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भारतीय अर्थव्यवस्था

लोकसभा में पारित हुआ कंपनी संशोधन विधेयक

  • 27 Jul 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

लोकसभा ने कंपनी अधिनियम (Companies Act) संशोधन विधेयक पारित कर दिया है।

संशोधन के प्रमुख बिंदु

  • यदि कोई कंपनी अपने द्वारा निर्धारित कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (Corporate Social Responsibility-CSR) फंड की राशि एक निश्चित अवधि में खर्च नहीं करेगी तो वह राशि स्वयं ही एक विशेष खाते में जमा हो जाएगी।
  • भारत ऐसा पहला देश है जिसने देश की सभी कंपनियों के लिये CSR की धनराशि को खर्च करना कानूनी रूप से अनिवार्य बना दिया है।
  • सभी कंपनियों को एक साल में CSR को खर्च करने से संबंधित प्रस्ताव तैयार करना होगा और अगले तीन सालों में उस प्रस्ताव पर धनराशि खर्च करनी होगी।

कंपनी अधिनियम की धारा 135 के अनुसार, निम्नलिखित कंपनियों को अपने तीन वर्षों के औसत शुद्ध लाभ का कम से कम 2 प्रतिशत हिस्सा CSR पर खर्च करना होगा :

  • जिनका नेटवर्थ 500 करोड़ रुपए या उससे अधिक है।
  • जिनका टर्नओवर 1000 करोड़ या उससे अधिक है।
  • जिनका औसत लाभ 5 करोड़ या उससे अधिक है।
  • इसके अतिरिक्त NCLT के भार को कम करने के लिये यह तय किया गया है कि 25 लाख तक के विवादों का निपटारा क्षेत्रीय स्तर का अधिकारी करेगा।
  • इस संशोधन से पूर्व कुल 81 प्रकार के कानून उल्लंघनों को आपराधिक श्रेणी में शामिल किया जाता था, परंतु संशोधन के पश्चात् इनमें से 16 को सिविल मामलों में शामिल कर दिया गया है।

संशोधन के प्रमुख उद्देश्य :

  • संशोधन का प्रमुख उद्देश्य CSR के नियमों को और अधिक सख्त बनाना है।
  • इसके अतिरिक्त संशोधन के माध्यम से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (National Company Law Tribunal-NCLT) के कार्यभार को कम करने का भी प्रयास किया जाएगा।

कंपनी अधिनियम (Companies Act)

  • कंपनी अधिनियम, 2013 भारत में 30 अगस्त 2013 को लागू हुआ था।
  • यह अधिनियम भारत में कंपनियों के निर्माण से लेकर उनके समापन तक सभी स्थितियों में मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।
  • कंपनी अधिनियम के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण की स्थापना हुई है।
  • कंपनी अधिनियम, 2013 ने ही ‘एक व्यक्ति कंपनी’ की अवधारणा की शुरुआत की।

राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण

(National Company Law Tribunal-NCLT)

  • NCLT का गठन कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 18 के तहत किया गया था।
  • NCLT कंपनियों के दिवालिया होने से संबंधित कानून पर जस्टिस इराडी कमेटी की सिफारिश के आधार पर 1 जून, 2016 से काम कर रहा है।
  • NCLT एक अर्द्ध-न्यायिक निकाय है जो भारतीय कंपनियों से संबंधित मुद्दों पर निर्णय देता है।
  • NCLT में कुल ग्यारह पीठ हैं, जिसमें नई दिल्ली में दो (एक प्रमुख) तथा अहमदाबाद, इलाहाबाद, बंगलूरू, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई में एक-एक पीठ है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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