स्वास्थ्य हेतु सतर्कता प्रकोष्ठ | 10 Feb 2020

प्रीलिम्स के लिये

गृह विभाग के अंतर्गत सतर्कता प्रकोष्ठ का गठन

मेन्स के लिये

सतर्कता प्रकोष्ठ के गठन से होने वाले लाभ एवं चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में केरल सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रभावी निष्पादन हेतु स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत एक सतर्कता प्रकोष्ठ बनाए जाने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु:

  • प्रस्तावित प्रकोष्ठ राज्य के गृह विभाग के अंतर्गत कार्य करेगा।
  • प्रस्ताव के अनुसार, सतर्कता प्रकोष्ठ का प्रमुख एक राजपत्रित पुलिस अधिकारी को बनाए जाने की संभावना है।
  • सतर्कता प्रकोष्ठ चिकित्सा शिक्षा सेवा द्वारा चयनित डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाएगा तथा निजी क्षेत्र में सरकारी डॉक्टरों और नैदानिक क्लीनिकों, फाॅर्मेसियों, स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों के बीच वित्तीय लेनदेनों पर नकेल कसेगा।
  • यह स्वास्थ्य देखभाल कंपनियों द्वारा किये जा रहे प्रचार-प्रसार तथा झूठे दावों की निगरानी करेगा, डॉक्टरों की सिफारिश के बिना लिखी जा रही आयुर्वेदिक दवाओं के उपयोग पर रोक लगाएगा तथा शिकायतों की जाँच करेगा।
  • यह प्रकोष्ठ झोलाछाप डॉक्टरों पर भी कार्रवाई करेगा जो सरकार के टीकाकरण कार्यक्रमों के बारे में संदेह को बढ़ावा देने के लिये सोशल मीडिया पर अपने प्रभाव का उपयोग करते हैं।

दो वर्ष पुराना प्रस्ताव

  • केरल स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव के अनुसार, सतर्कता प्रकोष्ठ का प्रस्ताव लगभग दो वर्ष पुराना है जो अब कार्यरूप में परिणत हो रहा है।
  • प्रमुख सचिव के अनुसार, निदेशालय स्तर पर स्वास्थ्य सेवा निदेशालय में सतर्कता प्रकोष्ठ की व्यवस्था की गई है।
  • कुछ अन्य विभागों में भी शिकायतों के निपटारे हेतु सतर्कता प्रकोष्ठ का गठन किया गया है, स्वास्थ्य विभाग अति संवेदनशील है। अतः यहाँ इसकी आवश्यकता है, हालाँकि पूर्व में शिकायतों के निपटारे हेतु आंतरिक जाँच समिति गठित की गई है।
  • प्रस्तावित सतर्कता प्रकोष्ठ राज्य के गृह विभाग के अधीन एक पुलिस अधिकारी की अध्यक्षता में कार्य करेगा परंतु औषधीय एवं चिकित्सा संबंधी सुझाव चिकित्सक समुदाय से ही मांगे जाएंगे।

चिकित्सकों के विचार

  • चिकित्सक समुदाय इस प्रस्ताव को लेकर आशंकित हैं। कई चिकित्सकों ने सतर्कता प्रकोष्ठ जैसी गहन निगरानी व्यवस्था को स्वास्थ्य सेवाओं को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाला बताया है।
  • चिकित्सकों के अनुसार, सतर्कता प्रकोष्ठ का प्रमुख पेशेवर चिकित्सक नहीं है अतः वह चिकित्सकीय संवेदनशीलता को भलीभाँति नहीं समझ सकता है।

स्रोत: द हिंदू