लीथियम-आयन बैटरी और नोबेल पुरस्कार | 22 Oct 2019
प्रीलिम्स के लिये:
लीथियम-आयन (Li-ion) बैटरी, लीथियम-आयन बैटरी के अनुप्रयोग
मेन्स के लिये:
वर्तमान में लीथियम-आयन (Li-ion) बैटरी की भूमिका, ई-प्रौद्योगिकी क्रांति
चर्चा में क्यों?
रसायन विज्ञान के लिये वर्ष 2019 का नोबेल पुरस्कार जॉन बी. गुडइनफ, एम. स्टैनले व्हिटिंगम एवं अकीरा योशिनो को लीथियम आयन बैटरी के विकास हेतु दिया जाएगा।
पृष्ठभूमि:
वर्ष 1960 तक दुनिया भर में पेट्रोल चालित कारों का प्रयोग होता था। जीवाश्म ईंधन के सीमित होने के चलते वैकल्पिक ईंधन स्रोतों को विकसित करने हेतु अनुसंधान शुरू किये गए । 19वीं सदी की शुरुआत रासायनिक बैटरियों की रही।
रासायनिक बैटरी (Chemical Batteries)
इन बैटरियों में दो इलेक्ट्रोड होते हैं जिनके मध्य इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह होता है और करंट उत्पन्न होता है। ऐसी बैटरियों हेतु उपयुक्त इलेक्ट्रोड और इलेक्ट्रोलाइट चुनना एक बड़ी चुनौती थी, जो कि करंट की मध्यस्थता हेतु आवश्यक है।
व्हिटिंगम, गुडइनफ एवं योशिनो का योगदान:
व्हिटिंगम
- व्हिटिंगम ने ठोस पदार्थों का अध्ययन किया जिनके परमाणुओं के बीच रिक्त स्थान था।
- इन रिक्त स्थानों में धनात्मक आवेशित आयनों को फिट किया गया तथा इससे ठोस पदार्थों के गुणों में परिवर्तन हुआ।
- व्हिटिंगम ने पाया कि लीथियम भी एक प्रकाश तत्त्व है और एक इलेक्ट्रोड के रूप में उपयोगी है।
- उनके अनुसार एक बैटरी में इलेक्ट्रॉनों को एनोड (नकारात्मक इलेक्ट्रोड) से कैथोड (सकारात्मक) की ओर प्रवाहित होना चाहिये। इसलिये एनोड में ऐसी सामग्री होनी चाहिये जो आसानी से अपने इलेक्ट्रॉनों को मुक्त करती है और लीथियम में यह गुण पर्याप्त मात्रा में पाया गया। इस प्रकार इसे एक आदर्श बैटरी माना गया। हालाँकि बाद के परीक्षणों में कई समस्याएँ आईं, जैसे- नई लीथियम बैटरी को बार-बार चार्ज किया जाना, बैटरी का शॉर्ट-सर्किट आदि।
गुडइनफ
- गुडइनफ ने व्हिटिंगम की बैटरी को बेहतर बनाने पर काम किया। उन्होंने पाया कि कैथोड में उच्च क्षमता हो सकती है यदि इसे धातु सल्फाइड के बजाय धातु ऑक्साइड का उपयोग करके बनाया जाए।
- उन्होंने कैथोड में लीथियम कोबाल्ट ऑक्साइड के साथ एक बैटरी का उपयोग किया, जो कि व्हिटिंगम की बैटरी से लगभग दोगुनी शक्तिशाली थी।
- इस प्रयोग से पूर्व बैटरी को अपनी आवेशित स्थिति में ही चार्ज करना पड़ता था, किंतु इस अन्वेषण से उन्हें बाद में चार्ज किया जाना संभव हो पाया।
योशिनो
- योशिनो ने गुडइनफ के लीथियम-कोबाल्ट डिज़ाइन को एक वर्किंग टेम्प्लेट के रूप में इस्तेमाल किया और विभिन्न कार्बन-आधारित सामग्रियों को एनोड के रूप में आज़माया।
- इन्होंने पेट्रोलियम कोक, जो कि तेल उद्योग का एक उप-उत्पाद है, का प्रयोग किया। जब उन्होंने इलेक्ट्रॉनों के साथ पेट्रोलियम कोक को चार्ज किया तो लीथियम आयन पेट्रोलियम कोक में विकृत हो गए। फिर उन्होंने बैटरी को चालू किया तो इलेक्ट्रॉनों और लीथियम आयन कैथोड, एनोड के रूप में प्रयोग किये गए कोबाल्ट ऑक्साइड की ओर प्रवाहित हो गए। हालाँकि योशिनो की बैटरी में उत्पन्न वोल्टेज 4 वोल्ट पर गुडइनफ की बैटरी के समान ही था किंतु यह एक स्थिर बैटरी थी, इसे लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता था एवं इसे कई बार चार्ज किया जा सकता था।
लीथियम आयन बैटरी क्यों महत्त्वपूर्ण है?
- लीथियम सभी धातुओं में सबसे हल्का है, इसमें विद्युत रासायनिक क्षमता भी सबसे अधिक है और यह उच्च ऊर्जा घनत्व भी प्रदान करता है।
- आयरन आयन बैटरी का सामान्य परिस्थितियों में ऊर्जा घनत्व 350 वाॅट घंटे/किलोग्राम रहा, वहीं लीथियम आयन बैटरी का ऊर्जा घनत्व 220 वाॅट घंटे/किलोग्राम होता है।
- लीथियम-आयन का ऊर्जा घनत्व आमतौर पर मानक निकल-कैडमियम से दोगुना होता है।
- इन बैटरियों की लोड संबंधी विशेषताएँ यथोचित रूप से अच्छी हैं और डिस्चार्ज के संदर्भ में निकल-कैडमियम के समान व्यवहार करती हैं।
- 3.6 वोल्ट क्षमता के उच्च सेल वोल्टेज से केवल एक सेल का उपयोग करके बैटरी पैक डिज़ाइन किया जा सकता है।
- लीथियम-आयन बैटरी का रखरखाव बहुत सरल व कम खर्चीला है।
- बैटरी के उपयोग की अवधि लंबे समय तक बढ़ाने के लिये किसी विशेष मरम्मत चक्र की आवश्यकता नहीं होती है।
- इसके अलावा इसका सेल्फ-डिस्चार्ज निकेल-कैडमियम की तुलना में आधे से भी कम है, जिससे लीथियम-आयन आधुनिक ईंधन के अनुप्रयोगों हेतु अनुकूल है।
- लीथियम-आयन बैटरियाँ निपटान के दौरान थोड़ा नुकसान पहुँचाती हैं।
- ये बैटरियाँ बेतार प्रौद्योगिकी क्रांति का उदाहरण हैं जो पोर्टेबल कॉम्पैक्ट डिस्क प्लेयर, डिजिटल रिस्ट वॉच, लैपटॉप और वर्तमान मोबाइल फोन को सहयोगी बनाती हैं जिससे इन्हें सहेजना आसान हो जाता है।
लीथियम आयन बैटरी की सीमाएँ:
- इसके सुरक्षित संचालन को बनाए रखने के लिये सुरक्षा सर्किट की आवश्यकता होती है।
- ज़्यादातर लीथियम आयन बैटरियों की समय के साथ क्षमता में कमी चिंता का एक विषय है।
- इसकी उत्पादन लागत निकल-कैडमियम की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत अधिक है।