अंतर्राष्ट्रीय संबंध
आयात-निर्यात के नवीनतम आँकड़े: एक तथ्यात्मक विश्लेषण
- 16 Sep 2017
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चर्चा में क्यों?
- अगस्त माह के दौरान निर्यात में तेज़ी देखी गई और इस दौरान यह 10.29 फीसदी बढ़कर 23.81 अरब डॉलर पहुँच गया है, जबकि जुलाई में निर्यात 3.94 फीसदी ही बढ़ा था।
- हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी किये गए आँकड़ों के अनुसार अगस्त में 23.81 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात हुआ, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 21.59 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था।
- अगस्त में निर्यात में सुधार के संकेत मिलते हैं क्योंकि मार्च के बाद से इसमें लगातार चार माह तक गिरावट देखी जा रही थी। मार्च में निर्यात में 27 फीसदी की तेज़ी आई थी।
- सरकारी आँकड़ों के अनुसार, मुख्य रूप से पैट्रोलियम उत्पादों, इंजीनियरिंग और रसायन निर्यात में वृद्धि से कुल निर्यात बढ़ा है।
व्यापार घाटे में बढ़ोतरी
- विदित हो कि इसी अवधि में व्यापार घाटा बढ़कर 11.64 अरब डॉलर हो गया। मुख्य रूप से सोने का आयात बढऩे से व्यापार घाटा बढ़ा है। सोने का आयात अगस्त महीने में 69 प्रतिशत बढ़कर 1.88 अरब डॉलर रहा।
- विदित हो कि अप्रैल-अगस्त के दौरान कुल निर्यात 8.57 प्रतिशत बढ़कर 118.57 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात 26.63 प्रतिशत बढ़कर 181.71 अरब डॉलर पर पहुँच गया। इससे व्यापार घाटा बढ़कर 63.14 अरब डॉलर पर पहुँच गया।
आयात, निर्यात और व्यापार घाटे के अंतर्संबंध
- किसी भी देश का निर्यात और आयात उस देश की अर्थव्यवस्था के विकास से जुड़ा होता है। अगर आयात में बढ़ोतरी हो जाए तो निर्यात कम होता है। यानी देश को बाहर से विेदेशी सामान खरीदने के लिये ज़्यादातर पैसा खर्च करना पड़ता है।
- यही कारण है की प्रत्येक देश चाहता है कि उसका निर्यात उसके आयात के बराबर हो या उससे अधिक हो। बाहर के देशों से कम से कम सामान खरीदना पड़े।
- नागरिकों को अगर अधिकतर वस्तुएँ देश में ही स्थित कम्पनियों के माध्यम से मिल जाएंगी तो वह विदेशी वस्तुओं को खरीदना कम कर देंगे। इससे आयात नहीं करना पड़ेगा।
- गौरतलब है कि निर्यात और आयात में अंतर ही व्यापार घाटा है। वर्तमान में भले भारत का निर्यात बढ़ा हो लेकिन उसका आयात और भी अधिक बढ़ गया है। अतः व्यापार घाटे में भी वृद्धि हुई है।