जैव विविधता और पर्यावरण
किंग पेंगुइन की सबसे बड़ी बस्ती में 90% की कमी
- 01 Aug 2018
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में किये गए शोध से पता चलता है कि किंग पेंगुइन की धरती की सबसे बड़ी आवासीय बस्ती में पिछले तीन दशकों में 90 प्रतिशत तक की कमी आई है।
प्रमुख बिंदु
- आखिरी बार जब वैज्ञानिकों ने फ्राँस के दूरवर्ती क्षेत्र आइल ऑक्स कोचन्स, जो कि अफ्रीका के दक्षिणतम बिंदु और अंटार्कटिका के लगभग बीच में स्थित है, पर कदम रखा तो देखा कि यह द्वीप एक मीटर लंबे न उड़ सकने वाले बीस लाख किंग पेंगुइन पक्षियों से भरा था।
- लेकिन अंटार्कटिक साइंस में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, हाल ही में उपग्रह द्वारा प्राप्त तस्वीरों से पता चलता है कि इस द्वीप पर किंग पेंगुइन की जनसंख्या में तीव्र गिरावट आई है और अभी वर्तमान में लगभग 2 लाख पेंगुइन ही शेष हैं।
- यद्यपि वयस्क पेंगुइन भोजन हेतु एक अवधि में कुछ दिनों के लिये समुद्र में जाते होंगे, किंतु यह प्रजाति उत्प्रवास नहीं करती है।
- इस आवासीय बस्ती ने दुनिया के लगभग एक-तिहाई किंग पेंगुइन की आबादी का प्रतिनिधित्व किया है। किंग पेंगुइन की सबसे बड़ी बस्ती में आई गिरावट की वज़ह अभी रहस्य बनी हुई है।
- इसमें जलवायु परिवर्तन की भी एक भूमिका हो सकती है। 1997 में विशेष रूप से मज़बूत एल निनो मौसमी परिघटना ने दक्षिणी हिंद महासागर को गर्म कर दिया तथा अस्थायी रूप से मछली और स्क्विड, जिस पर किंग पेंगुइन निर्भर करते हैं, को किंग पेंगुइन के भोजन ग्रहण क्षेत्र से परे दक्षिण में पहुँचा दिया। इस कारण जनसंख्या में कमी और निम्न प्रजनन दर देखी गई।
- उत्प्रवास एक विकल्प नहीं है क्योंकि किंग पेंगुइन के भोजन ग्रहण क्षेत्र के अंतर्गत कोई अन्य उपयुक्त द्वीप नहीं है। अत्यधिक जनसंख्या सहित अन्य कारक आइल ऑक्स कोचन्स बस्ती में पेंगुइन की संख्या में आई कमी के संभावित कारण हो सकते हैं।
- आईयूसीएन की संकटग्रस्त प्रजातियों की संरक्षण स्थिति की रेड लिस्ट में किंग पेंगुइन को अभी तक "संकटमुक्त"(Least Concerned) श्रेणी में रखा गया है, लेकिन नया डेटा पुनर्मूल्यांकन को प्रेरित कर सकता है।
- किंग पेंगुइन एम्परर पेंगुइन के बाद दूसरी सबसे बड़ी पेंगुइन प्रजाति है।