शासन व्यवस्था
एनसीबीसी को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने वाला विधेयक लोकसभा में पारित
- 03 Aug 2018
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चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा ने दो-तिहाई से अधिक बहुमत के साथ सर्वसम्मति से मंज़ूरी दे दी। सदन ने राज्यसभा द्वारा विधेयक में किये गए संशोधनों को निरस्त करते हुए संशोधनों के साथ ‘संविधान (123वाँ संशोधन) विधेयक, 2017’ पारित कर दिया।
विधेयक में मुख्य बदलाव
- एक दिन पूर्व ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम में संशोधन को मंज़ूरी दी थी।
- लोकसभा द्वारा यथापारित तथा संशोधन के साथ राज्यसभा द्वारा लौटाए गए विधेयक में पृष्ठ एक की पंक्ति एक में ‘अड़सठवें’ के स्थान पर ‘उनहत्तरवें’ शब्द प्रतिस्थापित करने की बात कही गई है।
- इसमें कहा गया है कि खंड तीन के पृष्ठ 2 और पृष्ठ 3 का लोप किया जाए तथा इसके स्थान पर राज्यसभा द्वारा किये गए संशोधनों में पृष्ठ 2 और 3 पर निम्नलिखित संशोधन अंत:स्थापित किया जाए |
- संविधान के अनुच्छेद 338क के बाद नया अनुच्छेद 338ख अंत:स्थापित किया जाएगा। इसमें सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गो के लिये राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग नामक एक नया आयोग होगा|
- संसद द्वारा इस निमित्त बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होंगे| इस प्रकार नियुक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेवा शर्तें एवं पदावधि के संबंध में नियम राष्ट्रपति द्वारा अवधारित किये जाएंगे।
- आयोग को अपनी स्वयं की प्रक्रिया विनियमित करने की शक्ति होगी| आयोग को संविधान के अधीन सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गो के लिये उपबंधित सुरक्षा उपायों से संबंधित मामलों की जाँच और निगरानी करने का अधिकार होगा|
- इसके अलावा आयोग पिछड़े वर्गो के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में भाग लेगा और इस संबंध में अपनी सलाह देगा, जबकि पहले सिर्फ सलाह देने की बात कही गई थी|
- संघ और प्रत्येक राज्य सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गो को प्रभावित करने वाले सभी मुख्य नीति विषयक मामलों पर आयोग से परामर्श करेंगे| इसमें पृष्ठ एक की पंक्ति चार में 2017 के स्थान पर 2018 प्रतिस्थापित किया जाएगा|
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग
- वर्तमान राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्ज़ा प्राप्त नहीं है। यह केंद्र सरकार के सामाजिक कल्याण और अधिकारिता मंत्रालय के तहत चलने वाला वैधानिक आयोग है। 1993 में संसद में पारित कानून के तहत मौजूदा आयोग का गठन किया गया था।
- इसका उद्देश्य अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में नागरिकों को सम्मिलित करने और हटाने संबंधी शिकायतों को निपटाने तथा उनकी जाँच के बारे में सरकार को सलाह देना है।
- अधिनियम में प्रावधान है कि सरकार आयोग के परामर्श को मानने के लिये साधारणतया बाध्य होगी।