जैव विविधता और पर्यावरण
ब्राज़ील में वनों की कटाई में वृद्धि
- 08 Aug 2019
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चर्चा में क्यों?
ब्राज़ील के अंतरिक्ष संस्थान द्वारा प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार से अमेज़न वनों की कटाई में लगातार वृद्धि हो रही है।
ब्राज़ील में वन कटाई के कारण:
- ब्राज़ील सरकार की प्रो-एग्रीबिजनेस नीतियों (Pro-Agrobusiness Policies) को वनों की कटाई के लिये मुख्य रूप से ज़िम्मेदार माना जा रहा है।
- वैश्विक स्तर पर पॉम ऑयल और सोयाबीन की बढ़ती मांग के कारण ब्राज़ील में इनके कृषि क्षेत्र में तेज़ी से प्रसार हो रहा है। गिनीज बुक ऑफ़ रिकॉर्ड के अनुसार, पॉम ऑयल निर्वनीकरण के लिये सर्वाधिक ज़िम्मेदार फसल है।
- पशुपालन, निर्वनीकरण के लिये दूसरा सबसे प्रमुख कारण है। वैश्विक स्तर पर गोमांस की बढ़ती मांग के कारण ब्राज़ील में इसके उत्पादन पर ज़ोर दिया जा रहा है। अमेरिका के टेक्सास के बाद ब्राज़ील वैश्विक स्तर पर गोमांस के लिये दूसरा सबसे बड़ा उभरता क्षेत्र है।
- स्थानीय निवासियों द्वारा जंगलों से लकड़ियों की अवैध तस्करी की जाती है जिसके लिये वनों की कटाई की जा रही है। इमारती लकड़ियों की मांग की वजह से भी वनों को नुकसान हो रहा है।
- ब्राज़ील से पेरू तक जाने वाले इंटरसोनिक एक्सप्रेस वे के कारण वनों की लगातार कटाई हुई है, इस एक्सप्रेस वे के आस-पास औद्यौगीकरण और अवसंरचना के निर्माण से भी वनों का क्षेत्रफल कम हुआ है।
- सरकार खनन और कृषि व्यवसाय की कंपनियों को अमेज़न सहित पर्यावरण संरक्षित क्षेत्रों में अपनी गतिविधियों का विस्तार करने की नीति के साथ ही पर्यावरण कानूनों को भी कमजोर कर रही है।
- ब्राज़ील में बढ़ता जनसंख्या दबाव भी वनों के क्षेत्र को सीमित कर रहा है।
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च के ऑकड़ो के अनुसार, वर्ष 2018, 2017 और 2016 की तुलना में इस वर्ष मई और जुलाई के बीच अधिक वन काटे गए हैं। संस्थान द्वारा वर्ष 2014 से नवीन निगरानी प्रणाली अपनाए जाने के बाद से वन कटाई की दर में यह सबसे बड़ा उछाल है।
वनों की कटाई के प्रभाव:
- ब्राजील के अमेज़न वर्षा वन पृथ्वी के बड़े पारिस्थितिक नियामक हैं क्योंकि ये वन प्रत्येक वर्ष 2 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं और पृथ्वी पर उपलब्ध कुल ऑक्सीजन में से 20% ऑक्सीजन छोड़ते हैं।
- निर्वनीकरण के कारण कार्बन चक्र पर नकारात्मक जैसे गंभीर पर्यावरणीय प्रभाव पड़ेगें साथ ही ग्रीनहाउस गैसों की प्रभावशीलता भी बढ़ जायेगी।
- ब्राज़ील वैश्विक स्तर पर जैव विविधता का हॉटस्पॉट है। निर्वनीकरण से पौधों और जानवरों का अस्तित्व खतरे में पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप जैव विविधता का भी ह्रास होगा।
- निर्वनीकरण वैश्विक स्तर पर वर्षंण प्रतिरूप को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा।
- बढ़ती कृषि से वनोन्मूलन के साथ ही मृदा क्षरण भी होगा जिससे दीर्घकालिक स्तर पर कृषि क्षेत्र प्रभावित होगा और अंततः खाद्यान सुरक्षा की भी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।
- वनों की कटाई से स्थानिक सांस्कृतिक विशेषता प्रभावित होगी क्योंकि ये समुदाय पूरी तरह से इन्ही वनों पर निर्भर होते हैं। ब्राज़ील में कमांझा समुदाय (Kamanjha Community) विशेष रूप से इससे प्रभावित हो रहा है।
सरकार की पर्यावरण नीतियों की पर्यावरण हितैषी गैर-लाभकारी संगठन ( विशेष रूप से SOS माटा अटलांटिका) लगातार आलोचना कर रहे हैं।
SOS माटा अटलांटिका ( SOS Mata Atlantica) एक गैर लाभकारी संगठन है। जो ब्राजील के अटलांटिक वन क्षेत्र के संरक्षण हेतु कार्यरत है।
वन क्षेत्रों के मापन की प्रणाली:
- वर्ष 2004 से उपग्रह चित्रों के आधार पर वनों की कटाई का अलर्ट डीटर (DETER) नामक निगरानी प्रणाली के माध्यम से जारी किया जा रहा है।
- डीटर (DETER) प्रणाली के पहले वर्ष 1980 के बाद से ही अमेज़न वर्षा वन, की निगरानी के लिये प्रोड्स (PRODES) नामक अन्य उपग्रह इमेजिंग प्रणाली का प्रयोग किया जा रहा था।
वन संरक्षण के प्रयास:
- हाल ही में ब्राज़ील ने सोयाबीन के बीजों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिये अनुसंधान कार्य हेतु वैश्विक स्तर पर वित्त के लिये ग्रीन बाण्ड जारी किया है।
- रेस्पोंसिबल कमोडिटी फैसिलिटी के तहत ब्राज़ील सरकार द्वारा प्राकृतिक आवासों को बिना हानि पहुँचाए उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
- वनसंरक्षण हेतु वनों के लिये साझेदारी ( Partnership for Forest) कार्यक्रम की मदद ली जा रही है।
- सतत् मिशन प्रबंधन ( Sustainable Investment Management) वनों को नुकसान पहुँचाने वाले कारको को रोकने के लिये ब्राज़ील के साथ सेराडो मैनिफेस्टो का समर्थन कर रहा है।
हाल ही में अमेज़न वनों की कटाई को रोकने वाली परियोजनाओं को धन आवंटित करने वाले सार्वजनिक अमेज़न फंड की दक्षता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस फंड में जर्मनी और नॉर्वे दो सबसे ज़्यादा धन देने वाले देश हैं। इसलिये ब्राज़ील सरकार के साथ-साथ वैश्विक समुदाय को भी पृथ्वी का फेफड़ा कहे जाने वाले इस क्षेत्र के लिये गंभीर प्रयास करने चाहिये।