केरल के आपदा प्रबंधन के नए प्रोटोकॉल | 13 May 2019
चर्चा में क्यों?
चक्रवात 'ओखी' और वर्ष 2018 में आई बाढ़ से सबक लेते हुए केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Kerala State Disaster Management Authority-KSDMA) ने मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedures-SOP), आपदा प्रबंधन की ऑरेंज बुक और आपातकालीन सहायता कार्य योजना को अपडेट किया है। केरल राज्य में आपदा प्रबंधन के लिये नए प्रोटोकॉल 'मानसून की तैयारी और आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना' को अपनाया गया।
प्रमुख बिंदु
- ऑरेंज बुक में बाढ़, चक्रवात, सुनामी, उच्च लहरों (प्रफुल्लित लहरें, तूफानी महोर्मि, 'कल्ला कदल'), पेट्रोकेमिकल दुर्घटनाओं और यहाँ तक की अंतरिक्ष मलबे के कारण होने वाली दुर्घटनाओं हेतु मानक संचालन प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है। ऑरेंज बुक में राज्य भर में उपलब्ध आपातकालीन प्रतिक्रिया परिसंपत्तियों से संबंधित सूचनाएँ निहित हैं।
- ’मानसून की तैयारी और आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना’ मौसम-विशिष्ट योजना है और दक्षिण-पश्चिम तथा उत्तर-पूर्वी मानसून के मौसम (जून से दिसंबर) के दौरान इसका सख्ती से अनुपालन किया जाता है।
- यह राज्य के आपातकालीन संचालन केंद्र, केंद्रीय एजेंसियों, ज़िला आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों आदि की भूमिकाओं को सूचीबद्ध करता है। इससे पहले किसी भी दस्तावेज़ में सरकारी विभागों की ज़िम्मेदारियों को स्पष्ट नहीं किया गया था।
- मानसून तैयारी योजना, आपदा प्रबंधन की ऑरेंज पुस्तक की एक मौसम-विशिष्ट गतिशील उप-योजना है। मानसून पर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग का पहला दीर्घावधि पूर्वानुमान प्राप्त करने के बाद इसे हर साल अपडेट किया जाएगा।
राज्य आपदा प्रबंधन आयोग
- आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 23 में यह प्रावधान है कि प्रत्येक राज्य के लिये एक आपदा प्रबंधन योजना बनाई जाएगी। यह धारा इस बात को रेखांकित करती है कि योजना के व्यापक कवरेज के साथ-साथ राज्य योजनाओं के संदर्भ में तैयारी हेतु परामर्श की आवश्यकता पर भी ध्यान दिया जाएगा।
- यह राज्य योजना की वार्षिक समीक्षा एवं उन्हें अद्यतन किये जाने का भी प्रावधान करता है।
- साथ ही इसके अंतर्गत राज्य की योजनाओं को वित्तपोषण प्रदान किये जाने की भी व्यवस्था की गई है।
- यह राज्य सरकार के विभागों को अपनी-अपनी योजनाएँ तैयार करने की भी सुविधा प्रदान करता है।
ज़िला आपदा प्रबंधन योजना
- आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के खंड 31 के अनुसार, देश के प्रत्येक ज़िले का आपदा प्रबंधन विभाग ज़िला आपदा प्रबंधन योजना तैयार करेगा जिसे राज्य आपदा प्रबंधन योजना द्वारा अनुमोदित किया जाएगा।
- इस योजना की समीक्षा तथा अपडेशन का कार्य प्रतिवर्ष किया जाएगा।
- ज़िला आपदा प्रबंधन योजना में किसी आपदा के घटने की स्थिति में मोचन योजनाएँ तथा प्रक्रियाएँ भी शामिल होंगी जिसमें ज़िला स्तर पर सरकारी विभागों और ज़िले में स्थानीय प्राधिकारियों को उत्तरदायित्त्व का आवंटन; आपदा के प्रति शीघ्र मोचन तथा उससे संबंधित राहत; अनिवार्य संसाधनों की अधिप्राप्ति; संचार सूत्रों की स्थापना आदि के भी प्रावधान किये जाएंगे।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एन.डी.एम.ए.)
National Disaster Management Authority (NDMA)
- यह भारत में आपदा प्रबंधन के लिये एक सर्वोच्च निकाय है, जिसका गठन ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005’ के तहत किया गया था।
- यह आपदा प्रबंधन के लिये नीतियों, योजनाओं एवं दिशा-निर्देशों का निर्माण करने के लिये ज़िम्मेदार संस्था है, जो आपदाओं के वक्त समय पर एवं प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करता है।
- भारत के प्रधानमंत्री द्वारा इस प्राधिकरण की अध्यक्षता की जाती है।
उद्देश्य
- इस संस्था का उद्देश्य एक समग्र, प्रो-एक्टिव, प्रौद्योगिकी संचालित टिकाऊ विकास रणनीति के माध्यम से सुरक्षित और डिजास्टर रेसिलिएंट भारत का निर्माण करना है, जिसमें सभी हितधारकों को शामिल किया गया है।
- यह आपदा की रोकथाम, तैयारी एवं शमन की संस्कृति को बढ़ावा देता है।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल
- राष्ट्रीय आपदा मोचन बल द्वारा 19 जनवरी को अपना 13वाँ स्थापना दिवस मनाया गया। भारत में NDRF का गठन आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के रूप में प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के दौरान विशेष प्रतिक्रिया के उद्देश्य से किया गया है।
- वर्तमान में, एनडीआरएफ में 12 बटालियन हैं, जिनमें BSF और CRPF से तीन-तीन और CISF, SSB और ITBP से दो-दो बटालियन हैं।
आपदा प्रबंधन में NDRF की भूमिका
- मानवीय और प्राकृतिक आपदा के दौरान विशेषज्ञ प्रतिक्रिया उपलब्ध करना, जिससे बचाव एवं राहत कार्य का प्रभावी निष्पादन संभव हो सके।
- राष्ट्रीय आपदा मोचन बल आपदाओं के दौरान चलाए जाने वाले राहत कार्यों में अधिकारियों की मदद में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की तैनाती संभावित आपदाओं के दौरान भी की जाती है।
- आपदाओं में बचाव या राहत कार्य के दौरान अन्य संलग्न एजेंसियों के साथ समन्वय कर यह बल बचाव या राहत कार्य को संपूर्णता प्रदान करता है।
- NDRF की सभी बटालियन तकनीकी दक्षता से युक्त हैं और विभिन्न प्रकार की विशेषज्ञ योग्यताओं से सुसज्जित हैं।
- प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के साथ-साथ यह बल अपनी चार टुकड़ियों के माध्यम से रेडियोलॉज़िकल, जैविक, नाभिकीय और रासायनिक आपदाओं से निपटने में भी सक्षम है।