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शासन व्यवस्था

प्रशासनिक सेवाओं में पार्श्व प्रवेश

  • 15 Feb 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission- UPSC) द्वारा पार्श्व प्रवेश/लेटरल एंट्री के माध्यम से केंद्रीय प्रशासन में संयुक्त सचिव और निदेशक स्तर पर 30 व्यक्तियों की भर्ती हेतु एक विज्ञापन जारी किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • लेटरल एंट्री के बारे में:

    • पार्श्व प्रवेश शब्द का संबंध मुख्य रूप से निजी क्षेत्र से सरकारी संगठनों में विशेषज्ञों की नियुक्ति से है।
    • सरकार राजस्व, वित्तीय सेवाओं, आर्थिक मामलों, कृषि, सहयोग एवं किसानों का कल्याण, सड़क परिवहन और राजमार्ग, शिपिंग, पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन, नवीकरणीय ऊर्जा, नागरिक उड्डयन व वाणिज्य में विशेषज्ञता के साथ उत्कृष्ट व्यक्तियों की तलाश कर रही है।
  • लेटरल एंट्री के लाभ:

    • जटिलता को संबोधित करना:
      • वर्तमान समय की प्रशासनिक चुनौतियों को नेविगेट (Navigate) करने के उद्देश्य से सरकार को विशेषज्ञता और अपने क्षेत्र में विशेष ज्ञान वाले लोगों की आवश्यक है।
    • कार्मिक आवश्यकता की पूर्ति:
      • केंद्र में IAS अधिकारियों की कमी को दूर करने में लेटरल एंट्री मददगार साबित होगी।
    • संगठनात्मक संस्कृति:
      • यह सरकारी क्षेत्र में आर्थिक, दक्षतापूर्ण और प्रभावी मूल्यों को स्थापित करने में मदद करेगी।
      • इससे सरकारी क्षेत्र में प्रदर्शनात्मक संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा है।
    • सहभागी शासन:
      • वर्तमान समय में शासन में सहभागिता का विस्तार होने के साथ-साथ प्रशासनिक भूमिका भी विस्तारित हो रही है, इस प्रकार लेटरल एंट्री निजी क्षेत्र और गैर-लाभकारी क्षेत्र के हितधारकों को शासन प्रक्रिया में शामिल करती है।
  • संबंधित मुद्दे:

    • पारदर्शी प्रक्रिया की आवश्यकता:
      • इस योजना की सफलता की कुंजी सही लोगों को चुनने में पारदर्शी एवं स्पष्ट प्रक्रिया में निहित होगी।
    • संगठनात्मक मूल्यों में अंतर:
      • सरकार और निजी क्षेत्र के मूल्यों में काफी भिन्नता विद्यमान है।
      • इस बात को सुनिश्चित करना आवश्यक है कि जो लोग इस प्रणाली के माध्यम से चुनकर आते हैं, वे पूर्ण रूप से कार्य प्रणाली को समायोजित करने में कुशल एवं सक्षम हों। ऐसा इसलिये है क्योंकि सरकार द्वारा अपनी सीमाओं का निर्धारण स्वयं किया जाता है।
    • लाभ का उद्देश्य बनाम सार्वजनिक सेवा:
      • निजी क्षेत्र का दृष्टिकोण लाभोन्मुखी होता है। दूसरी ओर, सरकार का उद्देश्य सार्वजनिक सेवा है। यह एक मौलिक या आधारभूत संक्रमण (Fundamental Transition) है जिसमें एक निजी क्षेत्र के व्यक्ति को सरकार के साथ कार्य करते समय संक्रमण से गुज़रना पड़ता है।
    • आंतरिक प्रतिरोध:
      • लेटरल एंट्री को सर्विस सिविल सर्वेंट्स (Service Civil Servants) और उनके संघों द्वारा प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है। यह मौजूदा अधिकारों को समाप्त भी कर सकता है।
    • हितों के टकराव का मुद्दा:
      • निजी क्षेत्र के लोगों को शामिल करने से हितों में संभावित टकराव के मुद्दे उत्पन्न हो सकते हैं। इस प्रकार प्रवेशकों हेतु एक कठोर आचार संहिता की आवश्यकता है।
    • सीमित क्षेत्र:
      • लेटरल एंट्री की भूमिका शीर्ष स्तर पर क्षेत्रीय नीति बनाने में अधिक है जबकि ज़मीनी या निचले स्तर पर एक पद सोपान क्रम में इसका प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में कम देखा जाता है।

आगे की राह

  • शासन में उत्पन्न खामियों को दूर करने हेतु लेटरल एंट्री कोई अंतिम विकल्प नहीं है।
  • हालांँकि यह व्यवस्था अमेरिकी और ब्रिटिश प्रणाली में सर्वश्रेष्ठ की प्राप्ति हेतु एक छोटी शुरुआत को बढ़ावा देती है तथा सिस्टम में सुधार और बेहतर कार्य निष्पादन हेतु एक प्रकार का दबाव उत्पन्न करती है।
  • समाज के सबसे अधिक उत्पीड़ित वर्गों का विश्वास जीतने के उद्देश्य से लेटरल एंट्री को महत्त्वपूर्ण रूप से उचित, पारदर्शी और समतावादी होना चाहिये। यूपीएससी जैसी एजेंसियाँ संसद द्वारा अनुमोदित चयन प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

स्रोत: द हिंदू

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