लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

कवकाज़/काकेशस- 2020 सैन्य अभ्यास

  • 31 Aug 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कवकाज़/काकेशस- 2020 सैन्य अभ्यास

मेन्स के लिये:

भारत-रूस संबंध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में COVID-19 महामारी के चलते भारत ने रूस में होने वाले ‘बहुराष्ट्रीय त्रिकोणीय सर्विस  अभ्यास’  कवकाज़- 2020 (Kavkaz- 2020) से अपनी भागीदारी को वापस ले लिया है। 

प्रमुख बिंदु:

  • यद्यपि भारत ने आधिकारिक रूप से COVID-19 महामारी को अभ्यास में हिस्सा न लेने का कारण बताया है, परंतु इसके पीछे अनेक कूटनीतिक कारकों को ज़िम्मेदार माना जा रहा है। 

कवकाज़- 2020 अभ्यास:

  • यह एक रणनीतिक कमांड-पोस्ट अभ्यास है, जिसे काकेशस- 2020 (Caucasus-2020) के रूप में भी जाना जाता है।
  • त्रिकोणीय सेवा अभ्यास रूसी सेना द्वारा प्रति चार वर्ष में किया जाने वाला अभ्यास का हिस्सा है। यह अभ्यास पूर्व में वर्ष 2012 और वर्ष 2016 में आयोजित किया गया था।
  • वर्ष 2020 का अभ्यास, दक्षिणी रूस के अस्त्राखान प्रांत (Astrakhan province) में आयोजित किया जाएगा।
  • इस अभ्यास में 'शंघाई सहयोग संगठन' (Shanghai Cooperation Organisation- SCO) के सदस्य देश और अन्य मध्य एशियाई देश भाग लेंगे।

Russia

भारत के अभ्यास से अलग होने के अन्य संभावित कारण:

  • कवकाज़- 2020 सैन्य अभ्यास में चीन, तुर्की और पाकिस्तान भी भागीदारी ले रहे हैं, जिनके साथ हाल ही में भारतीय राजनीतिक संबंधों में कटुता देखने को मिली है। 
  • चीन के साथ ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा’ (Line of Actual Control- LAC) पर गतिरोध मई 2020 से जारी है। कई दौर दौर की वार्ताओं के बावजूद दोनों देश गतिरोध को समाप्त करने में विफल रहे हैं।
    • हालाँकि, जून 2020 में भारतीय और चीनी सैन्य टुकड़ियों ने द्वितीय विश्व युद्ध की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर मास्को के रेड स्क्वायर में ‘विजय दिवस परेड’ (Victory Day Parade) में मार्च किया।
  • कश्मीर मामले पर भारत की नीतियों को लेकर भारत और तुर्की के बीच टकराव देखने को मिलता रहा है।
  • अभ्यास में जॉर्जिया के विघटनकारी क्षेत्र अबकाज़िया (Abkhazia) और दक्षिण ओसेशिया (South Ossetia) भी भागीदारी कर रहें हैं, इन क्षेत्रों को केवल रूस और कुछ अन्य देशों द्वारा मान्यता प्रदान की गई है। भारत इन क्षेत्रों को मान्यता नहीं देता है।

भारत-रूस सैन्य कूटनीति पर प्रभाव:

  • भारत हमेशा से रूस के साथ अपने संबंधों को, चीन-रूस संबंधों से स्वतंत्र रूप में देखता रहा है।
  • रूस भी भारत के साथ इसी प्रकार की नीति अपनाता रहा है। भारत-चीन गतिरोध के दौरान भी रूस ने भारत को हथियारों की आपूर्ति की अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखा।
  • भारत द्वारा कवकाज़- 2020 से अपनी भागीदारी को वापस लिया जाना दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह मूल रूप से एक रूसी सैन्य अभ्यास था, न कि चीनी अभ्यास। 

अन्य भारत-रूस सैन्य अभ्यास:

  • भारत-रूस सैन्य कूटनीति की शुरुआत वर्ष 2003 में द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास- इंद्र (Indra) से मानी जाती है।
  • भारत तथा रूस ने अभ्यास- TSENTR-2019 में भी भाग लिया है। अभ्यास- TSENTR 2019 रूसी सशस्त्र बलों के वार्षिक प्रशिक्षण चक्र का एक हिस्सा है।

आगे की राह:

  • भारत को रूस के साथ अपने संबंधों को और गहरा करने की आवश्यकता है क्योंकि रूस, भारत-चीन संबंधों को संतुलित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • भारत अपनी रक्षा खरीद (देशों) और ऊर्जा आयात में विविधता लाना चाहता है। अत: इस दृष्टि से भारत-रूस सबंध बहुत महत्त्वपूर्ण है।
  • शंघाई सहयोग संगठन और रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिकोण सहयोग रूस, चीन और भारत के बीच पारस्परिक बढ़ावा देने और भारत-चीन के बीच अविश्वास को कम करने में योगदान दे सकते हैं। 

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2