मध्य प्रदेश को सुधार की आवश्यकता : वित्त आयोग | 05 Jul 2019
चर्चा में क्यों?
15वें वित्त आयोग के अनुसार, मध्य प्रदेश द्वारा कृषि सहित अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में विकास की उच्च दर प्राप्त करने के बावजूद भी राज्य की गरीबी में कमी नहीं आई है।
मुख्य बिंदु :
- आयोग के अनुसार, राज्य में गरीबी का अनुपात 33 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह सिर्फ 21 प्रतिशत ही है।
- राज्य की विकास दर का मानव विकास सूचकांक के प्रमुख मापदंडों जैसे- शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर आदि पर बहुत ही सीमित प्रभाव पड़ा है।
- आयोग ने कहा कि यदि मध्य प्रदेश ने अपने द्वारा प्रस्तुत किये गए विकास मॉडल को सुव्यवस्थित ढंग से लागू किया होता तो शायद राज्य में इन क्षेत्रों में भी प्रगति होती।
- आयोग के अनुसार, मध्य प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 90,998 रुपए है जबकि इसके विपरीत राष्ट्रीय स्तर पर यह राशि 1.26 लाख रुपए है।
- मध्य प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय देश के कई छोटे राज्यों से भी कम है।
- आयोग ने कहा कि राज्य को GST लागू होने के कारण जो नुकसान हुआ है उसके लिये रिफंड की प्रक्रिया में जल्द-से-जल्द सुधार करने की आवश्यकता है।
- आयोग ने मध्य प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य करने का सुझाव दिया है।
- इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश को एससी (SC) और एसटी (ST) के विकास पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है।
15वाँ वित्त आयोग :
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22 नवंबर, 2017 को 15वें वित्त आयोग के गठन को मंज़ूरी प्रदान की।
- 15वें वित्त आयोग की सिफ़ारिशें वर्ष 2020-25 के दौरान लागू की जाएंगी।
- अभी तक 14 वित्त आयोगों का गठन किया जा चुका है। 14वें वित्त आयोग की सिफ़ारिशें वित्तीय वर्ष 2015-20 तक लागू होनी हैं।
- प्रथम वित्त आयोग के अध्यक्ष के.सी. नियोगी थे।
- ध्यातव्य है कि 27 नवंबर, 2017 को एन.के. सिंह को 15वें वित्त आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
- एन.के. सिंह भारत सरकार के पूर्व सचिव एवं वर्ष 2008-2014 तक बिहार से राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।