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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

काकरापार परमाणु ऊर्जा परियोजना

  • 23 Jul 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

 काकरापार परमाणु ऊर्जा परियोजना, क्रांतिकता 

मेन्स के लिये:

असैनिक परमाणु ऊर्जा विकास, भारतीय परमाणु ऊर्जा क्षेत्र 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गुजरात के काकरापार परमाणु ऊर्जा परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों ने इस संयत्र की तीसरी इकाई [Kakrapar Atomic Power Project (KAPP-3)] में पहली बार क्रांतिकता (Criticality) प्राप्त की है। 

प्रमुख बिंदु:

  • काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र गुजरात के तापी जिले में स्थित है।
  • इस संयंत्र की पहली दो इकाइयाँ कनेडियन (Canadian) तकनीकी पर आधारित हैं,  जबकि इसकी तीसरी इकाई पूर्णरूप से स्वदेशी तकनीकी पर आधारित है।
  • इस संयंत्र में 220 मेगावाट के पहले ‘दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर’ (Pressurized Heavy Water Reactor- PHWR) के निर्माण को 6 मई 1993 को और 220 मेगावाट के ही दूसरी इकाई के निर्माण को 1 सितंबर, 1995 को अधिकृत किया गया था।
  • इस संयंत्र की तीसरी और चौथी इकाई के निर्माण का कार्य वर्ष 2011 में  प्रारंभ हुआ था।  

क्रांतिकता (Criticality) :

परमाणु ऊर्जा संयत्र की क्रांतिकता से आशय संयंत्र में पहली बार नियंत्रित स्व-संधारित नाभिकीय विखंडन (Controlled Self-sustaining Nuclear Fission) श्रृंखला की शुरुआत से है।   

काकरापार परमाणु ऊर्जा परियोजना की तीसरी इकाई (KAPP-3):

  • KAPP-3 भारतीय घरेलू असैनिक परमाणु कार्यक्रम के लिये एक बड़ी उपलब्धि है।
  •  KAPP-3 भारत पहली 700 मेगावाट विद्युत इकाई होने के साथ स्वदेशी तकनीक से विकसित PHWR की सबसे बड़ी इकाई है।
  • PHWR प्राकृतिक यूरेनियम को ईंधन और भारी जल (D2O) को शीतलक के रूप में प्रयोग किया जाता है। 
  • अब तक भारत में स्वदेशी तकनीक से विकसित PHWR की सबसे बड़ी इकाई मात्र 540 मेगावाट की थी, इस प्रकार की दो इकाइयाँ महाराष्ट्र के तारापुर संयत्र में स्थापित की गई हैं।
  • वर्ष 2011 में इस संयंत्र की तीसरी इकाई के निर्माण कार्य के शुरू होने के बाद मार्च 2020 के मध्य में इसमें ईंधन भरे जाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी।     

विशेषताएँ:

  • भारत में स्वदेशी निर्मित इस 700 मेगावाट के PHWR में ‘स्टील लाइंड इनर कंटेंटमेंट’, निष्क्रिय क्षय ऊष्मा निष्कासन प्रणाली, रोकथाम स्प्रे प्रणाली, हाइड्रोजन प्रबंधन प्रणाली आदि जैसी उन्नत सुरक्षा सुविधाएँ उपलब्ध हैं।  

भारतीय परमाणु ऊर्जा क्षमता की वृद्धि में योगदान:

  • गौरतलब है कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2031 तक अपनी मौजूदा परमाणु ऊर्जा क्षमता को 6,780 मेगावाट से बढ़ाकर 22,480 मेगावाट करने की तैयारी की जा रही है।  
  • ऐसे में 700 मेगावाट के इस परमाणु संयंत्र की सफलता भारतीय ऊर्जा विस्तार योजना में एक मुख्य घटक के रूप में कार्य करेगी।  
  • ध्यातव्य है कि वर्तमान में भारत की  कुल ऊर्जा उत्पादन क्षमता [लगभग 371,054 मेगावाट (जुलाई 2020 तक)] में परमाणु ऊर्जा का योगदान लगभग 2% ही है।
  • वर्तमान में जब देश में 900 मेगावाट क्षमता के ‘दाबयुक्त जल रिएक्टर’ (Pressurised Water Reactor- PWR) के विकास की तैयारी की जा रही है, ऐसे में KAPP-3 से प्राप्त हुआ अनुभव इस योजना में भी उपयोग किया जा सकेगा।
  • वर्तमान में देश में ‘4700 मेगावाट’ क्षमता के परमाणु संयंत्रों पर कार्य किया जा रहा है, जिनमें से दो काकरापार (KAPP-3 और KAPP-4) तथा रावतभाटा (राजस्थान) में स्थित हैं।
    • KAPP-3 और KAPP-4 का निर्माण ‘न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड’ (Nuclear Power Corporation of India Limited) द्वारा किया गया है। 

‘न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड’

(Nuclear Power Corporation of India Limited- NPCIL): 

  • NPCIL, एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम (Public Sector Enterprise- PSE) है।
  • इसका मुख्यालय मुंबई (महाराष्ट्र) में स्थित है।
  • NPCIL, भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy- DAE) के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है। NPCIL को सितंबर, 1987 में 'कंपनी अधिनियम, 1956' के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के रूप में पंजीकृत किया गया था 

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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