महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा मराठों के लिये 16% कोटा को मंज़ूरी | 30 Nov 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा ने सर्वसम्मति से सरकारी नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्र में मराठों के लिये 16% आरक्षण का प्रस्ताव करने वाला एक विधेयक पारित किया। इसके साथ ही राज्य की 85% आबादी संविधान के अनुच्छेद 15(4) और अनुच्छेद 16(4) के तहत संवैधानिक लाभ प्राप्त करने की हकदार होगी।
प्रमुख बिंदु
- इस विधेयक की मंज़ूरी आरक्षण सीमा को वर्तमान के 52% से बढ़ाकर 68% तक कर देगी, इस प्रकार आरक्षण सीमा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निश्चित किये गए 50% की सीमा को पार कर जाएगी।
- मराठों को 16% आरक्षण प्रदान करने के लिये ‘उपयुक्त’ सुझाव देते हुए यह विधेयक व्यक्त करता है कि, "यह संवैधानिक ढाँचे के अंतर्गत असाधारण समाधान की मांग करने वाली एक असाधारण स्थिति है।"
- विधेयक पारित होने की कार्यवाही की शुरुआत में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (MSBCC) की सिफारिशों पर एक कार्यवाही रिपोर्ट (Action Taken Report-ATR) के साथ दोनों सदनों में विधेयक पेश किया।
- इस मसौदा विधेयक में कहा गया है कि, “महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट पर विचार किया है। आयोग द्वारा रोज़गार, शिक्षा, सामाजिक स्थिति, आर्थिक स्थिति एवं जीवन स्तर सहित संपूर्ण अध्ययन किये जाने के आधार पर सरकार ने मराठों को सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (SEBC) के अंतर्गत रखने की घोषणा की है।”
- अधिनियम के तहत सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के उद्देश्य के लिये क्रीमी लेयर (Creamy Layer) के सिद्धांत को बनाए रखते हुए विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि आरक्षण केवल उन लोगों को उपलब्ध कराया जाए जो क्रीमी लेयर के ‘नीचे’ हैं।
- राज्य की आबादी में 30% का योगदान करने वाले इस समुदाय के लिये मसौदा विधेयक में कहा गया है कि अकादमिक उत्कृष्टता की स्थिति में मराठों की उपस्थिति ‘बहुत ही मामूली’ है।
- औसतन 4.30% अकादमिक और शिक्षण पद ही मराठा समुदाय के व्यक्तियों द्वारा धारित हैं और पारंपरिक डिग्री की कमी उन्हें माथाडी, हमाल, डब्बावाला इत्यादि जैसे कार्यों में नियोजित करती है।
- मसौदा विधेयक में कहा गया है कि, “इस समुदाय के लगभग 70% लोग कच्चे घरों में रह रहे हैं, केवल 35.39% लोगों के पास व्यक्तिगत नल का पानी है तथा 31.79% लोग खाना पकाने के लिये लकड़ी के पारंपरिक ईंधन स्रोतों पर निर्भर हैं। वर्ष 2013-18 के बीच हुई कुल 13,368 आत्महत्या के मुकाबले 2,152 मराठा किसानों ने आत्महत्या की है।”
संविधान में आरक्षण का प्रावधान
- संविधान के अनुच्छेद 46 में राज्य से अपेक्षा की गई है कि वह समाज के कमज़ोर वर्गों, विशेषकर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शैक्षणिक और आर्थिक हितों का ध्याषन रखते हुए उन्हें सामाजिक अन्याय एवं सभी प्रकार के शोषण से संरक्षित रखेगा।
- शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान अनुच्छेद 15(4) में किया गया है।
- पदों एवं सेवाओं में आरक्षण का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 16(4), 16(4क) और 16(4ख) में किया गया है।