कृषि कल्याण अभियान | 05 Jun 2018
चर्चा में क्यों?
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए 1 जून, 2018 से 31 जुलाई, 2018 तक के लिये कृषि कल्याण अभियान (Krishi kalyan Abhiyaan) की शुरूआत की है। इस अभियान के तहत किसानों को उत्तम तकनीक एवं आय बढ़ाने के बारे में सहायता और सलाह प्रदान की जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- कृषि कल्याण अभियान आकांक्षी ज़िलों (Aspirational Districts) के 1000 से अधिक आबादी वाले प्रत्येक 25 गाँवों में चलाया जा रहा है। इन गाँवों का चयन ग्रामीण विकास मंत्रालय ने नीति आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया है।
- जिन ज़िलों में गाँवों की संख्या 25 से कम है, वहाँ के सभी गाँवों को (1000 से अधिक आबादी वाले) इस योजना के तहत कवर किया जा रहा है।
- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के विभिन्न विभागों ने मिलकर एक कार्य-योजना तैयार की है, जिसके तहत विशिष्ट गतिविधियों का चयन किया गया है।
- कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग (Department of Agriculture, Cooperation & Farmers Welfare - DAC&FW), पशुपालन, डेयरी उद्योग और मत्स्य पालन विभग (Department of Animal Husbandry Dairying & Fisheries - DAHD&F), कृषि शोध एवं शिक्षा विभाग (Department of Agricultural Research & Education - DARE-ICAR) मिलकर ज़िलों के 25-25 गाँवों में कार्यक्रमों का संचालन करेंगे।
- प्रत्येक ज़िले के कृषि विज्ञान केंद्र सभी 25-25 गाँवों में कार्यक्रमों को लागू करने में सहयोग करेंगे।
- प्रत्येक ज़िले में एक अधिकारी को कार्यक्रम की निगरानी एवं सहयोग करने का प्रभार दिया गया है। इन अधिकारियों का चयन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रमों/स्वायत्त संगठनों और संबद्ध कार्यालयों से किया गया है।
किन-किन बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है?
- कृषि आय बढ़ाने और बेहतर पद्धतियों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है, जो निम्नलिखित हैं :
♦ मृदा स्वास्थ्य कार्डों का सभी किसानों में वितरण।
♦ प्रत्येक गाँव में खुर और मुँह रोग (Foot and Mouth Disease – FMD) से बचाव के लिये सौ प्रतिशत बोवाइन टीकाकरण।
♦ भेड़ और बकरियों में पीपीआर बीमारी (Peste des Petits ruminants – PPR) से बचाव के लिये सौ फीसदी कवरेज़।
♦ सभी किसानों के बीच दालों और तिलहन की मिनी किट का वितरण।
♦ प्रति परिवार पाँच बागवानी/कृषि वानिकी/बाँस के पौधों का वितरण।
♦ प्रत्येक गाँव में 100 एनएडीएपी पिट (एम.डी. पंढरीपांडे, जिसे "नडेपकाका" भी कहा जाता है द्वारा विकसित खाद बनाने की विधि) बनाना।
♦ कृत्रिम गर्भाधान के बारे में जानकारी देना।
♦ सूक्ष्म सिंचाई से जुड़े कार्यक्रमों का प्रदर्शन।
♦ बहु-फसली कृषि के तौर-तरीकों का प्रदर्शन। - इसके अलावा, इस अभियान के अंतर्गत सूक्ष्म सिंचाई और एकीकृत फसल के संबंध में भी आवश्यक जानकारी प्रदान की जाएगी। साथ ही किसानों को नवीनतम तकनीकों एवं प्रौद्योगिकी के विषय में भी अवगत कराया जाएगा।
- इसके साथ-साथ आईसीएआर/केवीएस द्वारा प्रत्येक गाँव में मधुमक्खी पालन, मशरूम की खेती और गृह उद्यान के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों में महिला प्रतिभागियों और किसानों को प्राथमिकता दी जा रही है।