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कृषि

राजस्थान में टिड्डियों का हमला

  • 11 May 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये: 

टिड्डी, रेगिस्तानी टिड्डी

मेन्स के लिये:

टिड्डियों से उत्पन्न समस्याओं से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों:

फसलों को बुरी तरह प्रभावित करने वाली रेगिस्तानी टिड्डियों (Locusts) का बढ़ता समूह राजस्थान के किसानों के लिये चिंता का विषय बना हुआ हैं। 

प्रमुख बिंदु:

  • उल्लेखनीय है कि टिड्डी चेतावनी संगठन (Locust Warning Organization- LWO) ने राजस्थान के जैसलमेर और श्री गंगानगर ज़िलों में रेगिस्तानी टिड्डियों (Desert Locust) की आबादी में बढ़ोतरी दर्ज की है। 
  • आमतौर पर भारत में टिड्डियाँ केवल जुलाई-अक्तूबर के दौरान देखी जाती है परंतु अप्रैल माह में इन्हें देखा जाना एक चिंता का विषय है।
  • LWO के अनुसार, टिड्डियों को अप्रैल के शुरूआती दिनों में पाकिस्तान की सीमा से सटे पंजाब के फाजिल्का ज़िला में देखा गया था। लेकिन उस समय इनकी संख्या काफी कम थी।
  • इन टिड्डियों की उत्पत्ति का प्रमुख कारण मई और अक्तूबर 2018 में आए मेकुनु और लुबान नामक चक्रवाती तूफान हैं, जिनके कारण दक्षिणी अरब प्रायद्वीप के बड़े रेगिस्तानी इलाके झीलों में तब्दील हो गए थे। अतः इस घटना के कारण भारी मात्रा में टिड्डियों का प्रजनन हुआ।

टिड्डी (Locusts):

  • मुख्यतः टिड्डी एक प्रकार के उष्णकटिबंधीय कीड़े होते हैं जिनके पास उड़ने की अतुलनीय क्षमता होती है जो विभिन्न प्रकार की फसलों को नुकसान पहुँचाती हैं। 
  • टिड्डियों की प्रजाति में रेगिस्तानी टिड्डियाँ सबसे खतरनाक और विनाशकारी मानी जाती हैं।
  • आमतौर पर जुलाई-अक्तूबर के महीनों में इन्हें आसानी से देखा जा सकता है क्योंकि ये गर्मी और बारिश के मौसम में ही सक्रिय होती हैं।
  • अच्छी बारिश और परिस्थितियाँ अनुकूल होने की स्थिति में ये तेज़ी से प्रजनन करती हैं। उल्लेखनीय है कि मात्र तीन महीनों की अवधि में इनकी संख्या 20 गुना तक बढ़ सकती है।

भारत में टिड्डी:

  • भारत में टिड्डियों की निम्निखित चार प्रजातियाँ पाई जाती हैं :
    • रेगिस्तानी टिड्डी (Desert Locust)
    • प्रवासी टिड्डी ( Migratory Locust)
    • बॉम्बे टिड्डी (Bombay Locust)
    • ट्री टिड्डी (Tree Locust)

रेगिस्तानी टिड्डी (Desert Locust):

  • रेगिस्तानी टिड्डियों को दुनिया के सभी प्रवासी कीट प्रजातियों में सबसे खतरनाक माना जाता है। इससे लोगों की आजीविका, खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण और आर्थिक विकास पर खतरा उत्पन्न होता है।
  • ये व्यवहार बदलने की अपनी क्षमता में अपनी प्रजाति के अन्य कीड़ों से अलग होते हैं और लंबी दूरी तक पलायन करने के लिये बड़े-बड़े झुंडों का निर्माण करते हैं।
  • सामान्य तौर पर ये प्रतिदिन 150 किलोमीटर तक उड़ सकते हैं। साथ ही 40-80 मिलियन टिड्डियाँ 1 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में समायोजित हो सकते हैं।
  • एक अकेली रेगिस्तानी मादा टिड्डी 90-80 दिन के जीवन चक्र के दौरान 60-80 अंडे देती है।

टिड्डी चेतावनी संगठन

(Locust Warning Organization-LWO):

  • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture & Farmers Welfare) के वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय (Directorate of Plant Protection, Quarantine & Storage) के अधीन आने वाला टिड्डी चेतावनी संगठन मुख्य रूप से रेगिस्तानी क्षेत्रों राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में टिड्डियों की निगरानी, ​​सर्वेक्षण और नियंत्रण के लिये ज़िम्मेदार है।
  • इसका मुख्यालय फरीदाबाद में स्थित है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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