबूदिरी ब्राह्मण थे, जबकि अधिकांश काश्तकार मापिल्ला मुसलमान थे।
      • दंगों में 10,000 से अधिक हिंदुओं की सामूहिक हत्याएँ, महिलाओं के साथ बलात्कार, ज़बरन धर्म परिवर्तन, लगभग 300 मंदिरों का विध्वंस या उन्हें क्षति पहुँचाई गई, करोड़ों रुपए की संपत्ति की लूट और आगजनी तथा हिंदुओं के घरों को जला दिया गया।
  • समर्थन:
    • प्रारंभिक चरणों में आंदोलन को महात्मा गांधी और अन्य भारतीय राष्ट्रवादी नेताओं का समर्थन प्राप्त था लेकिन जैसे ही यह हिंसक हो गया उन्होंने खुद को इससे दूर कर लिया।
  • पतन:
    • वर्ष 1921 के अंत तक अंग्रेज़ों ने विद्रोह को कुचल दिया था, जिन्होंने दंगा रोकने के लिये एक विशेष बटालियन, मालाबार स्पेशल फोर्स का गठन किया था।
  • वैगन ट्रैज़डी (Wagon Tragedy)::
    • नवंबर 1921 में 67 मोपला कैदी उस समय मारे गए थे, जब उन्हें तिरूर से पोदनूर की केंद्रीय जेल में एक बंद माल डिब्बे में ले जाया जा रहा था और दम घुटने से इनकी मौत हो गई। इस घटना को वैगन ट्रैज़डी कहा जाता है।

कारण:

  • असहयोग और खिलाफत आंदोलन:
    • विद्रोह का ट्रिगर का कारण 1920 में कॉन्ग्रेस द्वारा खिलाफत आंदोलन के साथ शुरू किया गया असहयोग आंदोलन था।
    • इन आंदोलनों से प्रेरित ब्रिटिश विरोधी भावना ने मुस्लिम मप्पिलाज़ को प्रभावित किया।
  • नए काश्तकार कानून:
    • 1799 में चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध में टीपू सुल्तान की मृत्यु के बाद मालाबार मद्रास प्रेसीडेंसी के हिस्से के रूप में ब्रिटिश अधिकार में आ गया था।
    • अंग्रेज़ों ने नए काश्तकारी कानून पेश किये थे, जो ज़मींदारों के पक्ष में थे और किसानों के लिये पहले की तुलना में कहीं अधिक शोषणकारी व्यवस्था थी।
    • नए कानूनों ने किसानों को भूमि के सभी गारंटीकृत अधिकारों से वंचित कर उन्हें भूमिहीन बना दिया।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow