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जैव विविधता और पर्यावरण

लेड विषाक्तता

  • 17 Feb 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

लेड विषाक्तता, लेड, रक्ताल्पता, उच्च रक्तचाप, गुर्दे की दुर्बलता, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम

मेन्स के लिये:

पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, लेड विषाक्तता और संबंधित चिंताएँ

चर्चा में क्यों?

लेड के व्यापक उपयोग के परिणामस्वरूप विश्व के कई हिस्सों में व्यापक पर्यावरणीय प्रदूषण, मानव जोखिम और महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं।

लेड विषाक्तता:

  • परिचय: 
    • शीशा/लेड विषाक्तता तब होती है जब शरीर में लेड जमा हो जाता है, ऐसा अक्सर महीनों या वर्षों की अवधि में होता है।
    • यह मानव तंत्र में लेड के अवशोषण के कारण होता है और विशेष रूप से थकान, पेट में दर्द, मतली, दस्त, भूख न लगना, एनीमिया, मसूड़ों पर एक गहरी रेखा तथा मांसपेशियों में कमज़ोरी या शरीर के अंगों में पक्षाघात इसके लक्षण हैं।
    • बच्चे विशेष रूप से लेड विषाक्तता के प्रति संवेदनशील होते हैं क्योंकि उनके शरीर विकासशील अवस्था में होते हैं।

लेड विषाक्तता के स्रोत: 

Everyday-risks

लेड विषाक्तता के निहितार्थ:

  • रक्त में उच्च लेड स्तर: 
    • संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) और प्योर अर्थ (Pure Earth) की वर्ष 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 50% बच्चे रक्त में उच्च लेड स्तर से प्रभावित हैं।
      • रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 27.5 करोड़ बच्चों के रक्त में लेड का स्तर 5 µg/dL की सहनीय सीमा से अधिक है।
    • इनमें से 64.3 मिलियन बच्चों के रक्त में लेड का स्तर 10 µg/dL से अधिक है।
    • 23 राज्यों की जनसंख्या में रक्त में लेड का औसत स्तर 5 g/dL की सीमा से अधिक है इसके आलावा डेटा एकत्र करने हेतु अनुसंधान और स्क्रीनिंग तंत्र की कमी के कारण शेष 13 राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों में इसका निर्धारण नहीं किया जा सका।
  • विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष (Disability-Adjusted Life Years): 
    • इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) द्वारा वर्ष 2016 के एक विश्लेषण के अनुसार, भारत में लेड विषाक्तता 4.6 मिलियन विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (बीमारी के बोझ के कारण खोए हुए वर्षों की संख्या) और सालाना 165,000 मौतों का कारण है।
      • IHME वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन विश्वविद्यालय में एक स्वतंत्र जनसंख्या स्वास्थ्य अनुसंधान केंद्र है। 
  • प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव: 
    • एक बार जब लेड रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाता है, तो यह सीधे बच्चों के मस्तिष्क  में चला जाता है।
    • गर्भावस्था के दौरान यह भ्रूण में स्थानांतरित हो सकता है, जिससे बच्चे का जन्म के समय कम वज़न और धीमी वृद्धि की स्थिति हो सकती है। लेड विषाक्तता बच्चों एवं वयस्कों में एनीमिया तथा विभिन्न बीमारियों का कारण बन सकती है, जो न्यूरोलॉजिकल, अस्थि-पंजर और न्यूरोमस्क्यूलर सिस्टम को प्रभावित करती है।

लेड विषाक्तता से निपटने में चुनौतियाँ:

  • कम मान्यता/अल्प ध्यान: 
    • भारत में लेड/सीसे पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता जितना कि अन्य संभावित सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर दिया जाता है।
    • भारत में संभावित जोखिम के लिये देश की आबादी की जाँच करने हेतु उपयुक्त प्रणाली का अभाव है। भारत में प्रमुख परियोजनाओं के लिये लगभग 48 राष्ट्रीय रेफरल केंद्र हैं जहाँ रक्त में लेड के स्तर का परीक्षण किया जा सकता है, लेकिन यह जाँच आमतौर पर स्वैच्छिक आधार पर अथवा स्वास्थ्य शिविरों में गैर-लाभकारी संस्थाओं द्वारा की जाती है।
  • खराब पुनर्चक्रण कानून: 
    • भारत और अल्प-विकासशील देशों सहित कई विकासशील देशों में अनौपचारिक पुनर्चक्रण क्षेत्रों के संबंध में सख्त कानून की कमी है।
      • परिणामस्वरूप भारी मात्रा में लेड-एसिड बैटरियाँ वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग किये बिना अनियमित और अनियंत्रित तरीके से रिकवर की जाती हैं।
        • लेड-एसिड बैटरियों का प्रबंधन बैटरी (प्रबंधन और संचालन) नियम, 2001 के तहत आता है लेकिन सुरक्षित और पर्यावरण की दृष्टि से सुदृढ़ पुनर्चक्रण सुनिश्चित करने के लिये प्रवर्तन क्षमता अपर्याप्त है।
    • वर्ष 2022 में सरकार ने बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 अधिसूचित किया, परंतु यह देखना बाकी है कि सरकार इसे कितनी सफलतापूर्वक लागू कर पाती है।
  • सस्ते उत्पादों की उच्च मांग:  
    • भारत में कई सस्ते उत्पादों में लेड पाया जाता है और उपभोक्ता लेड रहित विकल्पों के लिये अधिक खर्च करने में सक्षम अथवा तैयार नहीं हैं। 

आगे की राह

  • लेड स्रोतों का नियमित परीक्षण क्षेत्रवार प्रसार के बारे में सूचित करने में मदद के साथ-साथ उचित हस्तक्षेप करने में मदद करेगा, जैसे "विनियम और प्रवर्तन, उद्योग प्रथाओं में बदलाव, लेड संदूषण का आकलन करने के लिये सरकारी अधिकारियों का प्रशिक्षण और सार्वजनिक शिक्षा तथा उपभोक्ता व्यवहार में परिवर्तन।
  • उपयोग की गई लेड-एसिड बैटरियों के पुनर्चक्रण के जोखिम के रूप में अनौपचारिक संचालन को हतोत्साहित करने और क्षेत्र को विनियमित करने में मदद मिलेगी।
  • भारत को वर्तमान में रक्त में लेड स्तर के लिये की जाने वाली परीक्षण क्षमता को बढ़ाना चाहिये तथा सरकार को प्रत्येक ज़िला अस्पताल में रक्त में लेड स्तर की जाँच के लिये सुविधाएँ प्रदान करनी चाहिये। 
  • लेड विषाक्तता को भारत की स्वास्थ्य स्थिति के परिप्रेक्ष्य में समझने की ज़रूरत है।
  • ठोस प्रभाव के लिये क्षेत्रीय नौकरशाही, स्थानीय प्रेस और स्थानीय भाषा के माध्यम से राज्य स्तर पर रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. शरीर में श्वास अथवा खाने से पहुँचा लेड (लेड) स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है। पेट्रोल में सीसे का योग प्रतिबंधित होने के बाद से अब सीसे की विषाक्तता उत्पन्न करने वाले स्रोत कौन-कौन से हैं? (2012)

1- प्रगलन इकाइयाँ
2- पेन (कलम) और पेंसिल
3- पेंट
4- केश तेल एवं प्रसाधन सामग्रियाँ

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 4
(d) 1, 2 , 3 और 4

उत्तर: (b)

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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