नौकरियों में स्थानीय आरक्षण | 03 May 2023
प्रिलिम्स के लिये:नौकरियों में स्थानीय आरक्षण, अनुच्छेद 14,16,19, हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों का रोज़गार अधिनियम, 2022, आंदोलन की स्वतंत्रता मेन्स के लिये:नौकरियों में स्थानीय आरक्षण और निहितार्थ |
चर्चा में क्यों?
पिछले वर्षों की तुलना में नौकरियों में स्थानीय आरक्षण कानून के परिणामस्वरूप राज्य को नई निवेश परियोजनाएँ कम प्राप्त हुई हैं, जिसकी वजह से राष्ट्र में नई निवेश परियोजनाओं में राज्य की हिस्सेदारी पिछले वर्ष के 3% से घटकर 2022-23 में 1.06% हो गई, जो छह वर्षों में सबसे कम है।
- हरियाणा ने वर्ष 2022 की शुरुआत में हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों का रोज़गार अधिनियम, 2022 को लागू किया था, जिसमें 30,000 रुपए तक मासिक वेतन वाली निजी क्षेत्र की नौकरियों में से 75% स्थानीय लोगों हेतु आरक्षित हैं।
हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों का रोज़गार अधिनियम, 2022:
- परिचय:
- इसके तहत 10 या अधिक कर्मचारियों वाली फर्मों को 30,000 रुपए प्रतिमाह वाली सभी नौकरियों में से 75% राज्य के अधिवासी उम्मीदवारों के लिये आरक्षित करने की आवश्यकता है।
- इन सभी नियोक्ताओं के लिये श्रम विभाग, हरियाणा की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध नामित पोर्टल पर सकल मासिक वेतन या 30,000 रुपए से अधिक वेतन नहीं पाने वाले अपने सभी कर्मचारियों को पंजीकृत करना अनिवार्य होगा।
- अन्य राज्यों में किये गए इसी प्रकार के प्रयास:
- आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और झारखंड सहित अन्य राज्यों में भी निवासियों के लिये रोज़गार आरक्षण विधेयक अथवा कानूनों की घोषणा की गई है।
- रोज़गार कोटा विधेयक के तहत आंध्र प्रदेश के निवासियों के लिये तीन-चौथाई निजी नौकरियाँ आरक्षित हैं, जिसे वर्ष 2019 में राज्य की विधानसभा द्वारा अनुमोदित किया गया था।
नौकरियों में स्थानीय आरक्षण के लाभ एवं नुकसान:
- लाभ:
- संवैधानिक रूप से मान्य: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16 के तहत अधिवास और निवास के आधार पर आरक्षण पर प्रतिबंध नहीं है। यह स्थानीय नौकरियों में स्थानीय लोगों को पहले अवसर प्रदान करने के लिये संवैधानिक रूप से मान्य प्रतीत होता है क्योंकि प्राथमिक तौर पर यही लोग नौकरी सृजन करने वाली कंपनियों के कारण पड़ने वाले सभी प्रतिकूल प्रभावों को सहन करते हैं।
- समानता: स्थानीय नौकरियों में आरक्षण समाज के सबसे कमज़ोर वर्ग को समानता प्रदान करता है, क्योंकि आरक्षण केवल निम्न स्तर की नौकरियों तक ही सीमित है और यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत कानून के समान संरक्षण की भावना के अनुसार है।
- बेरोज़गारी के लिये उपयुक्त समाधान: बेरोज़गारी और स्थिर रोज़गार सृजन की समस्या को देखते हुए स्थानीय नौकरियों में आरक्षण एक उपयुक्त समाधान है।
- भारत के संविधान में अनुच्छेद 371D और E के तहत आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों के लिये उनकी विशेष परिस्थितियों को देखते हुए नौकरियों और शिक्षा हेतु विशेष प्रावधान हैं। अत: बेरोज़गारी की स्थिति में स्थानीय नौकरियों में आरक्षण उचित और भारत के संविधान के विशेष प्रावधानों के अनुसार उपयुक्त प्रतीत होता है।
- स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: जब कंपनियाँ स्थानीय लोगों को काम पर रखती हैं, तो वे अपनी कमाई स्थानीय अर्थव्यवस्था में खर्च करती हैं, जो रोज़गार पैदा करने और आर्थिक विकास में मदद कर सकता है।
- स्थानीय लोगों को काम पर रखने का मतलब है कि कंपनियों को कर्मचारियों के स्थानांतरण का खर्च वहन नहीं करना पड़ेगा। यह उनकी परिचालन लागत को कम करने में मदद कर सकता है, जिसे कम कीमतों के रूप में ग्राहकों पर डाला जा सकता है।
- उत्पादकता में सुधार: स्थानीय कर्मचारियों की स्थानीय भाषा, संस्कृति और कारोबारी माहौल से परिचित होने की अधिक संभावना है, जो उनकी उत्पादकता और दक्षता में सुधार करने में मदद कर सकता है।
- चिंताएँ:
- निवेशकों के पलायन में वृद्धि: यह ऑटो, आईटी जैसे क्षेत्रों में बड़े घरेलू और बहुराष्ट्रीय निवेशकों के पलायन को गति प्रदान कर सकता है जो अत्यधिक कुशल जनशक्ति पर निर्भर हैं।
- हरियाणा के मामले में वर्ष 2022 में किया गया निवेश लगभग 56,000 करोड़ रुपए से 30% गिरकर 39,000-करोड़ रुपए हो गया, स्थानीय आरक्षण कानून के कारण यह वर्ष 2022-23 में नई निवेश परियोजनाओं के मामले में नौवें सर्वश्रेष्ठ राज्य से 13वें स्थान पर पहुँच गया।
- मौजूदा उद्योगों को प्रभावित करना: राज्य के अन्य क्षेत्रों से राज्य में जनशक्ति संसाधनों की मुक्त आवाजाही को रोकने एवं स्थायी निवासियों के मुद्दे उठाने से राज्य में मौजूदा उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
- यह तकनीकी दिग्गजों और अन्य उद्योगों को अपना आधार हरियाणा से दूसरे राज्यों में स्थानांतरित करने तथा राज्य के मौद्रिक संसाधनों को कम करने में भूमिका निभा सकता है।
- कुशल प्रतिभा की कमी उत्पन्न कर सकता है: गिग और प्लेटफॉर्म कंपनियों पर आरक्षण लागू करने से प्रतिभा की कमी हो सकती है।
- संविधान के विरुद्ध: भारत का संविधान अनेक प्रावधानों के माध्यम से देश में कहीं आने-जाने की स्वतंत्रता और रोज़गार की गारंटी देता है।
- अनुच्छेद 14 जन्म स्थान पर ध्यान दिये बिना कानून के समक्ष समानता प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 15 जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव से रक्षा करता है।
- अनुच्छेद 16 सार्वजनिक रोज़गार में जन्मस्थान आधारित भेदभाव की गारंटी नहीं देता है।
- अनुच्छेद 19 सुनिश्चित करता है कि नागरिक भारत के संपूर्ण क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से आ-जा सकते हैं।
- निवेशकों के पलायन में वृद्धि: यह ऑटो, आईटी जैसे क्षेत्रों में बड़े घरेलू और बहुराष्ट्रीय निवेशकों के पलायन को गति प्रदान कर सकता है जो अत्यधिक कुशल जनशक्ति पर निर्भर हैं।
आगे की राह
- आरक्षण नीति को इस तरह से लागू किया जा सकता है जिससे देश में जनशक्ति संसाधनों के मुक्त आवागमन में बाधा न आए।
- राज्य में अर्थव्यवस्था और उद्योगों पर इसके प्रभाव का आकलन करने के लिये आरक्षण नीति की समय-समय पर समीक्षा की जा सकती है।
- यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है कि लिया गया कोई भी नीतिगत निर्णय भारत के संविधान के अनुपालन में है और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है।
- स्थानीय लोगों के लिये नौकरी (JRFL) हेतु विभिन्न राज्य सरकारों के प्रयासों का सबसे अच्छा तरीका आर्थिक सुधार सुनिश्चित करना है और कौशल प्रशिक्षण तथा उचित शिक्षा के साथ युवाओं के लिये पर्याप्त नौकरी के अवसर प्रदान करना है, जो मुख्य क्षेत्रों के रूप में जनता को मुफ्त बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा करने में सक्षम बनाता है।