कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर शिखर सम्मेलन | 03 Mar 2020
प्रीलिम्स के लिये:सामाजिक सशक्तिकरण के लिये उत्तरदायी कृत्रिम बुद्धिमत्ता-2020 मेन्स के लिये:कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार ने 11-12 अप्रैल को नई दिल्ली में ‘सामाजिक सशक्तीकरण के लिये उत्तरदायी कृत्रिम बुद्धिमत्ता-2020’ (Responsible AI for Social Empowerment-2020) यानी रेज़-2020 (RAISE 2020) नामक एक वृहद् आयोजन की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु
- रेज़-2020 सरकार द्वारा उद्योग और शिक्षा क्षेत्र के साथ साझेदारी में आयोजित किया जाने वाला भारत का पहला कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) शिखर सम्मेलन है।
- इस शिखर सम्मेलन के दौरान स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में सामाजिक सशक्तीकरण, समावेशन एवं परिवर्तन के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का इस्तेमाल करने के साथ-साथ एक पाठ्यक्रम की तैयारी हेतु विश्व भर के विशेषज्ञों द्वारा विचारों का आदान-प्रदान किया जाएगा।
- इस कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा।
उद्देश्य
- केंद्र द्वारा घोषित इस शिखर सम्मेलन का प्राथमिक उद्देश्य एक बेहतर भविष्य के लिये सामाजिक परिदृश्य को बदलने हेतु उत्तरदायी AI की क्षमता का उपयोग करने हेतु भारत के विज़न को रेखांकित करना है।
- यह शिखर सम्मेलन डिजिटल युग में AI को नैतिक रूप से विकसित करने की आवश्यकता को लेकर व्यापक जागरूकता पैदा करने के लिये विचारों के सुचारु आदान-प्रदान को सक्षम करेगा।
रेज़-2020
- रेज़-2020 कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर भारत के विज़न और उत्तरदायी AI के माध्यम से सामाजिक सशक्तीकरण, समावेशन और परिवर्तन के लिये रोडमैप बनाने के उद्देश्य से अपनी तरह की पहली वैश्विक बैठक है।
- यह आयोजन एक स्टार्टअप चैलेंज - पिचफेस्ट के साथ शुरू होगा।
- भारत सरकार द्वारा आयोजित इस दो-दिवसीय शिखर सम्मेलन में इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ-साथ विश्व भर की औद्योगिक हस्तियाँ, प्रमुख चिंतक, सरकार के प्रतिनिधि और शिक्षाविद् भाग लेंगे।
महत्त्व
- नीति आयोग के अनुमान के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को अपनाने एवं बढ़ावा देने से वर्ष 2035 तक भारत की GDP में 957 बिलियन डॉलर की वृद्धि के साथ ही भारत की वार्षिक वृद्धि दर 1.3 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है।
- कृषि में अनुप्रयोग से यह किसानों की आय तथा कृषि उत्पादकता बढ़ाने और अपव्यय को कम करने में योगदान कर सकता है। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2024-25 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है और इस लक्ष्य की प्राप्ति में AI महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुँच को बढ़ा सकता है। इसकी मदद से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है एवं शिक्षा तक लोगों की पहुँच को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही प्रशासन में दक्षता को बढ़ाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त व्यापार एवं वाणिज्य में इसका लाभ सिद्ध है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता
(Artificial Intelligence)
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंप्यूटर विज्ञान की वह शाखा है जो कंप्यूटर के इंसानों की तरह व्यवहार करने की धारणा पर आधारित है।
- सरलतम शब्दों में कहें तो कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अर्थ है एक मशीन में सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना। कृत्रिम बुद्धिमत्ता को कंप्यूटर साइंस का सबसे उन्नत रूप माना जाता है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता का आरंभ 1950 के दशक में ही हो गया था, लेकिन इसकी महत्ता को पहली बार 1970 के दशक में पहचान मिली। जापान ने सबसे पहले इस ओर पहल की और 1981 में फिफ्थ जनरेशन नामक योजना की शुरुआत की थी। इसमें सुपर-कंप्यूटर के विकास के लिये 10-वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी।
- इसके पश्चात् अन्य देशों ने भी इस ओर ध्यान दिया। ब्रिटेन ने इसके लिये 'एल्वी' नाम से एक परियोजना की शुरुआत की। यूरोपीय संघ के देशों ने भी 'एस्प्रिट' नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी।