लोकसभा ने पारित किया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 | 31 Jul 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लोकसभा ने उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2019 पारित किया। इस विधेयक को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के स्थान पर लाया गया है।
विधेयक के उद्देश्य
- इस विधेयक का प्रमुख उद्देश्य उपभोक्ताओं के अधिकारों को मज़बूत करना एवं उनके हितों की रक्षा करना है।
- यह विधेयक उपभोक्ताओं की शिकायतों के समाधान की प्रक्रिया को आसान बनाएगा।
- इसके अतिरिक्त इस विधेयक के माध्यम से उपभोक्ताओं को त्वरित न्याय भी दिलाया जा सकेगा।
विधेयक की मुख्य
- उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2019 केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (Central Consumer Protection Authority-CCPA) के गठन का प्रस्ताव करता है। विधेयक के अनुसार, CCPA के पास निम्नलिखित अधिकार होंगे:
- उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन और संस्थान द्वारा की गई शिकायतों की जाँच करना।
- असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं को वापस लेना एवं उचित कार्यवाही करना।
- भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाना।
- भ्रामक विज्ञापनों के निर्माताओं और प्रसारकों पर ज़ुर्माना लगाना।
- नए विधेयक में उपभोक्ताओं से संबंधित किसी भी विवाद के समाधान की प्रक्रिया को काफी सरल बनाने का प्रयास किया गया है। इसके तहत निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:
- उपभोक्ता आयोग के आर्थिक क्षेत्राधिकार को बढ़ाया गया है;
- ज़िला आयोग- 1 करोड़ रुपए तक
- राज्य आयोग- 1 करोड़ रुपए से 10 करोड़ रुपए तक
- राष्ट्रीय आयोग -10 करोड़ रुपए से अधिक के मामलों तक
- शिकायत दाखिल करने के 21 दिनों के बाद शिकायत की स्वत: स्वीकार्यता।
- उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने आदेशों को लागू कराने का अधिकार।
- उपभोक्ता आयोग से संपर्क करने में आसानी।
- सुनवाई के लिये वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा।
- उपभोक्ता आयोग के आर्थिक क्षेत्राधिकार को बढ़ाया गया है;
- यदि किसी उत्पाद या सेवा में दोष पाया जाता है तो उत्पाद निर्माता/विक्रेता या सेवा प्रदाता को क्षतिपूर्ति के लिये ज़िम्मेदार माना जाएगा। विधेयक के अनुसार, किसी उत्पाद में निम्नलिखित आधारों पर दोष हो सकता है:
- उत्पाद/सेवा के निर्माण में दोष।
- डिज़ाइन में दोष।
- उत्पाद की घोषित विशेषताओं से वास्तविक उत्पाद का अलग होना।
- प्रदान की जाने वाली सेवाओं का दोषपूर्ण होना।
क्यों लाभकारी है यह विधेयक?
- वर्तमान में उपभोक्ता संबंधी मामलों में न्याय पाने के लिये उपभोक्ताओं के पास मात्र उपभोक्ता आयोग ही एक विकल्प है, जिसके कारण न्याय मिलने में काफी समय लगता है। CCPA के गठन से उपभोक्ताओं को त्वरित न्याय प्राप्त करने में मदद मिलेगी।