सिंचाई परियोजनाओं के लिये 9020 करोड़ रुपए | 19 Aug 2017
चर्चा में क्यों ?
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2017-18 के दौरान 9020 करोड़ रुपए तक के अतिरिक्त बजटीय संसाधन जुटाने की मंज़ूरी दी है। यह राशि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत चल रही प्राथमिकता वाली 99 सिंचाई परियोजनाओं और इसके साथ-साथ उनके कमांड क्षेत्र विकास के त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम कार्यों के कार्यान्वयन के लिये ऋण के संदर्भ में 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज दर सुनिश्चित करने के लिये ऋणपत्र ज़ारी करके जुटाई जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रमों के तहत अनेक प्रमुख और मध्यम सिंचाई परियोजनाएँ मुख्य रूप से निधियों के अपर्याप्त प्रावधानों के कारण अधूरी पड़ी थीं।
- वर्ष 2016-17 के दौरान प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के अधीन चल रही 99 परियोजनाओं को दिसम्बर 2019 तक कई चरणों में पूरी करने के लिये पहचान की गई थी।
- बड़ी मात्रा में निधि की आवश्यकता को पूरा करने के लिये केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण 2016-17 के दौरान पीएमकेएसवाई-एआईबीपी और सीएडी के तहत पहचान की गई मौजूदा परियोजनाओं के लिये 20 हज़ार करोड़ रुपए की आरंभिक निधि के साथ नाबार्ड में समर्पित दीर्घकालीन सिंचाई निधि (Long Term Irrigation Fund-LTIF) के सृजन की घोषणा की थी।
- राज्यों के लिये नाबार्ड से ऋण को आकर्षक बनाने के लिये वर्ष 2016-17 से 2019-20 के दौरान नाबार्ड को प्रतिवर्ष अपेक्षित लागत मुक्त निधियाँ उपलब्ध कराकर ब्याज की दर 6 प्रतिशत के आस-पास बनाए रखने का निर्णय लिया गया था।
- वर्ष 2016-17 के दौरान नाबार्ड ने एलटीआईएफ के तहत कुल 9086.02 करोड़ रुपए की राशि वितरित की।
- राज्यों और केंद्रीय जल आयोग द्वारा विभिन्न समीक्षा बैठकों के दौरान बताई गई स्थिति के अनुसार 18 परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं या लगभग पूरी होने वाली हैं।
- इन सभी 99 परियोजनाओं से 2016-17 के दौरान 14 लाख हेक्टेयर से अधिक सिंचाई की उम्मीद है।
- वर्ष 2017-18 के दौरान 33 से अधिक परियोजनाओं के पूरी होने की संभावना है। पहचान की गई सिंचाई परियोजनाओं के पूरा होने और निर्माण चरण के दौरान बड़ी तादाद में नियमित रोज़गारों के साथ रोज़गार के अन्य अवसरों का सृजन होगा।
- यह भी महत्त्वपूर्ण है कि इन परियोजनाओं के पूरा होने पर लगभग 76 लाख हेक्टेयर की सिंचाई की संभावना इस क्षेत्र में कृषि परिदृश्य को पूरी तरह बदल देगा, जिसके परिणामस्वरूप फसलों की सघनता, फसल प्रणाली में परिर्वतन, कृषि प्रसंस्करण और अन्य सहायक गतिविधियों के माध्यम से बड़ी संख्या में रोज़गार के अवसरों का सृजन होगा।
नाबार्ड (NABARD) : एक नज़र
- नाबार्ड कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिये एक शीर्ष बैंक है। इसकी स्थापना शिवरमन समिति की सिफारिशों के आधार पर संसद के एक अधिनियम द्वारा 12 जुलाई 1982 में की गई थी।
- इसका कार्य कृषि, लघु उद्योग, कुटीर एवं ग्रामीण उद्योग, हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण शिल्पों के संवर्धन और विकास के लिये ऋण प्रवाह को उपलब्ध करना है।
- इसके साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के अन्य संबद्ध आर्थिक क्रियाओं को समर्थन प्रदान कर गाँवों का सतत विकास करना है।