इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों पर लो-डाउन | 02 Apr 2018
चर्चा में क्यों?
सरकार के हाल के रुख से ऐसा प्रतीत होता है कि वह एक व्यापक इलेक्ट्रिक वाहन (electric vehicle) नीति को लागू करने की अपनी योजना को छोड़ने पर विचार कर रही है, हालाँकि अभी भी भारत के पेट्रोल-डीज़ल आधारित ऑटो उद्योग को इलेक्ट्रिक रूप में स्थानांतरित करने की सरकार की उत्सुकता निरंतर बनी हुई है। सरकार के थिंक टैंक अर्थात्त नीति आयोग द्वारा भारी उद्योग और ऊर्जा मंत्रालय सहित सात मंत्रालयों पर इस योजना का कार्यभार डाला गया है, ताकि ईवी के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिये उचित एवं उपयोगी दिशा-निर्देश तैयार किये जा सकें।
इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों (electric and hybrid vehicles) के बीच क्या अंतर है?
- हाइब्रिड और सभी इलेक्ट्रिक वाहनों के बीच मुख्य अंतर ईंधन और उनकी गति हेतु उपलब्ध स्रोतों संबंधी है।
- हाइब्रिड वाहनों के पास दो स्रोत उपलब्ध हैं – एक बैटरी जो कि इलेक्ट्रिक मोटर को शक्ति प्रदान करती है और दूसरा है ईंधन टैंक, जो एक सामान्य पेट्रोल इंजन को गति प्रदान करता है।
- आमतौर पर एक सामान्य बैटरी किसी इलेक्ट्रिक मोटर को केवल 60-70 किमी. तक की गति प्रदान कर सकती है, लेकिन लिथियम आयन बैटरी की दक्षता और क्षमता में लगातार सुधार किया जा रहा है। यही कारण है कि इसके और बेहतर होने की संभावना है ताकि कार निर्माताओं द्वारा हाइब्रिड अथवा इलेक्ट्रिक का चयन किया जा सके।
- एक बार यदि बैटरी क्षीण हो जाती है तो उसके बाद हाइब्रिड कार पेट्रोल इंजन पर स्विच हो जाती है, इसके बाद यह किसी अन्य सामान्य कार इंजन की तरह कार्य करना आरंभ कर देती है। सभी इलेक्ट्रिक वाहनों में इस प्रकार की सुविधा नहीं होती है।
- यदि एक बार इनकी बैटरी क्षीण हो जाती है तो इनके इंजन का कोई बैकअप सोर्स नहीं होता है। हालाँकि, इलेक्ट्रिक कारों की एक खास बात यह है कि इनकी बैटरी अपेक्षाकृत बड़ी होती है क्योंकि इन्हें पेट्रोल इंजन या ईंधन टैंक के साथ अदला-बदली नहीं करनी पड़ती है।
- इसलिये, आमतौर पर हाइब्रिड वाहनों की तुलना में एक इलेक्ट्रिक वाहन अधिक लंबी दूरी की यात्रा करने में सक्षम होते है।
इनमें फिर से ईंधन कैसे भरा जा सकता हैं?
- एक सामान्य प्लग-इन हाइब्रिड वाहन को एक वाल सॉकेट (wall socket) या चार्जिंग पॉइंट (charging point) में प्लग-इन करके पेट्रोल टैंक को फिर से भरा जा सकता है।
- हालाँकि, कुछ हाइब्रिड वाहन ऐसे भी हैं जो एक रिजनेरेटिव ब्रेकिंग (regenerative braking) नामक तकनीक के माध्यम से इलेक्ट्रिक बैटरी को रिचार्ज कर सकते हैं। इन मॉडलों में, केवल ईंधन टैंक को भरने की ज़रूरत है।
- सभी इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्जिंग पॉइंट से चार्ज किया जाएगा। वाहनों का चार्जिंग समय बैटरी के आकार और बिजली के स्रोत पर निर्भर करता है।
केंद्र द्वारा दोनों के बीच अंतर कैसे किया जाता है?
- केंद्र सरकार द्वारा दोनों के मध्य मुख्य अंतर वस्तु एवं सेवा कर के तहत अपने कर उपायों में किया जाता है।
- जहाँ एक ओर इलेक्ट्रिक वाहनों पर 12% कर लगाया जाता है। वहीं, हाइब्रिड वाहनों जैसे- लक्ज़री वाहनों पर 28% कर के साथ 15% सेस अधिरोपित किया जाता है।
सरकार द्वारा इस संबंध में क्या कदम उठाए गए हैं?
- सरकार ने ‘नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान, 2020 (NEMMP)' नामक एक महत्त्वपूर्ण एवं महत्त्वाकांक्षी पहल प्रारंभ की जिसके तहत वर्ष 2020 से प्रतिवर्ष 6-7 मिलियन हाइब्रिड एवं इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत इन वाहनों की मांग एवं आपूर्ति दोनों बढ़ाने की योजना है।
- सरकार ने FAME [Faster Adoption and Manufacturing of (Hybrid and) Electric Vehicles] योजना शुरू की है जो हाइब्रिड एवं इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने और उनके लिये बाज़ार के निर्माण में सहायता प्रदान करेगी। इस योजना में 4 क्षेत्रों पर फोकस किया जा रहा है- प्रौद्योगिकी विकास, मांग सृजन, पायलट प्रोजेक्ट एवं चार्जिंग अवसंरचना का विकास।
- इस योजना का उद्देश्य दो पहिया, तिपहिया, यात्री वाहनों एवं हल्के वाणिज्यिक वाहनों एवं बसों सभी क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक एवं हाइब्रिड वाहनों को प्रोत्साहन देना है।
- इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास (R & D) को बढ़वा देने के लिये फरवरी 2016 में भारी उद्योग विभाग एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने संयुक्त रूप से एक तकनीकी प्लेटफॉर्म प्रारंभ किया है।