लोकसभा अध्यक्ष और अनियंत्रित सांसद | 29 Nov 2019
प्रीलिम्स के लिये:
लोकसभा अध्यक्ष की शक्तियाँ
मेन्स के लिये:
लोकसभा सदस्यों के निलंबन से संबंधित प्रावधान
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लोकसभा अध्यक्ष द्वारा दो सदस्यों को अनियंत्रित आचरण के कारण सदन से निलंबित किया गया है।
मुख्य बिंदु:
- लोकसभा अध्यक्ष द्वारा दो सांसदों का उनके अनियंत्रित आचरण तथा लोकसभा की कार्यवाही में व्यवधान पैदा करने के कारण निलंबित किये जाने से सांसदों के आचरण संबंधी मुद्दे पर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है।
- लोकसभा अध्यक्ष को यह अधिकार ‘लोकसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियम’ (The Rules of Procedure and Conduct of Business) के अंतर्गत प्रदान किया गया है।
क्या हैं नियम?
- लोकसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमों के अंतर्गत नियम 378 के अनुसार, लोकसभा अध्यक्ष द्वारा सदन में व्यवस्था बनाई रखी जाएगी तथा उसे अपने निर्णयों को प्रवर्तित करने के लिये सभी शक्तियाँ प्राप्त होंगी।
- नियम 373 के अनुसार, यदि लोकसभा अध्यक्ष की राय में किसी सदस्य का व्यवहार अव्यवस्थापूर्ण है तो अध्यक्ष उस सदस्य को लोकसभा से बाहर चले जाने का निर्देश दे सकता है और जिस सदस्य को इस तरह का आदेश दिया जाएगा, वह तुरंत लोकसभा से बाहर चला जाएगा तथा उस दिन की बची हुई बैठक के दौरान वह सदन से बाहर रहेगा।
- नियम 374 (1), (2) तथा (3) के अनुसार, यदि लोकसभा अध्यक्ष की राय में किसी सदस्य ने अध्यक्ष के प्राधिकारों की उपेक्षा की है या वह जान बूझकर लोकसभा के कार्यों में बाधा डाल रहा है तो लोकसभा अध्यक्ष उस सदस्य का नाम लेकर उसे अवशिष्ट सत्र से निलंबित कर सकता है तथा निलंबित सदस्य तुरंत लोकसभा से बाहर चला जाएगा।
- नियम 374 (क) (1) के अनुसार, नियम 373 और 374 में अंतर्विष्ट किसी प्रावधान के बावजूद यदि कोई सदस्य लोकसभा अध्यक्ष के आसन के निकट आकर अथवा सभा में नारे लगाकर या अन्य प्रकार से लोकसभा की कार्यवाही में बाधा डालकर जान बूझकर सभा के नियमों का उल्लंघन करते हुए घोर अव्यवस्था उत्पन्न करता है तो लोकसभा अध्यक्ष द्वारा उसका नाम लिये जाने पर वह लोकसभा की पाँच बैठकों या सत्र की शेष अवधि के लिये (जो भी कम हो) स्वतः निलंबित हो जाएगा।
निलंबन से संबंधित कुछ उदाहरण:
- जनवरी 2019 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने 45 सांसदों को लगातार कई दिनों तक लोकसभा की कार्यवाही बाधित करने के कारण निलंबित कर दिया था।
- फरवरी 2014 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने अविभाजित आंध्र प्रदेश के 18 सांसदों को निलंबित किया था। ये सांसद तेलंगाना राज्य के निर्माण के निर्णय का समर्थन या विरोध कर रहे थे।
- दिसंबर 2018 में लोकसभा की नियम समिति ने सदन की वेल (Well) में प्रवेश करने वाले तथा पीठासीन के बार-बार मना करने के बावजूद नारे लगाकर लोकसभा के कार्य में बाधा डालने वाले सदस्यों के स्वतः निलंबन की सिफारिश की थी।
हालाँकि आमतौर पर देखा गया है कि सत्ताधारी दल हमेशा सदन में अनुशासन और व्यवस्था बनाए रखने पर जोर देता है तथा विपक्षी दल विरोध करने के अपने अधिकार पर बल देते हैं लेकिन उनकी भूमिकाएँ बदलने के साथ ही उनकी स्थितियाँ भी बदल जाती हैं।