प्रौद्योगिकी
लखवार बहुउद्देश्यीय परियोजना
- 29 Aug 2018
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चर्चा में क्यों?
नितिन गडकरी ने देहरादून के नज़दीक यमुना पर लखवार बहुउद्देश्यीय परियोजना के निर्माण के लिये छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
प्रमुख बिंदु
- इस परियोजना में छह राज्य - उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली शामिल है।
- उक्त सभी छह राज्यों को इस परियोजना से नदी के प्रवाह, पेयजल, सिंचाई और बिजली की सुविधा का लाभ प्राप्त होगा।
- उल्लेखनीय है कि यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिये स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत वर्तमान में यमुना नदी पर 34 परियोजनाएँ चलाई जा रही हैं।
- इस परियोजना के पूरा हो जाने पर इन सभी राज्यों में पानी की कमी की समस्या का समाधान होगा, क्योंकि इससे यमुना नदी में हर वर्ष दिसंबर से मई/जून तक सूखे मौसम में पानी के बहाव में सुधार आएगा।
क्या है लखवार परियोजना?
- लखवार परियोजना को पूर्व में 1976 में मंजूरी दी गई थी, लेकिन इस परियोजना पर कार्य 1992 में रोक दिया गया था।
- लखवार परियोजना के अंतर्गत उत्तराखंड में देहरादून ज़िले के लोहारी गाँव के नज़दीक यमुना नदी पर 204 मीटर ऊँचा कंक्रीट का बांध बनाना प्रस्तावित है।
- उल्लेखनीय है कि बांध की जल संग्रहण क्षमता 330.66 MCM होगी और इससे 33,780 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की जा सकेगी तथा यमुना बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों में घरेलू एवं औद्योगिक इस्तेमाल और पीने के लिये 78.83 MCM पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा।
- इस परियोजना से 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।
- इस परियोजना के निर्माण का कार्य उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड द्वारा किया जाएगा।
- स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत यमुना नदी में प्रदूषण को दूर करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और इस नदी पर 34 परियोजनाओं को प्रारंभ किया जा रहा है, जिनमें से 12 दिल्ली में हैं, जो सुनिश्चित करेंगी कि हरियाणा और राजस्थान को जाने वाला पानी निर्मल हो।
- हालाँकि, लखवार परियोजना सभी छह राज्यों को पर्याप्त पानी प्रदान करेगी किंतु नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यमुना में प्रदूषण को दूर करने का दोहरा उद्देश्य पूरा हो सके।
- लखवार परियोजना न केवल पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी, बल्कि इससे सभी छह राज्यों में सिंचाई, बिजली उत्पादन और पेयजल की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
- लखवार परियोजना की कुल 3,966.51 करोड़ रुपए की लागत में से उत्तराखंड सरकार बिजली के 1,388.28 करोड़ रुपए का खर्च उठाएगी।
- इस परियोजना के पूरा होने पर बिजली का पूरा फायदा उत्तराखंड को मिलेगा।
- इस परियोजना से जुड़े सिंचाई और पीने के पानी की व्यवस्था वाले हिस्से के कुल 2,578.23 करोड़ रुपए के खर्च का 90 प्रतिशत (2320.41 करोड़ रुपए) केंद्र सरकार वहन करेगी, जबकि शेष 10 प्रतिशत खर्च को छह राज्यों के बीच बाँट दिया जाएगा।
- इसमें हरियाणा को 123.29 करोड़ रुपए (47.83%) उत्तर प्रदेश/ उत्तराखंड को 86.75 करोड़ रुपए (33.65%), राजस्थान को 24.08 करोड़ रुपए (9.34%), दिल्ली को 15.58 करोड़ रुपए (6.04%) तथा हिमाचल प्रदेश को 8.13 करोड़ रुपए (3.15%) देने होंगे।
- लखवार परियोजना के तहत संग्रहीत जल का बँटवारा यमुना के बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों के बीच 12 मई, 1994 को किये गये समझौता ज्ञापन की व्यवस्थाओं के अनुरूप होगा।
ऊपरी यमुना नदी बोर्ड क्या है?
- लखवार बांध के जलाशय का नियमन ऊपरी यमुना नदी बोर्ड के ज़रिये किया जाएगा।
- गौरतलब है कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली छह ऊपरी यमुना बेसिन राज्य हैं।
- ऊपरी यमुना से तात्पर्य यमुना नदी का उसके उद्भव से दिल्ली में ओखला बैराज तक है।
- छह राज्यों ने यमुना नदी के ऊपरी बहाव के आवंटन के संबंध में 12 मई, 1994 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये थे।
- इस समझौते में ऊपरी यमुना बेसिन में जल संग्रहण की सुविधा सृजित करने की आवश्यकता को पहचाना गया है, जिसके परिणामस्वरूप नियंत्रित तरीके से मानसून के दौरान नदी के पानी के बहाव का संरक्षण और उसका इस्तेमाल किया जा सके।