भारतीय समाज
लैसिते: फ्राँस में धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत
- 07 Sep 2023
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प्रिलिम्स के लिये:लैसिते, प्रस्तावना, मौलिक अधिकार, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व मेन्स के लिये:भारतीय और फ्राँसीसी धर्मनिरपेक्षता के बीच तुलना |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में फ्राँसीसी सरकार ने सरकारी स्कूलों में पारंपरिक इस्लामी परिधान अबाया (Abaya) पहनने पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की।
- यह निर्णय फ्राँस की धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्धता, लैसिते/Laïcité के सिद्धांत को बनाए रखने के उपाय के रूप में लागू किया गया था। इस कदम के समर्थन के साथ ही इसे आलोचना का भी सामना करना पड़ा, जिससे आधुनिक फ्राँस में Laïcité की भूमिका के बारे में व्यापक चर्चा शुरू हुई।
Laïcité:
- परिचय:
- Laïcité/लैसिते फ्राँस में एक जटिल और राजनीतिक रूप से आरोपित शब्द है। यह राज्य तथा चर्च के औपचारिक अलगाव का प्रतीक है, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र से धार्मिक मूल्यों को पूरी तरह से हटाने पर बल दिया गया है, उनकी जगह स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व जैसे धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को अपनाया गया है।
- Laïcité की उत्पत्ति कैथोलिक चर्च की शक्ति के विरुद्ध एंटी-क्लेरिकल रिपब्लिकन के संघर्ष के कारण हुई।
- Laïcité/लैसिते फ्राँस में एक जटिल और राजनीतिक रूप से आरोपित शब्द है। यह राज्य तथा चर्च के औपचारिक अलगाव का प्रतीक है, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र से धार्मिक मूल्यों को पूरी तरह से हटाने पर बल दिया गया है, उनकी जगह स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व जैसे धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को अपनाया गया है।
- बदलती जनसांख्यिकी और तनाव:
- 20वीं सदी के अधिकांश समय में देश की सापेक्ष एकरूपता के कारण फ्राँस में Laïcité को आमतौर पर एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा नहीं माना जाता था।
- हालाँकि वर्ष 1950 और वर्ष 1960 के दशक के दौरान उत्तरी अफ्रीका में महत्त्वपूर्ण उपनिवेशीकरण प्रयासों के परिणामस्वरूप मुख्य रूप से ट्यूनीशिया, मोरक्को तथा अल्जीरिया जैसे मुस्लिम देशों से फ्राँस में बड़े पैमाने पर व्यक्तियों का प्रवास हुआ।
- इस जनसांख्यिकीय बदलाव ने लैसिते से संबंधित तनाव और चुनौतियों को उत्पन्न किया।
- संबंधित विवादास्पद विधान और व्याख्याएँ:
- वर्ष 2004 में फ्राँस ने कैथोलिक पोशाक, यहूदी किप्पा और मुस्लिम हेडस्कार्फ सहित सार्वजनिक स्थानों पर "आडंबरपूर्ण" धार्मिक प्रतीकों को पहनने पर प्रतिबंध लगाने वाला एक कानून बनाया।
- वर्ष 2011 में सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने वाले बुर्के पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। ऐसे प्रत्येक निर्णय ने लैसिते की नई व्याख्याओं को जन्म दिया।
लैसिते की भारतीय धर्मनिरपेक्षता से तुलना:
- ऐतिहासिक उत्पत्ति:
- लैसिते: लैसिते फ्राँसीसी इतिहास में निहित एक अवधारणा है और फ्राँसीसी गणराज्य की आधारशिला है।
- चर्च और राज्य के पृथक्करण पर वर्ष 1905 के कानून के अधिनियमन के साथ इसे और मज़बूत किया गया।
- भारतीय धर्मनिरपेक्षता: भारतीय संविधान की प्रस्तावना भारत को एक "संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य" घोषित करती है। यह राज्य की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति के लिये आधार तैयार करता है।
- 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया था।
- लैसिते: लैसिते फ्राँसीसी इतिहास में निहित एक अवधारणा है और फ्राँसीसी गणराज्य की आधारशिला है।
- विशेषताएँ:
- लैसिते: फ्राँस में लैसिते की विशेषता धार्मिक संस्थानों को राज्य से सख्ती से अलग करना है।
- इसमें सार्वजनिक स्कूलों, सरकारी भवनों और सार्वजनिक क्षेत्रों में धार्मिक प्रतीकों का निषेध शामिल है।
- भारतीय धर्मनिरपेक्षता: भारतीय धर्मनिरपेक्षता, जैसा कि भारतीय संविधान में निहित है, धार्मिक विविधताओं के प्रति अधिक अनुकूल है।
- राज्य को धर्म से अलग नहीं किया गया है बल्कि उससे सभी धर्मों के साथ समान और निष्पक्ष व्यवहार करने की अपेक्षा की जाती है।
- भारत सरकार धार्मिक संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान कर सकती है और विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक प्रतीकों की अनुमति देती है।
- लैसिते: फ्राँस में लैसिते की विशेषता धार्मिक संस्थानों को राज्य से सख्ती से अलग करना है।
- भारतीय धर्मनिरपेक्षता से फ्राँस निम्नलिखित प्रेरणा ले सकता है:
- सर्व धर्म समभाव की प्रेरणा: धर्मनिरपेक्षता का भारतीय दर्शन "सर्व धर्म समभाव" से प्रेरित है (शाब्दिक रूप से इसका अर्थ है कि सभी धर्मों द्वारा अपनाए गए मार्गों का गंतव्य एक ही है, हालाँकि मार्ग भिन्न हो सकते हैं) जिसका अर्थ है सभी धर्मों के लिये समान सम्मान।
- भारतीय धर्मनिरपेक्षता धर्म को सार्वजनिक क्षेत्र से बाहर नहीं करती है, बल्कि इसे इस तरह से समायोजित करती है कि दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन न हो।
- अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा: भारतीय धर्मनिरपेक्षता सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन धर्म को मानने, अभ्यास करने तथा प्रचार करने के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देती है।
- यह अल्पसंख्यकों के शैक्षिक और सांस्कृतिक अधिकारों की भी रक्षा करता है तथा उन्हें अपने स्वयं के संस्थान स्थापित करने व प्रशासित करने की अनुमति देता है।
- सर्व धर्म समभाव की प्रेरणा: धर्मनिरपेक्षता का भारतीय दर्शन "सर्व धर्म समभाव" से प्रेरित है (शाब्दिक रूप से इसका अर्थ है कि सभी धर्मों द्वारा अपनाए गए मार्गों का गंतव्य एक ही है, हालाँकि मार्ग भिन्न हो सकते हैं) जिसका अर्थ है सभी धर्मों के लिये समान सम्मान।
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