अंतर्राष्ट्रीय संबंध
उच्च बी.एम.आई. और डायबिटीज़ : कैंसर के उत्तरदायी कारक
- 30 Nov 2017
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चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में प्रकाशित लैंसेट के एक नए अध्ययन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष 2012 में हुए कैंसर के 5.6 प्रतिशत नए मामलों के लिये डायबिटीज़ और उच्च बी.एम.आई. (Body Mass Index) (25kg/m2 से अधिक) उत्तरदायी माना गया है। इस अध्ययन के लिये दुनिया भर के 175 देशों से 7,92,600 मामलों का विश्लेषण किया गया।
- “द लैंसेट डायबिटीज़ एंड एन्डोक्रीनोलॉजी” (The Lancet Diabetes and Endocrinology) नामक अध्ययन के अनुसार, 18 प्रकार के कैंसर रोग के नए मामलों में तकरीबन 5,44,300 के लिये (सभी प्रकार के कैंसर का लगभग 3.9 प्रतिशत) उच्च बी.एम.आई. को उत्तरदायी माना गया, इसी प्रकार तकरीबन 2,80,100 मामलों के लिये मधुमेह (2 प्रतिशत) को कारण माना गया है।
- संभवतः इसका कारण यह है कि उच्च इंसुलिन, उच्च शर्करा स्तर, पुरानी सूजन (chronic inflammation) और एस्ट्रोजेन जैसे अनियंत्रित सेक्स हार्मोन (dysregulated sex hormones) का मानव के शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव है। ये सभी उक्त दोनों रोगों से संबद्ध है जो कि कैंसर को बढ़ावा देते हैं।
बॉडी मास इंडेक्स
- बीएमआई या बॉडी मास इंडेक्स की गणना किसी व्यक्ति की ऊँचाई और वज़न के आधार पर की जाती है। वस्तुत: दुनिया भर में बी.एम.आई. को मोटापे की एक माप के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- अध्ययन में व्यक्त अनुमानों के अनुसार, 7.66 लाख (24.5%) नए लीवर कैंसर के मामलों और एंडोमेट्रियल कैंसर के 3.17 लाख (38.4%) नए मामलों में उच्च बीएमआई एवं डायबिटीज़ को प्रमुख कारण माना गया है।
- वर्ष 1980 से 2002 तक इन जोखिम कारकों के प्रसार में तेज़ी से वृद्धि दर्ज़ की गई है।
भारतीय परिदृश्य में इसकी महत्ता
- लैंसेट अध्ययन में व्यक्त ये सभी आँकड़े भारतीय नीति-निर्माताओं के लिये बेहद उपयोगी साबित होंगे। लैंसेट के अनुसार, भारत में अनुमानत: 62 मिलियन मधुमेह रोगी हैं, अर्थात् भारत को विश्व की मधुमेह की राजधानी माना जाता है।
- वर्ष 2014 में ऑस्ट्रेलियाई मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, वर्ष 2000 में वैश्विक स्तर पर डायबिटीज़ के रोगियों की संख्या 171 मिलियन थी, जिसके वर्ष 2030 में बढ़कर 366 मिलियन होने की संभावना है। लेख के अनुसार, इस वृद्धि में सबसे अधिक प्रतिशतता भारत की है।
- एक अन्य अनुमान के अनुसार, वर्ष 2030 तक भारत में तकरीबन 79.4 मिलियन व्यक्तियों के डायबिटीज़ से पीड़ित होने की संभावना है।
- सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलीजेंस (Central Bureau of Health Intelligence) द्वारा एकत्र आँकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2012 में भारत में कैंसर के कुल 10,57,204 मामले मौजूद थे।
- राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री (National Cancer Registry) के अनुसार, 2016-17 में देश में मौजूद कुल कैंसर के मालमों की संख्या लगभग 14.5 लाख दर्ज़ की गई।
- द हिंदू समाचार पत्र द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, स्तन कैंसर सहित बहुत से कैंसर रोगों के लिये मोटापा एक प्रमुख जोखिम कारक है। इसका कारण यह है कि वसा ऊतकों में पुरुष हार्मोन एरोमेटेज़ (aromatase) नामक एंजाइम की सहायता से महिला हार्मोन में परिवर्तित हो जाते हैं, जोकि कैंसर की संभावना में वृद्धि करते हैं।
- वस्तुतः स्तन कैंसर के लिये महिला हार्मोन ज़िम्मेदार होते हैं। इसके अलावा मोटापे से ग्रस्त लोगों में भी गर्भाशय और पित्त मूत्राशय संबंधी कैंसर होने का खतरा काफी अधिक होता है। इसी प्रकार डायबिटीज़ रोगों के संबंध में भी मोटापा बेहद हानिकारक होता है। डायबिटीज़ और मोटापा दोनों समस्याओं से ग्रसित व्यक्तियों में कैंसर होने की संभावना अन्य लोगों की अपेक्षा बहुत अधिक होती है।
- इसका सबसे अहम् कारण यह है कि ऐसे लोग आम तौर पर गतिहीन जीवन शैली वाले होते हैं। हालाँकि, यदि ऐसे लोगों की जीवन शैली में परिवर्तन किया जाए तो ज़्यादातर मामलों में कैंसर होने से रोका जा सकता है।
- वैश्विक अनुमानों के अनुसार, वर्तमान में तकरीबन 422 लाख वयस्क डायबिटीज़ से और लगभग 2.01 अरब वयस्क अधिक वज़न या मोटापे से पीड़ित हैं। उच्च बी.एम.आई. और मधुमेह विभिन्न प्रकार के कैंसर के लिये प्रमुख जोखिम कारक हैं।
आगे की राह
- उपरोक्त विवरण से यह तो स्पष्ट है कि कैंसर के लिये उत्तरदायी उक्त दोनों जोखिमयुक्त कारकों में बढ़ोतरी होने से स्वास्थ्य संबंधी स्थिति के संदर्भ में गंभीरता से विचार किये जाने की आवश्यकता है, ताकि समय रहते इस समस्या का समाधान किया जा सके।
- इसके लिये नैदानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों के तहत एक वृहद स्तर के साथ-साथ एकल व्यक्तियों के संदर्भ में निवारक एवं स्क्रीनिंग उपायों की पहचान करके इस दिशा में प्रयासों को और अधिक सशक्त बनाए जाने पर बल दिया जाना चाहिये। इसके लिये एक महत्त्वपूर्ण उपाय प्रभावी खाद्य नीतियों को लागू किया जा सकता है।
- उक्त अध्ययन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर डायबिटीज़ और उच्च बी.एम.आई. से संबंधित कैंसर के अनुपात में वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि इन दोनों जोखिम कारकों में निरंतर बढ़ोतरी दर्ज़ की जा रही है।