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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

इक्विटी फंडों पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर

  • 05 Feb 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

  • बजट 2018-19 में 14 वर्षों बाद पुनः इक्विटी और इक्विटी आधारित फंडों पर 10% की दर से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (Long-term Capital Gains-LTCG) कर लगाने का प्रस्ताव दिया गया है।
  • एक वर्ष से अधिक समय तक रोककर रखे गए शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंडों की बिक्री पर निवेशकों को एक लाख रुपए से अधिक के लाभ पर 10% की दर से LTCG कर का भुगतान करना होगा है। 

LTCG क्या है? 

  • LTCG उन शेयरों या इक्विटी फंडों की बिक्री से अर्जित लाभ पर लिया गया कर है, जिन्हें किसी निवेशक द्वारा अपने पास 1 वर्ष से अधिक समय तक रखा हुआ है।
  • वर्तमान में स्टॉक एक्सचेंज पर कारोबार करने वालों को शेयरों की बिक्री से अर्जित लाभ पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर नहीं देना होता है जबकि अल्पकालिक पूंजीगत लाभ अर्थात् 1 वर्ष से कम रोककर रखे गए शेयरों की बिक्री से अर्जित लाभ पर 15% की दर से कर का भुगतान करना होता है।
  • दूसरे शब्दों में, अगर शेयर खरीदे जाते हैं और बिक्री से पहले एक वर्ष से अधिक समय तक रोककर रखे जाते हैं और उसके बाद जब उनकी बिक्री के दौरान कोई लाभ हो तो उसे दीर्घकालिक पूँजीगत लाभ कहा जाता है और इस पर लगने वाले कर को LTCG कर के रूप में संदर्भित किया जाता है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • ऐसा कर अक्टूबर 2004 तक अस्तित्व में था, जब इसे सिक्योरिटीज लेन-देन कर (STT) द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया था, जो स्टॉक एक्सचेंजों पर किये गए सभी व्यापारों पर लागू था। 
  • आमतौर पर, जब इस तरह के कर पेश किये जाते हैं, तब इसे इस तरह से संरचित किया जाता है कि पूर्व निवेशों को कुछ राहत मिल सके। तकनीकी भाषा में इसे शुल्क-मुक्ति लाभ (Grandfathering Benefit) कहा जाता है।
  • 31 जनवरी, 2018 तक शेयरों में निवेश से अर्जित पूंजीगत लाभ को इस नई कर व्यवस्था से छूट प्रदान की गई है, किंतु इसके बाद के पूंजीगत लाभ पर इस नए प्रावधान के तहत कर आरोपित किया जाएगा।
  • स्टॉक एक्सचेंजों पर व्यापार करने वाले सभी निवेशकों को LTCG कर का भुगतान करना होगा।
  • संयोग से, केंद्र सरकार ने STT कर को बनाए रखने के साथ-साथ LTCG कर भी पेश किया है।
  • इसलिये, निवेशकों को दोनों करों का भुगतान करना होगा। हालाँकि, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPIs), जो मॉरीशस और सिंगापुर जैसी जगहों से भारत में निवेश करते हैं, वे कराधान बचाव संधियों के सौजन्य से LTCG कर के अधीन नहीं होंगे।
  • हालाँकि यह लाभ केवल तब तक ही उपलब्ध होगा जब तक कि लाभ संधि मौजूद है, क्योंकि केंद्र सरकार ऐसी सभी तथाकथित दोहरे कराधान बचाव संबंधी संधियों (DTAAs) पर पुनर्विचार कर रही है।

निष्कर्ष 

  • LTCG टैक्स की शुरुआत केवल उसी समय ट्रेडिंग स्टॉक की लागत में वृद्धि कर सकती है जब विभिन्न देशों के निवेशकों के द्वारा उन देशों में कम लेन-देन लागत के कारण दूसरे देशों में 'पूंजी के निर्यात' पर ज़ोर दिया जाता हो।
  • हालाँकि ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि निवेशकों को आंशिक राहत देने के लिये सरकार LTCG कर की गणना करते समय ‘सूचीकरण के लाभ’ (Benefit of Indexation) की अनुमति दे सकती है। 
  • Indexation एक ऐसी प्रक्रिया है जो किसी परिसंपति को बेचते समय इसके मूल्य निर्धारण में उसे खरीदने के समय प्रचलित मुद्रास्फ़ीति को शामिल करने की सुविधा प्रदान करती है। 
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