संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् द्वारा भारत से मृत्युदंड की समाप्ति की सिफारिश | 10 May 2017

संदर्भ
निर्भया बलात्कार मामले के चार अपराधियों को मृत्युदंड सुनाने के चार दिन बाद ही संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) ने यह सिफारिश की है कि भारत को मृत्युदंड की समाप्ति कर देनी चाहिये|

प्रमुख बिंदु 

  • संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा भारत के मानवाधिकार आयोग के रिकॉर्ड की सार्वभौमिक समीक्षा करने के पश्चात भारत को आयोग से इस सन्दर्भ में 250 सिफारिशें प्राप्त हुई हैं| इनमें से कई सिफारिशें मृत्युदंड की समाप्ति के विषय में हैं| मानवाधिकार परिषद् के अनुसार, भारत ने अत्याचार, अन्य कठोर दंडों तथा वैवाहिक बलात्कार के अपराधियों के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र के अभिसमय की पुष्टि की है| अभी भारत ने इन सिफारिशों की समीक्षा करने का निर्णय लिया है|
  • वैवाहिक बलात्कार (marital rape) को दंडनीय अपराध बनाने का मुद्दा राजनीतिक इच्छाशक्ति पर निर्भर है| पूर्व के वर्षों में गृह राज्य मंत्री हरिभाई चौधरी ने राज्यसभा में भारतीय दंड संहिता में संशोधन करने का विचार रखा था| उनके अनुसार, बलात्कार की परिभाषा से ‘वैवाहिक बालात्कार’ को हटाना असंभव होगा|
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य वैवाहिक बलात्कार की अवधारणा विभिन्न कारकों (जैसे- शिक्षा और गरीबी का स्तर) के कारण भारतीय परिदृश्य में उचित तरह से लागू नहीं होती है| यहाँ पीड़ितों का संरक्षण करने के स्थान पर सामाजिक मान्यताओं को वरीयता दी जाती है| अपराध केवल बलात्कार पर बने कानूनों तक ही सीमित नहीं हैं| भारत ने मानवाधिकार परिषद के इस अभिसमय की पुष्टि इसलिये की है क्योंकि वह महिलाओं के विरुद्ध होने वाले हर प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने की इच्छा रखता है|
  • वर्ष 1993 में अभिसमय की पुष्टि करते समय भारत ने घोषणा की थी कि अभिसमय के अनुच्छेद 5(क) और 16(1) के तहत भारत सरकार यह घोषणा करती है कि वह इसका पालन करेगी तथा इसकी पहल अथवा सहमति के बिना किसी भी समुदाय के व्यक्तिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी|
  • इस अभिसमय का अनुच्छेद 5(क) पूर्वाग्रहों और रुढ़िवादी प्रथाओं को समाप्त करने से संबंधित है जिनमें महिलाओं को हीन समझा जाता है जबकि इसका अनुच्छेद 16(1) कहता है कि विवाह तथा पारिवारिक संबंधों से संबंधित मामलों में महिलाओं के विरुद्ध होने वाले भेदभावों को समाप्त किया जाए| 
  • इसकी अन्य अनुशंसाओं में अंतर-सांप्रदायिक हिंसा को रोकना, जाति आधारित सभी भेद-भावों और हिंसा को समाप्त करना तथा मानव व्यापार को रोकने के लिये राष्ट्रीय प्रक्रियाओं का मज़बूतीकरण करना शामिल है|

क्या है संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद?

  • संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था का एक अंतर-सरकारी निकाय है| इसका उद्देश्य विश्व में मानवाधिकारों को बढ़ावा देना तथा उनका संरक्षण करना है|
  • यह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग का अग्रवर्ती (successor) है तथा यह संयुक्त राष्ट्र महासभा का सहायक निकाय है|