जेल-बंदियों को कानूनी सेवाएँ देने के लिये वेब एप्लीकेशन लॉन्च | 30 Jun 2017
समाचारों में क्यों?
- विदित हो कि राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नाल्सा) को जेल में बंद कैदियों को कानूनी सहायता प्रदान करने की ज़िम्मेदारी दी गई है। हाल ही भारतीय विधि संस्थान में आयोजित सम्मेलन में नाल्सा ने जेल बंदियों को निःशुल्क कानूनी सेवाएँ देने के लिये वेब एप्लीकेशन लॉन्च किया है।
- वेब एप्लीकेशन के माध्यम से राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण तथा ज़िला कानूनी सेवा प्राधिकरण अपने-अपने क्षेत्राधिकार के जेलों में प्रत्येक बंदी से संबंधित आँकड़े तैयार करेंगे, ताकि अदालत में वकील के ज़रिये उनका प्रतिनिधित्व किया जा सके।
- इस साफ्टवेयर के माध्यम से कैदियों की कुल संख्या, बिना वकील वाले कैदियों की कुल संख्या, कानूनी सेवा अधिवक्ताओं द्वारा प्रतिनिधित्व प्राप्त बंदियों की संख्या और अपने निजी वकीलों द्वारा प्रतिनिधित्व प्राप्त कैदियों की संख्या का पता लग जाएगा।
- यह वेब एप्लीकेशन कानूनी सेवा प्रणाली को और पारदर्शी बनाएगा और कहीं से भी सभी सक्षम पदाधिकारी कैदियों को दी जाने वाली कानूनी सहायता की अनुमति पर नज़र रख सकेगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अदालत में पेशी के पहले दिन से सभी बंदियों का प्रतिनिधित्व प्राप्त हो सके।
क्यों महत्त्वपूर्ण है यह प्रयास?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-22 में उपबंध है कि प्रत्येक आरोपी को बचाव का मौका दिया जाएगा। इसके तहत अदालत का यह दायित्व है कि जब भी कोई आरोपी अदालत में पेश हो तो वह उससे पूछे कि क्या कानूनी मदद चाहिये? इसके बाद अदालत आरोपी को सरकारी खर्चे पर वकील मुहैया कराती है। ऐसे वकील को एमिकस क्यूरी कहते हैं। उल्लेखनीय है कि कैदियों को अनुच्छेद 14,19 और 21 में दिये गये मौलिक अधिकार प्राप्त करने के अधिकार है।