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जैव विविधता और पर्यावरण

मुंबई के समुद्री तटों पर मिल रहे हैं टारबॉल्स

  • 06 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दक्षिण मुंबई के एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल, गिरगाँव चौपाटी में रेतीले समुद्र के तट पर बड़े, काले तेल से सने हुए कुछ गोले या टारबॉल्स (Tarballs) दिखाई दिये थे।

Tarballs

क्या हैं ये टारबॉल्स (Tarballs)?

  • टारबॉल्स गहरे काले रंग की गेंदे होती हैं, जिनका निर्माण समुद्री वातावरण में कच्चे तेल के अपक्षय (Weathering) के कारण होता है।
  • एक हालिया शोध-पत्र के मुताबिक चारकोल की इन गेंदों को तटों तक लाने का काम समुद्री लहरों द्वारा किया जाता है।
  • टारबॉल्स आमतौर पर सिक्के के आकार के होते हैं और समुद्र तटों पर बिखरे हुए पाए जाते हैं। हालाँकि बीते कुछ वर्षों में ये बास्केटबॉल के आकार के हो गए हैं और इनका वजन लगभग 6-7 किलोग्राम तक पहुँच गया है।

क्या टारबॉल्स तेल रिसाव को इंगित करते हैं?

  • आमतौर पर टारबॉल्स की उपस्थिति समुद्र में तेल के रिसाव का ही संकेत देती हैं, परंतु हर बार मानसून के दौरान पश्चिमी तटों पर इनकी उपस्थिति की वार्षिक घटना समुद्री जीव वैज्ञानिकों के लिये परीक्षण का एक प्रमुख विषय बन गया है।
  • इस संदर्भ में विशेषज्ञों ने अधिकारियों से सतर्कता बरतने और इस बात की जाँच करने के लिये कहा है कि कहीं समुद्री जहाज़ अपने जले हुए तेल का कचरा समुद्रों में ही तो नहीं फेंक रहे हैं।
  • तेल के कुओं में दरारें, जहाज़ो की तली से अचानक तथा स्वयं होने वाला रिसाव, नदियों का अपवाह, नगरपालिकाओं के सीवेज़ के ज़रिये निर्मुक्त होने वाला मल-जल तथा औद्योगिक प्रदूषक आदि भी टारबॉल्स के निर्माण का कारण हैं।

क्या टारबॉल्स हानिकारक हैं?

  • महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Maharashtra Pollution Control Board) द्वारा इसे वार्षिक घटना मानने से इनकार कर दिया गया है।
  • तट की ओर बहकर जाने वाले ये टारबॉल्स समुद्र में मछली पकड़ने के लिये लगाए गए जाल में फँस सकते हैं, परिणामस्वरूप मछुआरों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • वैश्विक समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिये टारबॉल्स प्रदूषण एक प्रमुख चिंता का विषय है। ये टारबॉल्स अपने साथ कई प्रकार के बैक्टीरिया और कवक लेकर चलते हैं, जिसके कारण बहुत से मानव एवं पशु रोग उत्पन्न हो सकते हैं।

पूर्व में टारबॉल्स के मामले?

  • टारबॉल्स को तोड़ना मुश्किल है और इसलिये ये समुद्र में लंबी दूरी तक यात्रा कर सकते हैं। वर्ष 2010 से ही गोवा, दक्षिण, मंगलुरु और लॉस एंजेल्स में समुद्र तटों पर टारबॉल्स की घटनाओं के मामले दर्ज किये गए हैं।
  • भारत में अभी तक समुद्री टारबॉल्स के कारण समुद्री तट को बंद करने का मामला सामने नहीं आया है।

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस

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