राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन की शुरूआत | 29 Jun 2017
समाचारों में क्यों?
भारत में बायोफार्मास्यूटिकल्स के विकास को गति देने के लिये पहली बार औद्योगिकी-शैक्षणिक मिशन की शुरूआत की जा रही है। गौरतलब है कि भारत में नवाचार-3 (I-3) नाम से शुरू हो रहे इस कार्यक्रम में 25 करोड़ अमेरीकी डॉलर का निवेश होगा, जिसमें 12.5 करोड़ डॉलर विश्व बैंक से क़र्ज़ के रूप में प्राप्त होगा।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- विदित हो कि भारत फार्मास्यूटिकल उद्योग में काफी सक्रिय रहा है और जीवन रक्षक दवाओं के निर्माण और ज़रूरतमंदों के लिये कम कीमत वाले फार्मास्यूटिकल उत्पादों में भारत का वैश्विक स्तर पर अहम योगदान रहा है।
- चाहे वह रोटा वायरस के टीके हों या हार्ट वाल्व प्रोस्थेसिस या फिर सस्ते इंसुलिन, भारत इनमें और कई दूसरी दवाओं के निर्माण में अग्रणी रहा है।
- हालाँकि इन सभी प्रयासों के बावजूद भारत विकसित देशों की तुलना में फार्मास्यूटिकल उद्योग में 10-15 साल पीछे है और इसे चीन, कोरिया और अन्य देशों से चुनौती मिल रही है। भारत के उत्कृष्टता केन्द्रों में आपसी समन्वय, खोजपरक अनुसंधान और उचित कोष की कमी है।
- गौरतलब है कि इस मिशन को जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई, जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायक परिषद (BIRAC) लागू करेगी।
क्या होगा प्रभाव?
- यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भारतीय बायोफार्मास्यूटिकल्स उद्योग में इससे बड़ा बदलाव आएगा। इससे उद्यमिता और स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये आवश्यक परितंत्र का भी निर्माण होगा।
- बायोफार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में समेकित नवाचार सुनिश्चित करने के लिये उत्पाद खोज, अनुसंधान और शुरूआती विनिर्माण को बढ़ावा देने की ज़रूरत है और भारत में आई-3 इन कमियों को दूर करेगा।
- यह भारत को प्रभावी बायोफार्मास्यूटिकल उत्पादों के क्षेत्र में डिज़ाइन और विकास का केन्द्र बनाएगा।