कर्नाटक का प्रस्तावित ध्वज विवाद | 20 Jul 2017

संदर्भ
कर्नाटक अपना अलग ध्वज बनाने को लेकर चर्चा में है। हालाँकि वह इसे वैधानिक दर्जा  देने पर कोई जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता है। इस पर वह कानूनी विशेषज्ञों की राय लेना चाहता है।

प्रमुख बिंदु 

  • कर्नाटक ने कहा है कि उसके द्वारा प्रस्तावित अलग ध्वज बनाने पर विचार करने के लिये उसने एक समिति गठित की है। समिति इस मुद्दे के सभी पहलुओं की जाँच करेगी। 
  • राष्ट्रीय ध्वज  को लेकर तीन अलग-अलग अधिनियम हैं परन्तु इनमें से कोई भी कर्नाटक को ऐसा करने से नहीं रोकता है। 
  • कर्नाटक के प्रस्तावित ध्वज  में लाल एवं पीला रंग है।
  • इस ध्वज  को लेखक एवं कन्नड़ कार्यकर्त्ता मा. रामामूर्ति ने 1966 में तैयार किया था। उनका जन्म 11 मार्च, 1918 को हुआ था। उनका उपनाम ‘कन्नड़ वीर सेनानी’ है।
  • राज्यों द्वारा अलग ध्वज रखने का मामला एक नीतिगत विषय है, इसके फायदे और नुकसान पर विचार करके ही कोई फैसला लिया जाना चाहिये।

क्या राज्य अपना अलग ध्वज रख सकते हैं ?

  • राज्यों को अलग गान (एंथम) की तरह अपने अलग ध्वज रखने पर कोई वैधानिक रोक नहीं है। संविधान में इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा गया है।

राष्ट्रीय ध्वज  से संबंधित कुछ प्रावधान 

  • भारत का राष्ट्र–ध्वज यहाँ की धरती और लोगों का प्रतीक है। 
  • भारत का राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों का बना है, इसलिये इसे तिरंगा भी कहते हैं। इसके तीन रंगों के क्षैतिज पट्टियों के मध्य नीले रंग का एक चक्र भी है। 
  • पूरा ध्वज आयताकार है जिसमें लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3 : 2 है।
  • इसे 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा की बैठक में अपनाया गया था।
  • ध्वज की मर्यादा और सम्मान के अनुकूल, जो भारतीय राष्ट्र-ध्वज संहिता में विस्तार से लिखा हुआ है, कोई भी राष्ट्र–ध्वज को सभी दिन, समारोह या अन्य अवसरों पर फहरा सकता है।
  • इसे किसी भी तरह के विज्ञापन में उपयोग नहीं किया जा सकता है।
  • राष्ट्र-ध्वज का निरादर करना दंडनीय अपराध है।