भारतीय इतिहास
कीलादी निष्कर्ष
- 23 Feb 2023
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:कीलादी निष्कर्ष, संगम युग मेन्स के लिये:कीलादी खोज और संगम युग का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) ने संगम युग स्थल पर खुदाई के पहले दो चरणों के दौरान निष्कर्षों और उनके महत्त्व पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
- इसके अतिरिक्त शिवगंगा में कीलादी साइट संग्रहालय का भी निर्माण हो रहा है, जिसमें अब तक खोजी गई 18,000 से अधिक महत्त्वपूर्ण कलाकृतियाँ प्रदर्शित की जाएंगी।
कीलादी के बारे में मुख्य तथ्य:
- कीलादी दक्षिण तमिलनाडु के शिवगंगा ज़िले की एक छोटी-सी बस्ती है। यह मंदिरों के शहर मदुरै से लगभग 12 किमी. दक्षिण-पूर्व में वैगई नदी के किनारे स्थित है।
- वर्ष 2015 से यहाँ की गई खुदाई से साबित होता है कि तमिलनाडु में वैगई नदी के तट पर संगम युग में एक शहरी सभ्यता मौजूद थी।
प्रमुख निष्कर्ष:
- ASI द्वारा पहले की तीन सहित खुदाई के आठ चरणों में साइट पर 18,000 से अधिक कलाकृतियों का पता लगाया गया है और जल्द ही खोले जाने वाले संग्रहालय में इन अद्वितीय कलाकृतियों का प्रदर्शन किया जाएगा।
- मिट्टी के बर्तनों के ढेर का पाया जाना मिट्टी के बर्तन बनाने के उद्योग के अस्तित्त्व को दर्शाता है, जो ज़्यादातर स्थानीय रूप से उपलब्ध कच्चे माल से बनाए जाते हैं। यहाँ तमिल ब्राह्मी शिलालेखों के साथ 120 से अधिक बर्तनों की खोज की गई है।
- कीलादी और अन्य स्थलों से खोजे गए एक हज़ार से अधिक खुदे हुए ठीकरे (बर्तन के टूटे हुए टुकड़े) स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करते हैं कि याह लिपि लंबे समय तक अस्तित्व में रही।
- स्पिंडल वोर्ल्स, तांबे की सुइयाँ, टेराकोटा मुहर, धागे से लटकते पत्थर, टेराकोटा गोले और तरल मिट्टी के पात्र बुनाई उद्योग के विभिन्न चरणों को संदर्भित करते हैं। वहाँ रंगाई तथा काँच के मनके बनाने के उद्योग भी थे।
- सोने के आभूषण, तांबे की वस्तुएँ, अर्द्ध-कीमती पत्थर, पत्थर की चूड़ियाँ, हाथी दाँत की चूड़ियाँ और हाथी दाँत की कंघी कीलादी के लोगों की कलात्मक, सांस्कृतिक संपन्नता एवं समृद्ध जीवन-शैली को दर्शाती हैं।
- सुलेमानी और कार्नीलियन मनके वाणिज्यिक संबंधों के माध्यम से आयात का संकेत देते हैं, जबकि टेराकोटा और हाथी दाँत से बने खेलने के पासे और हॉपस्कॉच (कूदने का बच्चों का खेल) जैसे साक्ष्य मनोरंजन के प्रति उनके शौक को दर्शाते हैं।
निष्कर्षों का महत्त्व:
- संगम युग के साथ संबंध:
- संगम युग प्राचीन तमिलनाडु में इतिहास की एक अवधि है, जिसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईस्वी तक माना जाता था और इसका नाम तत्कालीन मदुरै के कवियों की प्रसिद्ध संगम सभाओं से लिया गया था।
- ASI की एक हालिया रिपोर्ट ने इन पुरातात्त्विक निष्कर्षों के आधार पर संगम युग को 800 ईसा पूर्व तक पीछे पहुँचा दिया है।
- कीलादी लौह युग (12वीं शताब्दी ईसा पूर्व से छठी शताब्दी ईसा पूर्व) से आरंभिक ऐतिहासिक काल (छठी शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी ईसा पूर्व) तथा अनुवर्ती सांस्कृतिक विकास के बीच विलुप्त संबंधों को समझने के लिये यह महत्त्वपूर्ण साक्ष्य भी प्रदान कर सकता है।
- सिंधु घाटी के साथ संभावित संबंध:
- खोजी गई कीलादी कलाकृतियों ने शिक्षाविदों को वैगई घाटी सभ्यता के हिस्से के रूप में स्थल का वर्णन करने के लिये प्रेरित किया है। निष्कर्षों ने दोनों स्थानों के बीच 1,000 वर्षों के सांस्कृतिक अंतराल को स्वीकार करते हुए सिंधु घाटी सभ्यता के साथ तुलना पर चर्चा को भी पुनः सक्रिय किया है।
- यह स्थान अवशिष्ट कड़ी के रूप में दक्षिण भारत के लौह युग की सामग्रियों से संपन्न है।
- तमिलनाडु राज्य पुरातत्त्व विभाग (TNSDA) के अनुसार, कीलादी में ईंट की संरचनाएँ, विलासिता की वस्तुएँ और आंतरिक तथा बाहरी व्यापार के प्रमाण एक शहरी सभ्यता की विशेषताएँ हैं।
- इससे प्रारंभिक ऐतिहासिक काल के दौरान तमिलनाडु में शहरी जीवन और बस्तियों का प्रमाण मिलता है, इससे ऐसा बोध होता है कि यह एक व्यवसायी और परिष्कृत समाज था।
- खोजी गई कीलादी कलाकृतियों ने शिक्षाविदों को वैगई घाटी सभ्यता के हिस्से के रूप में स्थल का वर्णन करने के लिये प्रेरित किया है। निष्कर्षों ने दोनों स्थानों के बीच 1,000 वर्षों के सांस्कृतिक अंतराल को स्वीकार करते हुए सिंधु घाटी सभ्यता के साथ तुलना पर चर्चा को भी पुनः सक्रिय किया है।
कीलादी को लेकर विवाद:
- सिंधु घाटी सभ्यता के साथ संभावित संबंधों की रिपोर्ट के बावजूद, तीसरे चरण में "कोई उल्लेखनीय खोज" नहीं हुई थी, जिसे उत्खनन खोजों के संबंध में कम सूचित करने के प्रयास के रूप में व्याख्यायित किया गया था।
- मद्रास उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद तमिल सभ्यता के इतिहास के बारे में और अधिक जानने के लिये ASI के बजाय TNSDA चौथे चरण से खुदाई का कार्य कर रहा है।
संगम काल:
- 'संगम' शब्द संस्कृत शब्द संघ का तमिल रूप है जिसका अर्थ व्यक्तियों अथवा संस्था का समूह होता है।
- तमिल संगम कवियों की एक अकादमी थी जो पांड्य राजाओं के संरक्षण में तीन अलग-अलग कालों और स्थानों पर विकसित हुई।
- संगम साहित्य, जो ज़्यादातर तीसरे संगम से संकलित किया गया था, ईसाई काल की शुरुआत के दौरान लोगों की दैनंदिन स्थितियों के संबंध में विवरण प्रदान करता है।
- यह सार्वजनिक और सामाजिक गतिविधियों जैसे- सरकार, युद्ध दान, व्यापार, पूजा, कृषि आदि से संबंधित धर्मनिरपेक्ष मामले से संबंधित है।
- संगम साहित्य में प्रारंभिक तमिल रचनाएँ (जैसे तोल्काप्पियम), दस कविताएँ (पट्टुपट्टू), आठ संकलन (एट्टुटोगई) और अठारह लघु रचनाएँ (पदिनेंकिलकनक्कू) और तीन महाकाव्य शामिल हैं।
तमिल-ब्राह्मी लिपि:
- ब्राह्मी लिपि तमिलों द्वारा प्रयोग की जाने वाली सबसे पहली लिपि थी।
- उत्तर प्राचीन और प्रारंभिक मध्ययुगीन काल में उन्होंने एक नई कोणीय लिपि विकसित करना आरंभ किया, जिसे ग्रन्थ लिपि (Grantha Script) कहा जाता है, जिससे आधुनिक तमिल की उत्पत्ति हुई।
वैगई नदी:
- यह पूर्व की ओर बहने वाली नदी है।
- वैगई नदी बेसिन कावेरी और कन्याकुमारी के बीच स्थित 12 बेसिनों में एक महत्त्वपूर्ण बेसिन है।
- यह बेसिन पश्चिम में कार्डमम पहाड़ियों और पलानी पहाड़ियों से एवं पूर्व में पाक जलडमरूमध्य तथा पाक खाड़ी से घिरा है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रश्न. दक्षिण भारत के राजनैतिक इतिहास की दृष्टि से अधिक उपयोगी न होते हुए भी संगम साहित्य उस समय की सामाजिक व आर्थिक स्थिति का अत्यंत प्रभावी शैली में वर्णन करता है। टिप्पणी कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2013) |