भारतीय अर्थव्यवस्था
मसाला बॉण्ड जारी करने वाला पहला भारतीय राज्य
- 20 May 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (Kerala Infrastructure Investment Fund Board- KIIFB) ने लंदन स्टॉक एक्सचेंज में 2,150 करोड़ रुपए का मसाला बॉण्ड जारी किया है।
प्रमुख बिंदु
- मसाला बॉण्ड जारी करने के पश्चात् ‘केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड’ भारत का पहला उप-संप्रभु इकाई बन गया, जिसने अपतटीय रुपया अंतर्राष्ट्रीय बॉण्ड बाज़ार (Offshore Rupee International Bond Market) में प्रवेश किया है।
- इस बॉण्ड पर निश्चित कूपन दर 9.723% एवं इसकी परिपक्वता अवधि 5 वर्ष होगी।
- यह बॉण्ड राज्य में निवेश करने हेतु बहुराष्ट्रीय निगमों को आकर्षित करने पर केंद्रित है।
- गौरतलब है कि केरल को गैर-व्यावसायिक नीतियों, लालफीताशाही और बार-बार होने वाली औद्योगिक हड़तालों के लिये जाना जाता है।
- केरल राज्य सरकार के अनुसार, बॉण्ड इश्यू से प्राप्त आय को वर्ष 2018 में बाढ़ से तबाह हुए क्षेत्र के पुनर्निर्माण हेतु इस्तेमाल किया जाएगा।
- गौरतलब है कि केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड राज्य के स्वामित्व में कार्य करता है।
अपतटीय रुपया अंतर्राष्ट्रीय बॉण्ड बाज़ार
- भारतीय राष्ट्रीय सीमा के बाहर ‘रुपया’ एक मुद्रा है जिसमें कई प्रकार के व्यापार और लेन-देन भी होते हैं। ‘अपतटीय रुपया अंतर्राष्ट्रीय बॉण्ड बाज़ार’ घरेलू मुद्रा के अंतर्राष्ट्रीयकरण से भी जुड़ा है। अपतटीय रुपए बाज़ार का सबसे अच्छा उदाहरण मसाला बॉण्ड है जिसका प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से पैसे लेने हेतु किया जाता है लेकिन यह कार्य भारतीय मूल्य में ही होगा।
केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (KIIFB)
- ‘केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड’ का प्रबंधन करने हेतु KIIFB वर्ष 1999 में केरल सरकार (वित्त विभाग) के तहत अस्तित्व में आया।
- इस फंड का मुख्य उद्देश्य केरल राज्य में महत्त्वपूर्ण और बड़े बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं हेतु निवेश प्रदान करना था।
- किंतु वर्ष 2016 में वर्तमान सरकार ने KIIFB की भूमिका को एक इकाई के रूप में परिवर्तित कर दिया जिसका उद्देश्य बजट के दायरे से बाहर की विकासात्मक परियोजनाओं हेतु संसाधन जुटाना था।
विभिन्न प्रकार के बॉण्ड
- वर्तमान में बहुत से बॉण्ड चर्चा का विषय बने हुए हैं, जिनके कारण अक्सर दुविधा की स्थिति बन जाती है। इस दुविधा से बचने के लिये ही हमने ऐसे कुछ बॉण्डों के विषय में यहाँ संक्षिप्त जानकारी देने का प्रयास किया है, जो कि इस प्रकार हैं-
मसाला बॉण्ड
- मसाला बॉण्ड भारत के बाहर जारी किये जाने वाले बॉण्ड होते हैं, लेकिन स्थानीय मुद्रा की बजाय इन्हें भारतीय मुद्रा में निर्दिष्ट किया जाता है।
- डॉलर बॉण्ड के विपरीत (जहाँ उधारकर्त्ता को मुद्रा जोखिम लेना पड़ता है) मसाला बॉण्ड में निवेशकों को जोखिम उठाना पड़ता है।
- नवंबर 2014 में विश्व बैंक के इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन द्वारा पहला मसाला बॉण्ड जारी किया गया था।
रुपए बॉण्ड
- रुपए ऋण बॉण्ड (Rupee Debt Bonds) को रुपए डेनोमीनेटेड बॉण्ड (Rupee Denominated Bonds) या ‘मसाला बॉण्ड’ (Masala Bonds) के रूप में भी जाना जाता है।
- इस प्रकार के बॉण्ड को भारतीय संस्थाओं द्वारा विदेशी बाज़ारों में विदेशी मुद्रा जोखिम को खत्म करने के लिये जारी किया जाता है।
- मसाला बॉण्ड, ऑफशोर कैपिटल मार्केट (Offshore Capital Markets) में जारी किये गए भारतीय रुपए डेनोमीनेटेड बॉण्ड (Indian Rupee Denominated Bonds) हैं।
हरित बॉण्ड
- हरित बॉण्ड, संघीय योग्य संगठनों अथवा नगर पालिकाओं द्वारा पूर्व स्थापित क्षेत्रों (Brownfield sites) के विकास के लिये जारी कर-मुक्त बॉण्ड होते हैं।
- ग्रीन बॉण्ड, दूसरे बॉण्डों की तरह ही होते हैं, लेकिन इनके तहत केवल पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं यानी हरित परियोजनाओं में निवेश किया जाता है। ऐसी परियोजनाएँ आमतौर पर अक्षय ऊर्जा, कचरा प्रबंधन, स्वच्छ परिवहन, सतत् जल प्रबंधन एवं जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलित क्षेत्र में अवस्थित होती हैं।
जलवायु बॉण्ड
- जलवायु बॉण्ड (इन्हें ग्रीन बॉण्ड के रूप में भी जाना जाता है) के रूप में निश्चित आय वाले वित्तीय साधनों (बॉण्ड) को जलवायु परिवर्तन संबंधी समाधानों से किसी-न-किसी तरह से संबद्ध किया जाता है।
- जलवायु बॉण्ड (Climate Bonds) अपेक्षाकृत एक नया परिसंपत्ति वर्ग (New Asset Class) है। इसके बावजूद इसमें बहुत तेज़ी से वृद्धि हो रही है।
सामाजिक प्रभाव बॉण्ड
- सामाजिक प्रभाव बॉण्ड (Social Impact Bond) को सफल वित्तपोषण हेतु वेतन (Pay for Success Financing) अथवा सामाजिक लाभ बॉण्ड या केवल एक सामाजिक बॉण्ड के रूप में जाना जाता है।
- वस्तुतः यह सार्वजनिक क्षेत्र के साथ एक अनुबंध के रूप में होता है, जिसमें बेहतर सामाजिक परिणामों के लिये भुगतान करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की जाती है। इसका परिणाम सार्वजनिक क्षेत्र की बचत में परिलक्षित होता है।
विकास प्रभाव बॉण्ड
- विकास प्रभाव बॉण्ड (Development Impact Bonds - DIBs) एक प्रदर्शन आधारित निवेश साधन है, जिसका उद्देश्य कम संसाधन वाले देशों के विकास कार्यक्रमों को वित्तपोषित करना है।
- विकास प्रभाव बॉण्ड को सामाजिक प्रभाव बॉण्ड के आधार पर बनाया जाता है।
औद्योगिक राजस्व बॉण्ड बॉण्ड
- औद्योगिक राजस्व बॉण्ड (Industrial Revenue Bond - IRB) राज्य अथवा स्थानीय सरकार द्वारा जारी एक अनूठे प्रकार का राजस्व बॉण्ड होता है।
- इस बॉण्ड को एक सरकारी इकाई द्वारा प्रायोजित किया जाता है।
सामान्य दायित्व बॉण्ड
- एक सामान्य दायित्व बॉण्ड (General Obligation Bond) एक नगरपालिका बॉण्ड होता है।
- ये किसी परियोजना से प्राप्त राजस्व के स्थान पर वितरित अधिकार क्षेत्र के क्रेडिट और कर लगाने की शक्ति द्वारा समर्थित बॉण्ड होते हैं।
- सामान्य दायित्व बॉण्ड को इस धारणा के साथ जारी किया जाता है कि इसके आधार पर नगरपालिका परियोजनाओं से प्राप्त राजस्व अथवा कराधान के माध्यम से अपने ऋण दायित्वों को चुकाने में सक्षम हो जाएंगी।
कॉरपोरेट बॉण्ड
- किसी कॉरपोरेशन द्वारा जारी किये गए बॉण्ड को कॉरपोरेट बॉण्ड कहा जाता है।
- कॉरपोरेट बॉण्ड को पहले से चल रहे कार्यों अथवा विलय एवं अधिग्रहण अथवा व्यापार का विस्तार करने जैसे विभिन्न कारणों हेतु वित्तपोषण बढ़ाने के लिये जारी किया जाता है।
- हालाँकि, कॉरपोरेट बॉण्ड शब्द को बहुत सटीकता के साथ परिभाषित नहीं किया गया है।