विधि आयोग ने बीसीसीआई को सरकारी संस्था मानने की सिफारिश की | 19 Apr 2018

चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के विधि आयोग ने सरकार से सिफारिश की है कि बीसीसीआई और उसके सभी सदस्य क्रिकेट संघों को सूचना का अधिकार अधिनियम व्यवस्था तहत लाया जाना चाहिये। ध्यातव्य है कि जुलाई 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने विधि आयोग से यह सिफारिश करने को कहा था कि क्या बोर्ड को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत लाया जा सकता है।

बीसीसीआई के संबंध में विधि आयोग की रिपोर्ट

  • विधि आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत यह सरकारी संस्था होने के सभी मानदंडों पर पूरा करती है।

अनुच्छेद 12
राज्य की परिभाषा (भारत की सरकार व संसद, राज्यों की सरकारें व विधानमंडल, सभी स्थानीय प्राधिकारी, अन्य प्राधिकारी)

  • विधि आयोग का कहना है कि करों में छूट और सस्ती जमीन हासिल कर बीसीसीआई सैंकड़ों करोड़ रुपए के सार्वजनिक धन का उपयोग कर रही है। इसीलिये इसके बारे में आम जनता को बीसीसीआई से जवाब-तलब करने का अधिकार है।
  • समयानुसार भारत की विदेश नीति का अनुसरण करते हुए वह पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं खेलती। साथ ही, भारतीय बने रहने के लिये किसी विदेशी खिलाड़ी को अपनी टीम में शामिल भी नहीं करती है।
  • भारतीय खिलाडि़यों के परिधानों में तिरंगे और अशोक चक्र का इस्तेमाल भी किया जाता है।
  • सरकार के तहत आने वाले खेल संघों की तरह क्रिकेट खिलाडि़यों को अर्जुन अवार्ड प्रदान किये जाने की अनुसंशा भी करती है।
  • कानून मंत्री को सौंपी गई रिपोर्ट में विधि आयोग ने बीसीसीआई को आरटीआई के दायरे में लाने की ज़ोरदार वकालत करते हुए कहा है कि यह देश की ऐसी खेल संस्था है, जिसका नाम युवा कार्यक्रम व खेल मंत्रालय की वेबसाइट पर खेल संघों की सूची में शामिल नहीं है। 
  • इस सूची में बीसीसीआई का नाम शामिल करते ही यह आरटीआई के दायरे में आ जाएगी।