विश्व इतिहास
कोहिमा वार सीमेट्री
- 18 Jan 2022
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:कोहिमा वार सीमेट्री, द्वितीय विश्व युद्ध, कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कमीशन, भारतीय राष्ट्रीय सेना मेन्स के लिये:द्वितीय विश्व युद्ध, द्वितीय विश्व युद्ध में उत्तर पूर्व भारत का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में यूनाइटेड किंगडम स्थित कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कमीशन (Commonwealth War Graves Commission- CWGC) ने असामान्य विशेषताओं वाली पांँच साइट्स को सूचीबद्ध किया है। ये स्थल प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध से जुड़े हुए हैं।
- नगालैंड की राजधानी कोहिमा को कोहिमा युद्ध कब्रिस्तान/कोहिमा वार सीमेट्री (Kohima War Cemetery) की वजह से सूची में शामिल किया गया है।
कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कमीशन:
- CWGC छह सदस्य-राज्यों (ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, भारत, न्यूज़ीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, यूनाइटेड किंगडम) का एक अंतर-सरकारी संगठन है जो इस बात को सुनिश्चित करता है कि युद्ध में मारे गए पुरुषों और महिलाओं को कभी नहीं भुलाया जाएगा।
- इसका गठन वर्ष 1917 में इंपीरियल वॉर ग्रेव्स कमीशन के रूप में किया गया था। हालाँकि वर्तमान नाम वर्ष 1960 में दिया गया था।
- इसका मुख्यालय मेडेनहेड, यूके में स्थित है।
प्रमुख बिंदु
- कोहिमा वार सीमेट्री के बारे में:
- नगालैंड की राजधानी कोहिमा में संभवत: विश्व का एकमात्र कब्रिस्तान/सीमेट्री है जहांँ टेनिस कोर्ट है।
- कोहिमा युद्ध सीमेट्री सीडब्ल्यूजीसी द्वारा महाद्वीपों में बनाए गए 23,000 विश्व युद्ध की कब्रों में से एक है।
- सीमेट्री का गठन:
- 3 अप्रैल, 1944 को 15,000 सैनिकों की एक जापानी सेना ने कोहिमा और उसके 2,500 मज़बूत सैनिक बलो पर हमला किया था।
- इसने दो सप्ताह की कठिन, खूनी लड़ाई का नेतृत्त्व किया था
- इस घर के लॉन में एक टेनिस कोर्ट था जिसका उपयोग ब्रिटिश अधिकारी मनोरंजन के लिये करते थे।
- बचे हुए रक्षकों ने अपने अंतिम स्टैंड के लिये तैयार गार्डन टेनिस कोर्ट के चारों ओर डेरा डाला। जैसे ही जापानी सेना हमला करने के लिये तैयार हुई उस पर एक राहत बल के प्रमुख टैंकों द्वारा हमला किया गया और रक्षकों को बचाया गया इस प्रकार हमलावरों को पीछे धकेल दिया गया।
- इस घटना के बावजूद जापानी सेना ने कोहिमा के लिये लड़ना जारी रखा और अंततः वह मई 1944 में पीछे हटने के लिये मजबूर हो गई।
- जो लोग कोहिमा युद्ध में मारे गए थे उन्हें युद्ध के मैदान में ही दफनाया गया था, जो बाद में एक स्थायी सीडब्ल्यूजीसी सीमेट्री बन गया।
- डिज़ाइनर कॉलिन सेंट क्लेयर ओक्स ने सीमेट्री के डिज़ाइन में टेनिस कोर्ट को शामिल किया।
- सूची में अन्य कब्रिस्तान (सीमेट्री):
- प्रथम विश्व युद्ध "क्रेटर सीमेट्री" - फ्राँस में पास डी कैलाइस क्षेत्र में ज़िवी क्रेटर और लिचफील्ड क्रेटर।
- साइप्रस में निकोसिया (वेन्स कीप) सीमेट्री या "सीमेट्री इन नो मैन्स लैंड"।
द्वितीय विश्व युद्ध में कोहिमा का महत्त्व
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय उप-महाद्वीप के केवल कुछ ही विशिष्ट स्थान जैसे- नगालैंड और उससे सटा मणिपुर शामिल थे।
- वर्ष 1944 में बर्मी जंगल में कड़ी लड़ाई के बाद इस क्षेत्र में जापानी सेना ने चिंदविन नदी को पारकर भारत में प्रवेश कर लिया था। उनकी लड़ाई ‘फोर्टींंन आर्मी' से हुई थी, जो राष्ट्रमंडल की सेनाओं से मिलकर बनी थी।
- यह आक्रमण दो प्रमुख बिंदुओं- इंफाल और कोहिमा पर हुआ था। यहाँ ‘फोर्टींंन आर्मी' की हार का मतलब था कि जापान, भारत पर और बड़ा हमला कर सकता था।
- कोहिमा की सामरिक स्थिति काफी महत्त्वपूर्ण थी, जो कि दीमापुर के जंगल के पहाड़ों से गुज़रने का उच्चतम बिंदु था और अब यह नगालैंड का वाणिज्यिक केंद्र है।
- दीमापुर के पतन का अर्थ था कि इंफाल में मौजूद सैनिकों को सुभाष चंद्र बोस की भारतीय राष्ट्रीय सेना के साथ लड़ने वाले जापानी सैनिकों की दया पर छोड़ देना।
द्वितीय विश्व युद्ध
- परिचय:
- द्वितीय विश्व युद्ध वर्ष 1939-45 के बीच एक सशस्त्र विश्वव्यापी संघर्ष था।
- 1 सितंबर, 1939 को जर्मनी के पोलैंड पर आक्रमण के छह साल और एक दिन बाद यह समाप्त हो गया, जिसने 20वीं सदी के दूसरे वैश्विक संघर्ष को जन्म दिया।
- 2 सितंबर, 1945 को जब यह एक अमेरिकी युद्धपोत पर समाप्त हुआ, तब इसमें लगभग 60-80 मिलियन लोग शामिल हुए थे जो दुनिया की आबादी की लगभग 3% थी।
- मरने वालों में अधिकांश साधारण नागरिक थे, जिनमें 6 मिलियन यहूदी भी शामिल थे, जो युद्ध के दौरान नाजी बंदी शिविरों में मारे गए थे।
- प्रमुख प्रतिद्वंद्वी:
- धुरी शक्तियाँ- जर्मनी, इटली और जापान
- मित्र राष्ट्र- फ्राँस, ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और कुछ हद तक चीन