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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सूर्य के नज़दीकी बौने तारे में सौर चमक का अवलोकन

  • 21 Jul 2017
  • 6 min read

संदर्भ
उल्लेखनीय है कि सूर्य के नज़दीकी पड़ोसी तारे प्रोक्सिमा सेंचुरी (Proxima Centauri) को रहने योग ग्रहों की श्रेणी में शामिल नहीं किया जा सकता है। प्रोक्सिमा सेंचुरी एक ठंडा और बौना तारा है जोकि पृथ्वी से चार प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। अन्य अंतरिक्ष और पृथ्वी पर स्थिति वेधशालाओं के साथ ही एस्ट्रोसेट ने भी इस तारे से निकलने वाली सौर लपटों का अवलोकन किया है। 

प्रमुख बिंदु

  • टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के मुताबिक, यदि ऊर्जा को 10 अर्ग से बढ़ाकर 30 अर्ग कर दिया जाए तो यह विस्फोट 100 गुना अधिक होगा। यदि ऐसी ही चमक सूर्य में भी होती तो इसका पृथ्वी पर स्थित पॉवर ग्रिडों, प्रसारण और बिजली व इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर विपरीत प्रभाव पड़ता और इसके कारण अंतरिक्ष में पराबैंगनी किरणों की मात्रा में भी वृद्धि हो जाती। 
  • विदित हो कि 31 मई, 2017 को तीन अंतरिक्ष आधारित वेधशालाओं, ‘द एस्ट्रोसेट’, ‘चन्द्र एंड हब्बल स्पेस टेलिस्कोप’ और भूमि आधारित ‘हाई एक्यूरेसी रेडियल वेलोसिटी प्लेनेट सर्चर ऑब्जर्वेटरी’(HARPS) ने कई तरंग दैर्घ्यों का एक साथ अवलोकन करने वाले एक अभियान में भाग लिया। 
  • सभी उपग्रहों की मिशन टीमों ने इस तारे के विषय में पता लगाने पर अपनी सहमति जाहिर की और इस तारे को देखने में ही पूरा दिन व्यतीत कर दिया। यदि यह कार्य रात्रि के समय किया गया होता और टेलिस्कोप की दिशा इसी तारे की ओर होती तो एस्ट्रोसेट इतना संवेदनशील था कि यह पृथ्वी के नज़दीकी ग्रहों में से किसी की भी लपटों से प्रभावित हो सकता था।
  • पिछले वर्ष प्रोक्सिमा सेंचुरी बी की खोज की गई थी। यह प्रोक्सिमा सेंचुरी की परिक्रमा करने वाला ग्रह है तथा सबसे महत्वपूर्ण यह है कि यह इसके रहने योग्य (गोल्डीलॉक) क्षेत्र में पड़ता है। अतः सभी वैज्ञानिक इस विषय में जानने को उत्सुक थे कि क्या प्रोक्सिमा सेंचुरी में भी जीवन संभव हो सकता है। 
  • प्रोक्सिमा सेंचुरी की सौर लपटें प्रोक्सिमा सेंचुरी बी जीवन को असंभव बना देती हैं।

बौने ग्रह

  • बौने ग्रहों की अधिकांश विशेषताएं ग्रहों के समान ही होती हैं परन्तु फिर भी उनमें अंतर विद्यमान है। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ ने बौने ग्रहों को इस रूप में परिभाषित किया है-

→ यह ऐसे खगोलीय पिंड है जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं।
→ गोल आकृति लेने के लिये इनमें पर्याप्त द्रव्यमान उपस्थित होता है।
→ यह अन्य ग्रहों की कक्षा को काटते हैं।
→ इनका कोई उपग्रह नहीं होता है।

  • हमारे सौरमंडल में 5 आधिकारिक मान्यता प्राप्त बौने ग्रह हैं। इनके नाम क्रमशः सीरिस (ceres), प्लूटो (pluto), हउमेया (haumea), माकेमाके (makemake) और एरिस (eris) हैं।
  • सीरिस (यह क्षुद्रग्रहों की पट्टी में स्थित है) को छोड़कर अन्य बौने गृह बाह्य सौरमंडल में पाए जाते हैं। बौने ग्रहों में से केवल दो पर ही अंतरिक्ष यानों द्वारा यात्रा की गई है। बौने ग्रह बुद्ध ग्रह से भी छोटे हैं।

बौने तारे

  • औसत और निम्न चमक, द्रव्यमान और आकार के तारों को ‘बौना तारा’ कहा जाता है। बौने तारों को कुछ उपवर्गों में विभाजित किया गया है, जैसे- श्वेत बौना तारा और लाल बौना तारा इत्यादि । बौने तारों के रंग की तरंगदैर्ध्य लाल से नीली होती है तथा इनसे संबंधित तापमान उच्च(10,000 केल्विन से अधिक) से निम्न(कुछ हज़ार केल्विन) होता है। 
  • बौना तारा एक सामान्य तारा होता है। बेशक कुछ बौने तारे सामान्य तारों से भी छोटे होते हैं तथा इन्हें श्वेत बौने तारे, लाल बौने तारे , भूरे बौने तारे और काले बौने तारे का नाम दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि सूर्य भी एक बौना तारा है यह पीले बौने तारे की श्रेणी में शामिल है। 
  • बौने तारे का द्रव्यमान 20 सोल्स (सोल्स एक इकाई है ,इसका तात्पर्य सूर्य के द्रव्यमान, सूर्य की चमक आदि से हो सकता है) होता है और इसकी चमक लगभग 20,000 सोल्स होती है।
  • अधिकांश तारे मुख्य अनुक्रम(प्रत्येक की चमक 20,000 सोल्स से कम) की श्रेणी में आते हैं जबकि मुख्य अनुक्रम वाले कुछ ही तारों का द्रव्यमान 20 सोल्स से अधिक होता है। जब एक तारे का सम्पूर्ण ईंधन जल जाता है तो यह श्वेत तथा बाद में काला बौना तारा बन जाता है। 
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